बहन ने लंड चूसा और चुदाई की मजा ली – Bahan Ne Lund Chusa Aur Chudai ki Maja Li

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हेलो मैं बिभोर दिल्ली से हूँ मेरा उम्र २१ साल हे । मैं अपने चची के पास गाओं में रहता हूँ । जब सहर से आयी तो मेरे दूर के रिश्तेदार ताउज हमारे घर ए थे उनकी एक बीटा और एक बेटी भी हे । बेटी का नाम दीपा हे जिससे में छोड़ने वाला था । वही बहन की चुदाई की कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूँ ।

जब में शहर में अपनी पढ़ाई पूरी करने आया तो अपने सभी रिश्तेदार से मिला और तब मैंने दीपा को वहां पर देखा तो में बिल्कुल चकित रह गया। उसके बूब्स बहुत बाहर आ चुके थे और बहुत मोटे मोटे दिखाई दे रहे थे। में तो उसे देखता ही रह गया, शायद उसने भी इस बात पर गौर कर लिया था। वो बोली कि तेरा ध्यान कहाँ है? तो मैंने कहा कि कहीं नहीं और ऐसे ही बहुत दिन गुज़र गये और फिर एक दिन में अपने पास के शहर से अपनी कार में वापस घर आ रहा था तो अचानक मुझे रोड पर दीपा और उसकी माँ और उसकी दो पड़ोसने दिखाई दी। फिर मैंने अपनी गाड़ी रोककर उनसे पूछा कि क्यों घर जाना है तो वो बोली कि हाँ भगवान का शुक्र है कि तुम मिल गये वर्ना हम पैदल ही घर जाते, क्योंकि इस जगह से हमें कोई साधन भी नहीं मिलता और फिर दीपा फटाफट से पिछली सीट पर बैठ गई। तभी उसकी माँ बोली कि दीपा तू आगे बैठ जा हम तीनों पीछे बैठते है और में पीछे की तरफ मुहं करके देखने लगा। वो अंदर से ही आगे वाली सीट पर आने लगी तो उसका एक बूब्स कपड़ो से बाहर आकर मेरे मुहं पर लगा और उसने उस समय काले कलर का सूट पहना हुआ था जो कि बहुत टाईट था और जब उसने आगे आने को अपनी एक टाँग फैलाई तो मुझे उसके पैरों के बीच में बहुत सारा पसीना आया हुआ दिखाई दिया, वो बिल्कुल गीली थी और फिर में झट से समझ गया था कि उसने उस समय पेंटी नहीं पहनी हुई थी।

फिर वो आगे आकर बैठ गई और उसकी माँ और वो दोनों औरतें बातों में एकदम मस्त थी और में उसके साथ बातें कर रहा था और बार बार उसके बूब्स को देख रहा था। तभी वो मुझसे मुस्कुराती हुई बोली कि लगता है कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है? तो मैंने कहा कि हाँ नहीं है और फिर वो बोली कि हाँ तभी तो हमेशा इतने परेशान रहते हो। दोस्तों मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया कि उसने मुझसे क्या यह सब क्यों कहा? और जब वो गाड़ी से उतरकर जाने लगी तो उसकी मटकती हुई गांड को देखकर मुझे बहुत जोश चड़ गया और मैंने घर पर पहुँचते ही बाथरूम में जाकर मुठ मारने लगा और फिर मैंने दो बार लगातार मुठ मारी और सो गया। कुछ दिन ऐसे ही बीतते चले गये। फिर कुछ दिन के बाद मेरे ताऊ जी के घर पार्टी थी और उस समय मेरे दादा दादी जी भी उस समारोह में शामिल होने के लिए घर पर आ गये और में उनके साथ घर पर चला गया। जब में अपने ताऊ जी के रूम में पहुँचा तो मैंने देखा कि वहां पर दीपा तैयार हो रही थी। तभी वो डरकर अचानक से मेरी तरफ मुड़ी और बोली कि क्या यार विभु तुम हो? तो मैंने कहा कि हाँ में हूँ अगर तुम्हे कोई काम हो तो बताओ में करवा दूँगा। तो वो बोली कि हाँ सबसे पहले तुम यह मेरे ब्लाउज का हुक लगा दो, ये थोड़ा टाईट है। फिर दोस्तों जब में हुक लगाने लगा तो मुझे पता चला कि वो थोड़ा नहीं बहुत ज़्यादा टाईट था। फिर में उससे बोला कि तुम भी मेरी हेल्प करो यह ब्लाउज सच में बहुत टाईट है और फिर उसने अपने बूब्स मेरे सामने ब्लाउज में एक हाथ डालकर सेट करते हुए ब्लाउज को थोड़ा सरकाया जिसे देखकर मेरा तो लंड पेंट को फाड़कर बाहर आने को था और यह सब उसने तैयार होते हुए देख लिया था और फिर हम पार्टी में डांस करने लगे तो उसने मेरा हाथ पकड़कर मेरे साथ डांस किया और सबके सामने यह प्रदर्शित किया कि हम भाई बहन है, लेकिन दोस्तों मुझे उसका तो पता नहीं, लेकिन मेरे दिल में बहुत कुछ था और फिर उस दिन से हम दोनों फोन पर चेटिंग करने लगे थे, लेकिन ऐसे कि जैसे हम एक दूसरे के कोई दोस्त है।

फिर आख़िरकार वो दिन आ ही गया जब मुझे उसकी चूत के दर्शन करने का मौका मिल गया, क्योंकि उस दिन उसके मम्मी पापा और मेरे घर वाले पास वाले शहर में किसी के घर पर जागरण में चले गये और दीपा को मेरे साथ मेरे घर पर छोड़ गये। मेरे दिल में तो अब लड्डू फूटने लगे, तब सर्दियों के दिन थे और में सोफे पर बैठकर टीवी पर क्रिकेट मैच देख रहा था। तभी कुछ देर के बाद अचानक लाईट चली गई और उस समय मैच बहुत मजेदार चल रहा था तो मुझसे रहा नहीं गया और मेंने अपने लॅपटॉप पर मैच लगा लिया। वो मेरे पास आकर खड़ी हो गई और फिर वो भी मैच देखने लगी और जब कुछ देर बाद मैंने उसकी तरफ देखा तो में कंट्रोल से बाहर हो गया। उसने नीले कलर की बिल्कुल टाईट टी-शर्ट और लोवर पहना हुआ था। वो उसमें क्या मस्त लग रही थी मेरा तो दिल कर रहा था कि उसके बूब्स को पकड़कर चूसकर सारा का सारा दूध पी लूँ और उन्हे नीबूं की तरह निचोड़ डालूं। तभी वो मुस्कुराते हुए मुझसे बोली कि मैच देख लो और अपना ध्यान मैच पर रखो मुझ पर नहीं। वो उस समय इतना कहते हुए थोड़ा मेरे पास बैठ गई और भी करीब आने लगी और फिर वो मुझसे बोली कि विभु मुझे यहाँ पर ठंड लग रही है, तुम अपना यह लेपटॉप बेड पर रख लो।

फिर में उसके कहने से बेड पर आ गया और में अपने दोनों पैरों को कम्बल के अंदर करके बैठ गया। वो मेरे एक साईड में बैठी हुई थी और थोड़ी दूरी पर थी जिसकी वजह से उसे लॅपटॉप सही ढंग से नहीं दिख रहा था। वो मुझसे बोली कि लेपटॉप को थोड़ा इधर कर लो और मैंने वैसा ही किया। में अब उसकी साईड में और उसके बिल्कुल पास बैठ गया और कंबल में पूरा घुसा हुआ था, लेकिन अब मेरा पूरा ध्यान मैच से बिल्कुल हट चुका था और में धीरे धीरे अपने एक पैर से उसके पैर को रगड़ने लगा और मैंने एक पैर उसके पैर पर रख दिया, लेकिन उसने कोई विरोध नहीं किया में समझ गया था कि उसे भी अब इस सर्दी में गरमाहट चाहिए और फिर मैंने अपना एक हाथ भी कंबल में घुसा दिया और एक साईड से उसकी हल्के से गांड को छूने लगा, लेकिन वो फिर भी मुझसे कुछ भी नहीं बोली और इतनी देर में मैच ख़त्म हो गया, लेकिन उसका ध्यान कहीं और था। तो कुछ देर के बाद वो बोली कि तुम्हारी गर्लफ्रेंड का क्या नाम है? में अब लगातार धीरे धीरे उसकी गांड पर हाथ फेरता रहा और उससे बोला कि कोई है ही नहीं। तो वो झट से बोली कि ऐसा हो ही नहीं सकता और ऐसे ही हम गर्लफ्रेंड के बारे में बातें करते रहे। तभी मैंने धीरे धीरे अपने हाथ की जगह चेंज कर दी और अपने हाथ को उसके लोवर के ऊपर से ही उसकी चूत के पास ले गया। वो मुझसे बोली कि विभु यह क्या कर रहे हो? क्या तुम्हे शर्म नहीं आती, में तुम्हारी बहन हूँ? तो में बोला कि मैंने ऐसा क्या किया है? तो वो बोली कि अब तुम ज़्यादा चालाक मत बनो, तुम्हारा हाथ कहाँ पर है? तो मैंने कहा कि मेरा हाथ यहीं पर है और मैंने अपना हाथ थोड़ा और टाईट कर लिया। तभी वो मेरा हाथ पकड़कर छुड़ाने लगी और बोली कि यह है तुम्हारा हाथ। तो में बोला कि तो क्या हुआ? तुम मेरी बहन हो इसलिए हम दोनों एक दूसरे की बातें तो जान सकते है। वो बोली कि यह बात बिल्कुल गलत है। भाई बहन में कभी भी ऐसा नहीं होता। में उसे अब मनाने लगा, लेकिन वो नहीं मान रही थी तो मैंने उससे कहा कि चलो अगर तुम मुझे अपना अच्छा भाई मानती तो प्लीज मुझे एक बार अपना शरीर दिखा दो। वो लगातार ना ना कर रही थी तो मैंने उसे अपनी कसम देकर एक बार दिखाने को बोला तो वो मान गई और मुझसे बोली कि में सिर्फ़ एक बार ही तुम्हे दिखाउंगी और फिर वो अपनी टी-शर्ट के ऊपर के बटन खोलने लगी। तभी मैंने उसे रोक दिया और वो अचानक से रुक गई और मेरी तरफ देखने लगी। मैंने उससे कहा कि तुम रहने दो में खुद ही खोल लूँगा और फिर मैंने धीरे धीरे बटन खोलकर उसके ऊपर का हिस्सा उतार दिया। वो गुलाबी कलर की ब्रा में थी और उस पर फूलों की डिजाईन बनी हुई थी। में उससे बोला कि मुझसे अच्छे तो यह फूल ही है, कम से कम तुम्हारी ब्रा से तो चिपके हुए है। तो वो हँसने लगी और मैंने सही मौका देखकर उसके बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही पकड़ लिया। तो वो बोली कि मैंने सिर्फ़ देखने को कहा था छूने को नहीं। तो मैंने कहा कि प्लीज मुझे छूने दो, पक्का में सेक्स नहीं करूंगा और फिर मैंने उसे विश्वास दिलाया कि सेक्स नहीं करूंगा।

तो वो मान गई में फिर उसके लोवर की तरफ बढ़ा तो वो मुझसे बोली कि क्या इसको उतारना ज़रूरी है? तो मैंने कहा कि असली चीज़ तो यहीं पर है प्लीज उतारने दो और फिर झट से मैंने उसकी लोवर को उतार दिया उसने लाल कलर की पेंटी पहन रखी थी और अब वो ब्रा और पेंटी में क्या मस्त लग रही थी। ऐसे ही करते करते मैंने उसके एक कंधे से उसकी ब्रा को नीचे कर दिया और उसका एकदम सफेद बूब्स आधे से ज्यादा बाहर आ गया और उसने मुझे पकड़ लिया। मैंने उसके एक बूब्स को एक हाथ में लिया और दूसरा हाथ उसकी पेंटी में डाल दिया और उसकी चूत को पहली बार छूकर देखा। मेरे छूते ही वो बिल्कुल पागल हो गयी और उसने एकदम से पलटकर मुझे बिल्कुल टाईट पकड़ लिया और मुझे लिप किस करने लगी और सिसकियाँ लेने लगी। मुझे पता चल चुका था कि अब सब कुछ मेरे हाथ में या मेरे लंड में है। में उसकी चूत को पेंटी के अंदर ही बार बार छू रहा था और धीरे धीरे सहला रहा था। फिर में उसकी चूत के सामने आ गया और मैंने उसकी पेंटी को उतार दिया। दोस्तों वाह क्या जन्नत की तरह थी वो जगह उसकी चूत बिल्कुल साफ थी। मैंने उसे अपनी बाहों में लेकर लेटा दिया और उसकी चूत को छूने लगा। तो वो मुझसे कहने लगी कि प्लीज अब ऐसा मत करो मुझे बहुत अजीब सा महसूस हो रहा है।

दोस्तों अब मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं गया और मैंने उसकी चूत के ऊपर मुहं रख दिया और उसे किस करने लगा इस वजह से वो बहुत ज़ोर से मचलने लगी जैसे बिन पानी के मछली तड़पती है वैसे ही तड़पने लगी और वो मेरा सर अपनी चूत पर दबा रही थी। मैंने उसके दोनों पैरों को फैला दिया और उसकी बैचेन चूत में अपनी जीभ को डाल दिया। वाह दोस्तों क्या मस्त अहसास था, पहली बार मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मैंने ऐसी रसीली और मजेदार चीज़ कभी खाई ही नहीं। फिर कुछ देर ऐसे ही करते करते वो झड़ गई और उसकी चूत का पानी मेरी जीभ को लग गया वो बहुत अजीब से स्वाद का था, मैंने उसे थूक दिया। तो वो मुस्कराते हुए बड़ी संतुष्ट लगी, लेकिन में अभी भी ठंडा नहीं हुआ था और में हल्का सा उसके ऊपर आकर अपना लंड उसके दोनों बूब्स के बीच में दबा लिया और रगड़ने लगा। जब में लंड को आगे की तरफ ले जाता तो वो अपना मुहं खोलकर उसे अंदर ले लेती। फिर दीपा ने बोला कि में और अब नहीं रह सकती, प्लीज़ इसे नीचे डालो, मुझे बहुत अजीब सा कुछ कुछ हो रहा है। फिर मैंने भी अपने लंड को हाथ में ले लिया और दीपा की चूत के मुहं पर रगड़ने लगा। वो अब झटपटाने लगी और मुझसे लंड को अंदर डालने की भीख माँगने लगी। मैंने फिर से हल्का सा ज़ोर देकर अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के अंदर डाला तो उसकी एक बार आखें फट गयी। में थोड़ी सी देर बिल्कुल शांत हो गया और फिर दूसरे ही झटके में लंड को अंदर की तरफ पहुंचा दिया। उसके मुहं से बहुत ज़ोर से चीख निकल पड़ी और आँखो से आँसू। में फिर से थोड़ा नीचे की तरफ होकर उसके होंठो को चूसने लगा और उसके बूब्स को दबाने लगा और फिर मैंने सही मौका देखकर एक बार फिर से धक्का मार दिया और अब लंड बहुत अंदर जा चुका था और वो बार बार मुझसे से उसे बाहर निकालने के लिए कह रही थी, लेकिन में अब वहां से वापस नहीं लौट सकता था इसलिए मैंने थोड़ा सा रुककर मैंने फिर से एक आखरी झटके में अपना लंड जड़ तक दीपा की चूत में डाल दिया और वो दर्द से झटपटाने लगी और में फिर से नीचे झुककर उसको स्मूच करने लगा और बूब्स को दबाने लगा।

फिर थोड़ी देर बाद उसको भी दर्द खत्म होने के बाद जोश आ गया और धीरे धीरे से अपने कूल्हों को हिलाने लगी और में समझ गया कि अब शायद उसे भी मज़ा आने लगा है और फिर में भी हल्के हल्के झटके लगाने लगा। फिर वो कभी मुस्कुराती तो कभी एक रांड की तरह लंड का मज़ा लेते हुए स्माईल देती और अब मेरे भी धक्कों की स्पीड और भी तेज हो चुकी थी और मेरा लंड पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था और अब मुझे लगा कि शायद वो झड़ने वाली है इसलिए मैंने धक्के और तेज कर दिए ताकि उसे और भी चुदाई के मज़े मिले और फिर उसका शरीर अकड़ने लगा और मेरी बहन मेरे लंड से चुदाई करवाती हुई झड़ गई। अब मैंने अपनी स्पीड को और भी बढ़ा दिया और चूत में बहुत गीलापन होने की वजह से फच फच की आवाजें आने लगी और अब मुझे भी लगने लगा कि शायद अब में भी झड़ने वाला हूँ तो मैंने अपने धक्के और भी तेज कर दिए और 15-20 धक्कों के बाद में और दीपा एक साथ झड़ गये और थोड़ी देर तक हम दोनों एक साथ लेटे रहे और एक दूसरे को देखकर मुस्कुराते रहे। मैंने ध्यान से देखा कि दीपा के बूब्स एकदम लाल हो चुके थे और उस पर मेरे हाथों के निशान भी साफ साफ नज़र आ रहे थे।

फिर हम ऐसे ही नंगे फिर से एक बार जोश में आ गये और एक दूसरे से सांप की तरह लिपट गये। मेरा लंड एक बार फिर से उसके पैरों के बीच दस्तक देने लगा और मेरी बहन मुस्कुरा रही थी और मेरा लंड पकड़कर एक बार फिर से हिलाने लगी और कुछ देर के बाद मेरे लंड को मुहं में लेकर चूसने लगी और जब मैंने उसे लेटने के लिए कहा तो उसने कहा कि नीचे के लिए आज इतना ही बहुत है और बाकी बाद में। फिर उसने अपने गुलाबी होंठ मेरे लंड पर जकड़ दिए और चूसने लगी। में उसके बालों को पकड़कर पीछे करके उसको देखने लगा, वो बड़े मज़े से चूस रही थी और कभी कभी एक हाथ से अपने बूब्स को भी बॉल की तरह दबाती। दोस्तों उस रात हम दोनों बिना कपड़ो के ही रहे और सारी रात सोए नहीं और जब हमारे घरवालों का आने का टाईम हुआ तो हम एक बार और चुदाई करके सब कुछ साफ करके सो गए। दोस्तों आज भी वो एक होस्टल में रहकर नर्सिंग की ट्रेनिंग कर रही है में जब भी वहां पर जाता हूँ तो एक पूरे दिन और रात हम होटल में एक दूसरे के साथ रहते है। मुझे आज भी उसकी चूत बहुत रसीली लगती है और उसे देखते ही मेरा दिल करता है कि उसे लगातार चाटता ही रहूँ ।।

धन्यवाद …

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  1. ନମସ୍କାର, ମୁଁ ବିବୋର ଦିଲ୍ଲୀର 21 ବର୍ଷ ବୟସ | ମୁଁ ମୋ ମାଉସୀ ପାଖରେ ଗା cows ରେ ରହେ | ଯେତେବେଳେ ମୋର ସମ୍ପର୍କୀୟ ଟାଉଜ୍ ସାହାରାରୁ ଆସିଥିଲେ, ଆମର ଏକ ଘର ଥିଲା ଏବଂ ତାଙ୍କର ଏକ ବେଟା ଏବଂ ଗୋଟିଏ daughter ିଅ ଥିଲା | Daughter ିଅର ନାମ ଦୀପା ଥିଲା ଯେଉଁଠାରୁ ମୁଁ ଯିବାକୁ ଯାଉଥିଲି | ମୁଁ ତୁମକୁ ସେହି ଭଉଣୀର ଫ୍ୟାକ୍ ର କାହାଣୀ କହିବାକୁ ଯାଉଛି |

    ଯେତେବେଳେ ମୁଁ ମୋର ଅଧ୍ୟୟନ ସମାପ୍ତ କରିବାକୁ ସହରକୁ ଆସିଲି, ମୁଁ ମୋର ସମସ୍ତ ସମ୍ପର୍କୀୟଙ୍କୁ ଭେଟିଲି ଏବଂ ତା’ପରେ ମୁଁ ଦୀପାଙ୍କୁ ଦେଖିଲି ଏବଂ ମୁଁ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟ ହୋଇଗଲି | ତା’ର ବୁବି ବାହାରକୁ ଆସି ବହୁତ ମୋଟା ଦେଖାଯାଉଥିଲା | ମୁଁ ତାଙ୍କ ଆଡକୁ ଚାହିଁ ରହିଲି, ବୋଧହୁଏ ସେ ମଧ୍ୟ ଏହା ଲକ୍ଷ୍ୟ କରିଥିବେ | ସେ କହିଲା ତୁମର ଧ୍ୟାନ କେଉଁଠାରେ ଅଛି? ତେଣୁ ମୁଁ କହିଲି ଯେ ଅନ୍ୟ କ here ଣସି ସ୍ଥାନରେ ଏବଂ ଏପରି ଅନେକ ଦିନ ବିତି ଗଲାଣି ଏବଂ ତା’ପରେ ଦିନେ ମୁଁ ମୋ କାରରେ ମୋ ନିକଟ ସହରରୁ ଘରକୁ ଫେରୁଥିଲି, ତା’ପରେ ହଠାତ୍ ମୁଁ ଦୀପାଙ୍କୁ ରାସ୍ତାରେ ଦେଖିଲି ଏବଂ ତାଙ୍କ ମା ଏବଂ ତାଙ୍କ ଦୁଇ ପଡ଼ୋଶୀ | ତା’ପରେ ମୁଁ ମୋ କାରକୁ ଅଟକାଇ ପଚାରିଲି ତାଙ୍କୁ କାହିଁକି ଘରକୁ ଯିବାକୁ ପଡିବ, ତା’ପରେ ସେ ହଁ ଭଗବାନଙ୍କୁ ଧନ୍ୟବାଦ ଦିଅ ଯେ ତୁମେ ପାଇଛ ଅନ୍ୟଥା ଆମେ ପାଦରେ ଘରକୁ ଯିବୁ, କାରଣ ଏହି ସ୍ଥାନରୁ ଆମେ କ means ଣସି ଉପାୟ ପାଇ ନାହୁଁ ଏବଂ ପରେ ଦୀପାଠାରୁ ପଛ ସିଟ୍ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ | ସେ ବସିଗଲା। ତା’ପରେ ତାଙ୍କ ମା କହିଲା ଦୀପା, ତୁମେ ଆଗକୁ ବସ ଏବଂ ଆମ ତିନିଜଣ ପଛରେ ବସି ମୁଁ ପଛକୁ ଚାହିଁବାକୁ ଲାଗିଲି | ଯେତେବେଳେ ସେ ଭିତରୁ ଆଗ ସିଟକୁ ଆସିବା ଆରମ୍ଭ କଲା, ତା’ର ଗୋଟିଏ ବାଣ୍ଡ ମୋ ପାଟିରେ ଥିବା ପୋଷାକରୁ ବାହାରି ଆସିଲା ଏବଂ ସେ କଳା ରଙ୍ଗର ସୁଟ୍ ପିନ୍ଧିଥିଲା ​​ଯାହା ବହୁତ ଟାଣ ଥିଲା ଏବଂ ଯେତେବେଳେ ସେ ଆଗକୁ ଆସିବାକୁ ଗୋଡ ବିସ୍ତାର କଲା, ମୁଁ ତାଙ୍କ ଗୋଡ ମଧ୍ୟରେ ବହୁତ at ାଳ ଦେଖାଗଲା, ସେ ସଂପୂର୍ଣ୍ଣ ଓଦା ଥିଲା ଏବଂ ତା’ପରେ ମୁଁ ଶୀଘ୍ର ବୁ understood ିଲି ଯେ ସେ ସେତେବେଳେ ପ୍ୟାଣ୍ଟୀ ପିନ୍ଧୁ ନଥିଲେ |

    ତା’ପରେ ସେ ଆଗକୁ ଆସି ବସିଲେ ଏବଂ ତାଙ୍କ ମା ଏବଂ ସେହି ମହିଳାମାନେ କଥାବାର୍ତ୍ତା କରିବାରେ ବହୁତ ଭଲ ଥିଲେ ଏବଂ ମୁଁ ତାଙ୍କ ସହ କଥାବାର୍ତ୍ତା କରୁଥିଲି ଏବଂ ବାରମ୍ବାର ତାଙ୍କ ବାଣ୍ଡକୁ ଦେଖୁଥିଲି | ତା’ପରେ ସେ ମୋତେ ହସି ହସି କହିଲା ତୁମର ଗର୍ଲଫ୍ରେଣ୍ଡ ନାହିଁ? ତେଣୁ ମୁଁ କହିଲି ହଁ ନା ଏବଂ ତା’ପରେ ସେ କହିଲା ହଁ ତାପରେ ତୁମେ ସବୁବେଳେ ଏତେ ବିରକ୍ତ | ବନ୍ଧୁଗଣ, ମୁଁ କିଛି ବୁ did ିପାରିଲି ନାହିଁ, ସେ ମୋତେ ଏସବୁ କାହିଁକି କହିଲା? ଏବଂ ଯେତେବେଳେ ସେ କାରରୁ ଓହ୍ଲାଇବାକୁ ଲାଗିଲେ, ମୁଁ ତାଙ୍କ ସ୍ଲିପ୍ ଗାଣ୍ଡିକୁ ଦେଖି ବହୁତ ଉତ୍ସାହିତ ହୋଇଗଲି ଏବଂ ମୁଁ ଘରେ ପହଞ୍ଚିବା ମାତ୍ରେ ବାଥରୁମରେ ପାଟି ମାରିବା ଆରମ୍ଭ କଲି ଏବଂ ତା’ପରେ ମୁଁ କ୍ରମାଗତ ଭାବରେ ପାଟି ମୋଡ଼ି ହୋଇ ଶୋଇପଡିଲି | କିଛି ଦିନ ଏହିପରି ଚାଲିଥିଲା ​​| ତା’ପରେ କିଛି ଦିନ ପରେ ମୋର ତାଉଜି ଏକ ଘର ପାର୍ଟୀ କଲା ଏବଂ ସେହି ସମୟରେ ମୋର ଜେଜେବାପା ମଧ୍ୟ ସେହି କାର୍ଯ୍ୟରେ ଯୋଗଦେବାକୁ ଘରକୁ ଆସିଲେ ଏବଂ ମୁଁ ସେମାନଙ୍କ ସହିତ ଘରକୁ ଗଲି | ମୁଁ ଯେତେବେଳେ ମୋର ତାଉଜିଙ୍କ କୋଠରୀରେ ପହଞ୍ଚିଲି, ଦେଖିଲି ଦୀପା ସେଠାରେ ପ୍ରସ୍ତୁତ ହେଉଛନ୍ତି | ତା’ପରେ ସେ ହଠାତ୍ ଭୟଭୀତ ହୋଇ ମୋ ଆଡକୁ ବୁଲି କହିଲା, ତୁମେ ମୋର ବନ୍ଧୁ କି? ତେଣୁ ମୁଁ କହିଲି ହଁ ମୁଁ, ଯଦି ତୁମର କ work ଣସି କାମ ଅଛି, ମୁଁ ତାହା କରିବି | ତେଣୁ ସେ କହିଲା ଯେ ହଁ ସର୍ବପ୍ରଥମେ ତୁମେ ଏହାକୁ ମୋ ବ୍ଲାଉଜରେ ହୁକ୍ କର, ଏହା ଟିକିଏ ଟାଣ | ତା’ପରେ ଯେତେବେଳେ ମୁଁ ସାଙ୍ଗମାନଙ୍କୁ ହୁକ୍ କରିବା ଆରମ୍ଭ କଲି, ମୁଁ ଜାଣିଲି ଯେ ଏହା ଟିକିଏ ଅଧିକ, କିନ୍ତୁ ବହୁତ କଠିନ | ତା’ପରେ ମୁଁ ତାଙ୍କୁ କହିଲି ଯେ ତୁମେ ମଧ୍ୟ ମୋତେ ସାହାଯ୍ୟ କର | ଏହି ବ୍ଲାଉଜ୍ ବାସ୍ତବରେ ବହୁତ ଜୋରରେ ଏବଂ ତା’ପରେ ସେ ମୋ ହାତକୁ ଏକ ବ୍ଲାଉଜରେ ରଖି ବ୍ଲାଉଜକୁ ଟିକେ ହଲାଇଦେଲା, ଦେଖି ମୋତେ କୋକ ଛିଣ୍ଡାଇ ବାହାରକୁ ଆସିବାକୁ ପଡିଲା | ସମସ୍ତେ ତାଙ୍କୁ ପ୍ରସ୍ତୁତ ହେଉଥିବା ଦେଖିଥିଲେ ଏବଂ ତା’ପରେ ଆମେ ପାର୍ଟୀରେ ନାଚିବା ଆରମ୍ଭ କରିଥିଲୁ, ସେ ମୋ ହାତ ଧରି ମୋ ସହ ନାଚିଲେ ଏବଂ ସମସ୍ତଙ୍କ ସାମ୍ନାରେ ଦେଖାଇଲେ ଯେ ଆମେ ଭାଇଭଉଣୀ, କିନ୍ତୁ ବନ୍ଧୁଗଣ, ମୁଁ ତାଙ୍କୁ ଜାଣେ ନାହିଁ, କିନ୍ତୁ ମୋର ହୃଦୟ ବହୁତ | କିଛି ଥିଲା ଏବଂ ତା’ପରେ ସେହି ଦିନଠାରୁ ଆମେ ଦୁହେଁ ଫୋନରେ ଚାଟିଂ ଆରମ୍ଭ କଲୁ, କିନ୍ତୁ ସତେ ଯେପରି ଆମେ ପରସ୍ପରର ବନ୍ଧୁ |

    ତା’ପରେ ଶେଷରେ ଦିନ ଆସିଗଲା ଯେତେବେଳେ ମୁଁ ତାଙ୍କ ଭାଉଜକୁ ଦେଖିବାର ସୁଯୋଗ ପାଇଲି, କାରଣ ସେଦିନ ତାଙ୍କ ମା ଏବଂ ବାପା ନିକଟସ୍ଥ ଜାଗ୍ରାନ ସହରର କାହା ଘରକୁ ଯାଇ ଦୀପାଙ୍କୁ ମୋ ଘରେ ଛାଡି ମୋ ଘରେ ଛାଡିଥିଲେ | ଚାଲିଗଲା | ଲଡଡୋସ୍ ମୋ ହୃଦୟରେ ବିସ୍ଫୋରଣ ଆରମ୍ଭ କଲା, ସେତେବେଳେ ଶୀତ ଥିଲା ଏବଂ ମୁଁ ବିଛଣାରେ ବସି ଟିଭିରେ କ୍ରିକେଟ୍ ମ୍ୟାଚ୍ ଦେଖୁଥିଲି | ତା’ପରେ କିଛି ସମୟ ପରେ ହଠାତ୍ ଆଲୋକ ଚାଲିଗଲା ଏବଂ ସେହି ସମୟରେ ମ୍ୟାଚ୍ ବହୁତ ମଜାଦାର ଚାଲିଥିଲା, ତା’ପରେ ମୁଁ ଅଟକାଇ ପାରିଲି ନାହିଁ ଏବଂ ମ୍ୟାଚ୍କୁ ମୋ ଲାପଟପ୍ ରେ ରଖିଲି | ସେ ମୋ ପାଖକୁ ଆସି ଠିଆ ହେଲା ଏବଂ ତା’ପରେ ସେ ମ୍ୟାଚ୍ ଦେଖିବା ଆରମ୍ଭ କଲା ଏବଂ ଯେତେବେଳେ ମୁଁ କିଛି ସମୟ ପରେ ତାଙ୍କୁ ଦେଖିଲି, ମୁଁ ନିୟନ୍ତ୍ରଣ ବାହାରକୁ ଆସିଲି | ସେ ଏକ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ନୀଳ ଟି-ସାର୍ଟ ଏବଂ ତଳ ପିନ୍ଧିଥିଲେ | ସେ ସେଥିରେ ଯାହା ଖୋଜୁଥିଲା, ମୋର ହୃଦୟ ତା’ର ବାଣ୍ଡକୁ ଧରି ସବୁ କ୍ଷୀର ପିଇବାକୁ ଲେମ୍ବୁ ପରି ଚିପିବାକୁ ଚେଷ୍ଟା କଲା | ତା’ପରେ ସେ ହସିଲେ ଏବଂ ମୋତେ ମ୍ୟାଚ୍ ଦେଖିବା ପାଇଁ କହିଥିଲେ ଏବଂ ମୋ ଉପରେ ନୁହେଁ ବରଂ ମ୍ୟାଚ୍ ଉପରେ ଧ୍ୟ

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