sagi bahan ki chudai – | otelsan.ru //otelsan.ru Odia Sex Stories Fri, 21 Jun 2019 10:27:53 +0000 en-GB hourly 1 /> मेरे बेहेन अदिति को अमित और उसके बाप ने चोदा – Mere Behen Aditi Ko Amit Aur Uske Baap Ne Choda | otelsan.ru //otelsan.ru/xbrasilporno/mere-behen-aditi-ko-amit-aur-uske-baap-ne-choda/ //otelsan.ru/xbrasilporno/mere-behen-aditi-ko-amit-aur-uske-baap-ne-choda/#respond Fri, 21 Jun 2019 10:27:53 +0000 //otelsan.ru/xbrasilporno/?p=5837 [...]]]> Hini=di Sex Story, Hindi sex kahani, antarvasna, desi kahani, behen ki chudai, bahan ki chut dost ne mari

हेलो दोस्तों, मैं हूँ देब, मैं otelsan.ru पे बहत सरे कहानी पढ़चुका हूँ । आज मैं आपको को राज़ की बात बताने जा रहा हूँ । मेरे उम्र २३ साल हे और मेरे दो बेहेन हे एक मोना जो की हॉस्टल में रहकर पढ़रहा हे और एक अदिति जो की मुझसे ३ साल छोटी हे और वो अभी कॉलेज की तीसरी क्लास में पढता हे । वो बहत ही सुन्दर हे उसकी बूब्स और गांड बड़ा बड़ा हे रंग गोरा और जो भी उससे देखेगा छोड़ने की मन करे गए । मेरे दोस्त अमित जो की एक चूतिया हे वो हमेशा मेरे घर अत जाता हे और उसकी पिता पण्डे अंकल मेरे पिता के दोस्त हे। वो दोनों बाप बेटे ने मेरे बेहेन को चोदते हैं । जब मुझे ये बात पता चला तो मेरे तो होस उड़ गए और ये कहानी और जानने के बाद आपको कैसे लगता हे जरूर बताना ।

एक दिन अमित की मम्मी, पापा दोनों बाहर गए हुए थे तो अमित हमारे घर पर तीन चार दिन के लिए रहने आया था। पहली मंजिल पर मेरा और अदिति का रूम है और नीचे मम्मी पापा सोते है। उस रात को अमित और में लॅपटॉप पर गेम खेल रहे थे और कुछ देर बाद अमित उसके मोबाइल पर किसी से चेट कर रहा था। मुझे लगा कि वो उसकी कोई गर्लफ्रेंड होगी और फिर हम सो गये। जब मेरी रात को दो बजे गर्मी की वजह से आँख खुली तो मैंने देखा कि पंखा बंद था और में पानी पीने के लिए उठा और मैंने देखा कि अमित रूम में नहीं था। मैंने बाथरूम में जाकर चेक किया वो वहां पर भी नहीं था। अब मैंने अदिति के रूम में जाकर भी उसे देखा, लेकिन रूम अंदर से लॉक था और में अपने रूम में आ गया। मुझे लगा कि शायद गर्मी की वजह से अमित छत पर गया होगा। में वापस आकर बेड पर लेट गया और मैंने अमित को एक मैसेज किया कि नीचे आ जा लेकिन फोन की घंटी यहीं पर बजी अमित का मोबाइल मेरे बेड पर ही पड़ा हुआ था। मैंने देखा उसका मोबाइल देखा तो उसमें आखरी बार किसी लड़की से मैसेज से बात हुई थी। अमित ने उसका नंबर किसी गश्ती नाम से सेव किया था और अब मैंने वो उन दोनों की चेट पढ़ी। दोनों की कुछ सेक्सी चेट थी और वो बहुत ही गंदे शब्द में थी जिसको पढ़कर मेरा लंड भी अब खड़ा होने लगा और उसने बाद में लिखा हुआ था कि दरवाजा खुला हुआ है अंदर आ जाना। में कुछ हैरान हो गया।

फिर मैंने जो नंबर गश्ती नाम से सेव था तो उसकी डीटेल में देखा और अब में एकदम से चकित रह गया, क्योंकि वो मेरी बहन का नंबर था जिसका मतलब है कि मेरी सुंदर बहन अमित की रंडी। मुझे यह सब नामुमकिन लग रहा था और फिर में समझ गया कि अमित मेरी बहन के रूम में ही गया हुआ है। अब मैंने एक बार फिर से अदिति के रूम में देखा तो उसका दरवाजा अभी भी बंद था और में समझ गया कि मेरी बहन अंदर सुहागरात मना रही है और में उसका बड़ा भाई अभी तक वर्जिन था और अभी तक सिर्फ़ मुठ का सहारा ले रहा था, लेकिन मुझे अमित पर ज्यादा गुस्सा नहीं आया। में अपने रूम में आ गया और मुझे नींद आ गई। में सो गया और फिर सुबह 8 बजे आँख खुली तो मैंने देखा कि घर पर कोई नहीं था और अमित अपने घर पर चला गया और मेरी बहन भी कॉलेज जा चुकी थी और मम्मी पापा भी नौकरी पर जा चुके थे। मुझे वो रात वाली बात एक सपने की तरह लग रही थी। में सबसे पहले अदिति के रूम पर गया और मैंने देखा कि वहां पर बेड के ऊपर कपड़े बिखरे पड़े थे और बेड को देखकर में सोचने लगा कि कल रात को यहाँ पर मेरी बहन चुद रही थी और फिर में मेरी बहन का रूम साफ करके नहाकर कॉलेज के लिए निकल गया और जब मुझे अमित मिला तो मैंने उससे पूछा कि तुम कल रात कहाँ थे यार? तो उसने कहा कि में गरमी की वजह से छत पर चला गया था, लेकिन अब मैंने उससे ज़्यादा कुछ पूछा नहीं और फिर शाम को में और अमित घर पर आए, लेकिन अदिति पहले से ही घर पर थी। हम तीनों बैठकर इधर उधर की बातें कर रहे थे। शायद पहली बार चुदाई होने की वजह से लड़की का चलने का तरीका बिल्कुल बदल सा जाता है, लेकिन मेरी बहन तो एकदम सही चल रही थी। शायद यह उसकी चुदाई का पहला समय नहीं था।

फिर मम्मी पापा आ गये और हम सबने खाना खाया और कुछ देर टीवी देखकर बातें करके सोने चले गये मुझे फिर से पता था कि आज फिर से अमित और अदिति सेक्स करेंगे। अदिति ने उस समय मेक्सी पहनी हुई थी जिसकी वजह से उसकी गांड बहुत बड़ी दिख रही थी और फिर से अमित शायद मेरी ही बहन से चेट कर रहा था। मैंने सोने का नाटक किया, लेकिन पता नहीं कब मुझे नींद आ गई और मेरी आँख खुली ही नहीं। फिर में सुबह 7 बजे उठा और कॉलेज के लिए तैयार हुआ। अमित सो रहा था तो मैंने सोचा कि बैचारा रात भर थक गया होगा। फिर में अपने कॉलेज के लिए निकल रहा था तो उससे मैंने पहले अदिति को देखा तो वो अभी भी सो रही थी और मैंने उसको उठाया तो बोली वो कि आज उसकी तबीयत कुछ ठीक नहीं तो वो कॉलेज नहीं जा रही है और मैंने जब अमित से पूछा तो वो भी में बाद में आ जाऊंगा कहकर सो गया और अब मुझे पूरा विश्वास था कि वो दोनों बहाना बना रहे है।

फिर में कॉलेज चला गया, लेकिन वहां पर मेरा मन नहीं लग रहा था, क्योंकि अमित मेरे घर पर फ्री का माल चोद रहा था और में यहाँ पर कॉलेज में मक्खियाँ मार रहा था और फिर शाम को में जल्दी घर पर वापस आ गया। तो मैंने देखा कि अमित और अदिति टीवी देख रहे थे और अदिति ने वही रात वाली खुली खुली ढीली ढाली मेक्सी पहनी हुई थी। में फ्रेश होकर आ गया और अब हम ऐसे ही बातें कर रहे थे। अमित मुझे आज बहुत खुश लग रहा था और अदिति भी जैसे कि उनकी कोई लॉटरी लगी हो और उन दोनों को देखकर ही मेरा लंड तनकर खड़ा हो गया। उस दिन अमित के मम्मी पापा वापस आ गये और अमित अपने घर पर चला गया और फिर उस दिन रात को दस बजे के बाद मेरी और अदिति की कुछ बातें शुरू हुई।

में : में तेरे रूम में सोने के लिए आ रहा हूँ क्योंकि मेरे रूम का पंखा खराब है।

अदिति : लेकिन क्यों? ऐसा कभी नहीं हो सकता, क्योंकि मुझे किसी के साथ नींद नहीं आती।

दोस्तों इतना कहकर उसने बहुत गुस्से से दरवाजा बंद कर दिया, मैंने उससे बहुत बार कहा आग्रह किया, लेकिन वो नहीं मानी और फिर वो बोली कि आप मेरे रूम में आ जाओ और में आपके रूम में चली जाती हूँ फिर वो अपना सामान लेकर मेरे रूम में चली गई और फिर में उसी बेड पर सो गया जहाँ पर ना ज़ाने कितनी बार मेरी बहन चुदी होगी? में उसकी चुदाई की बातें सोचकर सो गया। फिर उस दिन भी में उठकर तैयार होकर कॉलेज चला गया, लेकिन उस दिन में जल्दी ही घर पर लौट आया और उस समय करीब तीन बजे थे और अमित भी उस दिन कॉलेज नहीं आया था। अब में उसके घर पर चला गया जो हमारे बिल्कुल पास में ही था, लेकिन मैंने देखा कि उसके घर पर भी ताला लगा हुआ था। मुझे कुछ काम होने की वजह से मैंने अमित के पापा के ऑफिस जाने की सोचा, दोस्तों जैसा कि मैंने पहले आप सभी को बताया था कि पांडे जी यानी कि अमित के पापा एक बहुत अच्छे और इज्जतदार इंसान है। वो एक कम्पनी के मालिक थे और घर से आधे घंटे की दूरी पर उनका ऑफिस है। में वहां पर चला गया और मैंने वहां पर पहुंचकर देखा कि वहां मेरी बहन की स्कूटी खड़ी हुई थी। मुझे अमित पर शक हुआ कि कहीं अदिति उसके साथ यहाँ पर ना आई हो? अब मैंने सोचा कि पहले पांडे अंकल से अपना काम निपटा लूँ और में उसके बाद में इन दोनों को देखूंगा। में उनके ऑफिस जो कि पांचवी मंजिल पर था वहां पर चला गया और अब मैंने उनके सेक्रेटरी मिस्टर समीर से पूछा कि क्या पांडे जी मेरे पड़ोसी है मुझे वो बहुत अच्छी तरह जानते है, लेकिन उन्होंने फिर भी ना जाने क्यों उन्होंने मुझे अंदर जाने नहीं दिया और बहाना बनाकर कहा कि सर कोई मीटिंग में व्यस्त है, लेकिन अब मुझे उस पर शक होने की वजह से में भी मानने वाला नहीं था। मैंने उन्हे बहुत बोला और धमकी भी दी कि में अंकल को बोलकर तुझे तेरी नौकरी से निकलवा दूँगा। हमारी बात कुछ यूँ हुई..

मिस्टर समीर (सेक्रेटरी) : अंदर सर की आईटम, गर्लफ्रेंड आई हुई है और सर उसमे अभी बहुत व्यस्त है। अगर मैंने तुम्हे वहां पर जाने दिया तो वो मेरी सैलेरी काट देंगे।

में : तुम यह क्या पागलों की तरह बोल रहे हो, तुम्हे पता है अंकल शादीशुदा है?

मिस्टर समीर : हाँ, लेकिन उनकी आइटम को देखकर किसी भी बुड्ढे का लंड खड़ा हो जाए।

फिर मुझे भी अब उसकी बातों में बहुत मज़ा आने लगा था और वो उस लड़की की बहुत तारीफ कर रहा था, तभी मुझे अचानक शक हुआ कि अदिति की स्कूटी भी यहीं पर बाहर खड़ी हुई है। कहीं अदिति और पांडे अंकल आज? फिर मैंने तुरंत अपने मोबाईल से अदिति की एक फोटो निकालकर मिस्टर समीर को दिखाई और उनसे पूछा कि कहीं यह तो नहीं? समीर की आँखे फटी की फटी रह गई और मेरा शक अब बिल्कुल सही निकला। में बहुत हैरान था कि समीर मुझसे सच बोल रहा था। उसने पूछा कि क्या तुम इसे जानते हो? तुम्हारे पास इसकी फोटो कहाँ से आई। तभी वो मुझसे बोला कि प्लीज मेरी एक बार इससे सेटिंग करवा दो प्लीज और फिर मैंने आख़िरकार उसे बता ही दिया कि यह मेरी छोटी बहन है तो समीर मेरे मुहं से यह बात सुनकर एकदम चुप हो गया और मैंने उससे कहा कि मुझे एक बार देखना है कि वो दोनों अंदर क्या कर रहे है? तो उसने कहा कि में तुम्हे दिखा सकता हूँ, लेकिन मेरी एक शर्त है? तो मैंने कहा कि मुझे तुम्हारी हर शर्त मंजूर है। फिर भी वो बहुत चालाकी करने लगा और मेरी मजबूरी का फायदा उठाने लगा। मुझे अंदाज़ा नहीं था कि वो इतनी गंदी शर्त रखेगा।

समीर : में तुम्हे उन दोनों का सेक्स दिखाऊंगा तो उसके बदले में मुझे क्या मिलेगा?

में : जो आप बोलो, लेकिन प्लीज़।

समीर : क्या तुम अपने हाथों से मेरी मुठ मारोगे?

में : तुम यह क्या बक रहे हो?

समीर : तो ठीक है, अब तुम बिल्कुल चुपचाप यहाँ से वापस चले जाओ।

फिर मैंने उस समय जल्दी से हाँ कर दिया और फिर वो मुझे एक स्टोर रूम में ले गया और ऑफिस रूम में जहाँ पर एसी लगा हुआ था वहां पर उसके पास तीन इंच जितना एक छेद था। सीड़ीयों की वजह से हम वहां पर खड़े हो गये और अब अंदर का नज़ारा मेरे लिए बहुत ही चौका देने वाला था, क्योंकि अंदर पांडे अंकल सिर्फ़ शर्ट में थे और वो नीचे से पूरे नंगे थे और मेरी बहन बिल्कुल नंगी थी और वो दोनों स्मूच कर रहे थे। दोस्तों उनको देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे एक हसीन माल किसी बुड्ढे के साथ स्मूच कर रहा था और आज मैंने पहली बार मेरी बहन को पूरा नंगा देखा था। अब उन दोनों को देखकर मुझ लग रहा था कि जैसे उनकी पहली चुदाई पूरी हो गई थी और अब दूसरी चुदाई चालू करने वाले थे।

दोस्तों पांडे अंकल दिखने में बहुत गोरे है, लेकिन उनका लंड बहुत काला था। मेरी बहन उनके शरीर को इस तरह चूस रही थी जैसे वो एक भूखी शैरनी हो और अब अदिति धीरे धीरे नीचे की तरफ आ रही थी अब वो अंकल की छाती चाट रही थी। दोस्तों आपको क्या बताऊँ? फिर अंकल ने एक पैर कुर्सी पर रख दिया और अदिति के बाल पकड़कर अपने दोनों पैरों के बीच अदिति का मुहं कर दिया। मेरी बहन मेरे सामने अंकल के काले काले हिस्से को चाट चाटकर साफ कर रही थी। वो अपनी नाक और जीभ को बहुत ही गंदी तरह से लंड पर रगड़ रही थी और उसने उसकी गांड को भी नहीं छोड़ा। मेरी बहन किसी की गांड चाटे, चूसे और वो भी अदिति जो कभी मेरा झूठा पानी भी नहीं पीती वो अपने इतने सुंदर होंठो से अंकल की गांड को चूम रही थी और जीभ से चाट रही थी। मुझे इस बात पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था कि मुझसे ज़्यादा नसीब वाला तो अंकल की गांड का छेद है। में अब यही सब सोच रहा था। इतने में समीर ने मुझसे कहा कि क्यों शर्त याद है और फिर उसने अपना लंड पेंट से बाहर निकाल दिया और अब मुझसे हिलाने को बोला। में एकदम चुपचाप उसका लंड हाथ में लेकर उसकी मुठ मार रहा था।

अब समीर बीच बीच में बोल रहा था कि रंडी नहीं तो रंडी का भाई ही सही। वो मेरी बहन को मेरे सामने ही रंडी बोल रहा था और हम दोनों अंदर देख रहे थे और अब पांडे अंकल ने एक टेबल पर अदिति को लेटा दिया और उसे चोदने लगे। मेरी बहन ठीक मेरे सामने चुद रही थी। में और समीर यह सब देख रहे थे। मेरा एक हाथ समीर के लंड पर था और फिर कुछ देर बाद समीर झड़ गया और उसके वीर्य की कुछ बूंदे मेरे हाथ पर लगी। में लगातार उनकी चुदाई को देखता रहा, लेकिन करीब दस मिनट के बाद अंकल और अदिति दोनों ही अचानक से रुक हो गये। फिर समीर मुझसे बोला कि बाहर चल अब इनकी फिल्म खत्म हो गई है और अब तेरी बहन बाहर आए उससे पहले तुम यहाँ से चले जाओ। फिर में वहां से भागा और जल्दी में मैंने अपने हाथ भी नहीं धोए और घर पर आकर में फ्रेश होने चला गया और मैंने मुठ मार ली। शाम को 6 बजे अदिति घर पर आई तो मैंने उससे पूछा कि तुमने आज घर पर आने में इतनी देर क्यों लगा दी? तो वो बोली कि ट्रेफिक बहुत ज़्यादा था और फिर वो भी फ्रेश होकर आई और हम बैठकर बातें करने लगे। में बार बार उसके होंठो को देख रहा था कि कैसे अभी कुछ देर पहले यह होंठ किसी का लंड चूस रहे थे। अब मेरी समझ में पूरी तरह से आ चुका था कि मेरी छोटी बहन उन दोनों बाप बेटे की रंडी थी। फिर रात को मम्मी पापा आए तो हमने बातें की और फिर उस दिन के बाद मुझे अदिति की सभी हरकते रंडी जैसी लगने लगी। जैसे कोई घर पर आए तो दरवाज़ा खोलकर उसे देखते रहना या किसी भी मेहमान के साथ खुद अकेले रहना बिल्कुल टाईट नाईटी, मेक्सी, टी-शर्ट में ही रहना अपने जिस्म को दिखाकर दूसरों को अपनी तरफ आकर्षित करना और बहुत कुछ ऐसा था जो वो अब करने लगी थी। फिर उसके बाद बहुत बार अमित मुझसे मिलने घर पर आता था, लेकिन मुझसे मिलना तो सिर्फ उसका एक बहाना था। वो तो मेरी रंडी बहन से मिलने के मौके ढूंढता और सही मौका मिलने पर बहुत जमकर उसे चोदता था ।।

धन्यवाद …

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बहन के साथ मस्ती भरी चुदाई की कहानी – Bahan Ke Saath Masti Bhari Chudai Ki Kahani | otelsan.ru //otelsan.ru/xbrasilporno/bahan-ke-saath-masti-bhari-chudai-ki-kahani/ //otelsan.ru/xbrasilporno/bahan-ke-saath-masti-bhari-chudai-ki-kahani/#respond Wed, 19 Jun 2019 18:12:57 +0000 //otelsan.ru/xbrasilporno/?p=5818 [...]]]> bhai bahan ki chudai kahani, hindi sex story, bahan ki chudai, bahan ki chut bhai ki lund, bahi ne bahan ki chudai ki,
otelsan.ru के सभी पाठक और पाठिका को मेरे नमस्ते, मैं हूँ आदित्य । बहत दिनों से otelsan.ru पे कहानी पढ़ रहा हूँ ।
मुझे सेक्स स्टोरी में बहत दिलचस हे और साथ साथ नयी नयी लड़की चोदने में भी इंटरेस्ट हे । मैं सभी तरह की सेक्स स्टोरी पढ़ी हे । मुझे बहत दिनों से एक खुयाइस था की मैं अपनी बहन की छूट मरुँ । लेकिन ये एक दिन सच में हो गया और मैं अपनी सगी बहन की चुदाई कर लिया । तो पढ़िए ये कहानी और आगे की मजा लीजिये । में एक कॉलेज से बीटेक के तीसरे साल का स्टूडेंट हूँ और मेरी उम्र 20 साल है..
में दिखने में ठीक ठाक हूँ और मेरे लंड का साईज 6.5 इंच है और में चूत का बहुत बड़ा शौक़ीन हूँ। यह घटना मेरी और मेरे मामा की लड़की की है.. उसका नाम ईशा है और वो अब बीकॉम के पहले साल में है। वो दिखने में बहुत सुंदर और मोटे मोटे बूब्स और गांड तो बस देखने से ही अच्छे अच्छो के लंड खड़े हो जाते है।

हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे और एक दूसरे से सभी तरह की बातें शेयर करते थे.. लेकिन बस सेक्स की बातों को छोड़कर.. में उसका साईज भी आप सभी को बता दूँ.. उसका साईज 34-28-36 है और यह कुछ दिन पहले की बात है.. में अपने कॉलेज की छुट्टियाँ बिताने के लिए अपने मामा के घर पर आया हुआ था। तो हम दोनों सारा दिन बैठकर बातें करते रहते थे और बहुत मज़े करते थे। दोस्तों उस टाईम तक मेरे मन में उसके लिए किसी भी तरह की कोई भी ग़लत बात नहीं थी.. लेकिन फिर एक दिन मामा और मामी किसी प्रोग्राम में बाहर गये हुए थे और मुझसे घर पर रुकने के लिए बोलकर गये थे और फिर हम दोनों गेम खेलने लगे। फिर गेम खेलते खेलते अचानक से मेरा हाथ उसकी कमर पर लग गया.. लेकिन उसने मुझसे कुछ नहीं कहा.. और एक मुस्कान देकर फिर से खेलने लगे.. तो एकदम से दिल में एक अजीब सा ऐहसास हुआ और मैंने उसके हाथ पर हाथ रख दिया। तो वो एकदम से ऐसे खड़ी हुई जैसे उसको 240 वॉल्ट का करंट लग गया हो।

फिर इतना होने के बाद वो बाहर भाग गई और मुझे भी अपनी गलती महसूस हुई.. लेकिन फिर भी मेरा सेक्स का बुखार शांत होने वाला नहीं था और में उसके पीछे गया तो मैंने देखा तो वो नहाने के लिए बाथरूम में चली गई और में चुपचाप आकर टीवी देखने ल्गा। इतने में ही मुझे एक बहुत ज़ोर से आवाज़ आई जैसे कुछ गिरा हो.. तो में भागकर कमरे से बाहर गया और मैंने बाथरूम के पास जाकर देखा तो ईशा नीचे जमीन पर गिरी पड़ी है और उसका टावल भी पूरा खुला पड़ा था। दोस्तों मैंने पहली बार किसी लड़की को पूरा नंगा देखा था.. और में उसे इस हालत में कुछ देर देखता रहा और उसके पीछे का हिस्सा मुझे दिख रहा था.. मतलब उसकी कमर और गांड। फिर मैंने अपने आपको संभाला और उससे पूछा कि ईशा क्या हुआ? तो उसने मुझसे कहा कि दिखता नहीं में गिर गई हूँ.. मुझे उठाओ.. बहुत दर्द हो रहा है। तो मैंने जल्दी से उसे अपने दोनों हाथों का सहारा देकर खड़ा किया.. वो एकदम नंगी मेरी आखों के सामने थी.. उसकी चूत छोटी सी थी और उस पर हल्के हल्के बाल भी थे। बिल्कुल गुलाबी कलर की.. में उसे देखता ही रह गया। तभी उसने उठकर अपना टावल ऊपर खींच लिया और में एकदम होश में आ गया। फिर वो मुझसे बोलने लगी.. बेशर्म में तेरी बहन हूँ ऐसे घूर घूरकर क्या देख रहा है? तो मैंने अपना सर नीचे कर लिया.. तभी उसने कहा कि मुझसे चला नहीं जा रहा.. मुझे अपनी गोद में उठाओ। तो मैंने उसे गोद में उठा लिया और बेडरूम में ले गया.. और उसे बेड पर लेटा दिया.. लेकिन अब भी उसके बूब्स हल्के हल्के दिखाई दे रहे थे और मेरा लंड खड़ा हो चुका था। तो मैंने उससे कहा कि तुम सीधी लेटी रहो.. में दवाई लाता हूँ.. में दूसरे कमरे में जाकर दवाई लेकर आया और में उसकी कमर पर दवाई लगाने लगा और कमर पर दवाई लगाते हुये मेरा हाथ अचानक से उसके बूब्स पर लग गया.. तो मेरे मन में एक अजीब सा अहसास हुआ और में अपने आपको रोक नहीं पाया और मैंने धीरे से उसकी कमर पर किस कर दिया.. वो एकदम से सीधी हुई तो उसके बूब्स मेरे मुहं पर छू गये और उसे भी अजीब सा महसूस होने लगा और फिर उसने मेरा मुहं अपने दोनों हाथों से पकड़ा और मेरे होंठो पर किस कर दिया। तो अब में भी नहीं रुक सका और में भी उसे किस करने लगा और मेरा एक हाथ उसके बूब्स पर था और दूसरा पेट पर.. वो अजीब सी आवाज़ निकाल रही थी उह्ह्ह अह्ह्ह और कह रही थी मुझे और ज़ोर से किस करो। तो में भी पूरे जोश में था मैंने अपनी शर्ट उतार दी और उसके बूब्स को चूमने चाटने लगा.. वो अजीब सी आवाज़ निकाल रही थी अहह आदित्य और ज़ोर से चूसो.. पी लो आज इनका सारा दूध.. बहुत दिन से मेरा तुझसे चुदने का मन कर रहा था।

फिर इतने में उसने अपना एक हाथ मेरे लंड पर रख दिया। पेंट के ऊपर से ही वो मेरे लंड को रगड़ने लगी और फिर उसने मेरी पेंट को खोल दिया। तो में भी उसके सामने पूरा नंगा था और अब में उसकी गर्दन पर, पेट पर, होंठ पर, बूब्स पर बारी बारी से किस करने लगा। तो वो अब बहुत गरम हो गई फिर मैंने मौके का फायदा उठाते हुए उसकी चूत पर अपना हाथ रख दिया.. वो एकदम से सिहर उठी और उसकी चूत पानी छोड़ने लगी और वो बोलने लगी कि आदित्य अब बस डाल दो मुझसे रहा नहीं जा रहा.. जल्दी करो और चोद दो मुझे.. फाड़ दो मेरी चूत। तो मैंने उसे सीधा लेटाया और उसकी चूत पर किस करने लगा.. वो आईइ उह्ह्ह्ह सीईई कर रही थी। फिर मैंने अपना लंड हाथ में लिया और उसकी चूत पर रख दिया और रगड़ने लगा और वो अपने आप झटके मारने लगी और लंड अंदर लेने की कोशिश करने लगी.. मैंने उसके छेद पर अपना लंड रखा और हल्का सा धक्का मारा तो वो एकदम से चिल्ला उठी और बोलने लगी कि प्लीज बाहर निकालो भैया बहुत दर्द हो रहा है।

में उसकी खराब हालत को देखकर वही रुक गया और वो आवाज़ निकालने लगी आईइ अहह माँ बचाओ मार दिया मुझे और अब उसकी चूत से खून आने लगा। तो मैंने एक मिनट शांत रहने के बाद फिर से जोरदार झटका मारा.. इस बार मैंने मेरा पूरा 6.5 इंच का लंड अंदर उतार दिया। तो वो ज़ोर से बोली कि आह में मर जाउंगी प्लीज इसको बाहर निकालो.. लेकिन में कहाँ सुनने वाला था.. दो मिनट रुका और आराम आराम से झटके मारने लगा। तो वो भी चुदाई के मज़े लेने लगी और अहह उह्ह्ह माँ मर गई की आवाज़ निकालने लगी और मैंने अपनी स्पीड बड़ा दी और वो भी नीचे से धीरे धीरे झटके मारने लगी और मेरा पूरा साथ देने लगी। तभी थोड़ी देर बाद वो बोलने लगी कि मेरी चूत से कुछ निकल रहा है और वो उम्म अह्ह्ह की आवाज़ निकालते हुई झड़ गई.. उसकी चूत की गर्मी से में भी झड़ गया। फिर वो मुझसे पूछने लगी कि क्या तुम वर्जिन थे? तो मैंने कहा कि नहीं में वर्जिन नहीं हूँ। फिर हम दोनों ने किस किया और कुछ देर लेटे रहे और फिर से हमने दो बार सेक्स किया और सो गए। सुबह उठकर एक बार फिर सेक्स किया और नहाकर कपड़े चेंज किए ।।

धन्यवाद …

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भाई बेहेन की पहली संगम – Bhai Behen Ki Pehli Sangam | otelsan.ru //otelsan.ru/xbrasilporno/bhai-behen-ki-pehli-sangam/ //otelsan.ru/xbrasilporno/bhai-behen-ki-pehli-sangam/#respond Thu, 03 Jan 2019 22:42:39 +0000 //otelsan.ru/xbrasilporno/?p=4399 [...]]]> मेरा नाम रीता है । मेरा छोटा भाई राकेश दसवी मैं पढ़ता है । वह गोरा चिट्टा और करीब मेरे ही बराबर लम्बा भी है । मैं इस समय 23 की हूँ और वह १५ का । मुझे भैय्या के गुलाबी होंठ बहूत प्यारे लगते हैं । दिल करता है कि बस चबा लूं । पापा गल्फ़ में है और माँ गवर्नमेंट जोब में । माँ जब जोब की वजह से कहीं बाहर जाती तो घर मैं बस हम दो भाई बहन ही रह जाते थे । मेरे भाई का नाम राकेश है और वह मुझे दीदी कहता है । एक बार मान कुछ दिनों के लिये बाहर गयी थी । उनकी इलेक्शन ड्यूटी लग गयी थी । माँ को एक हफ़्ते बाद आना था । रात मैं डिनर के बाद कुछ देर टी वी देखा फ़िर अपने-अपने कमरे मैं सोने के लिये चले गये।करीब एक आध घण्टे बाद प्यास लगने की वजह से मेरी नींद खुल गयी । अपनी सीधे टेबल पर बोटल देखा तो वह खाली थी । मैं उठ कर किचन मैं पानी पीने गयी तो लौटते समय देखा कि राकेश के कमरे की लाइट ओन थी और दरवाज़ा भी थोड़ा सा खुला था । मुझे लगा कि शायद वह लाइट ओफ़ करना भूल गया है मैं ही बन्द कर देती हूँ ।
मैं चुपके से उसके कमरे में गयी लेकिन अन्दर का नजारा देखकर मैं हैरान हो गयी ।राकेश एक हाथ मैं कोई किताब पकड़ कर उसे पढ़ रहा था और दूसरा हाथ से अपने तने हुए लण्ड को पकड़ कर मुठ मार रहा था । मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि इतना मासूम लगने वाला दसवी का यह छोकरा ऐसा भी कर सकता है । मैं दम साधे चुपचाप खड़ी उसकी हरकत देखती रही, लेकिन शायद उसे मेरी उपस्थिति का आभास हो गया । उसने मेरी तरफ़ मुँह फेरा और दरवाजे पर मुझे खड़ा देखकर चौंक गया। वह बस मुझे देखता रहा और कुछ भी ना बोल पाया । फिर उसने मुँह फ़ेर कर किताब तकिये के नीचे छुपा दी । मुझे भी समझ ना आया कि क्या करूं । मेरे दिल मैं यह ख्याल आया कि कल से यह लड़का मुझसे शर्मायेगा और बात करने से भी कतरायेगा । घर मैं इसके अलावा और कोई है भी नहीं जिससे मेरा मन बहलता । मुझे अपने दिन याद आये। मैं और मेरा एक कज़िन इसी उमर के थे जब से हमने मज़ा लेना शुरू किया था तो इसमें कौन सी बड़ी बात थी अगर यह मुठ मार रहा था ।मैं धीरे-धीरे उसके पास गयी और उसके कंधे पर हाथ रखकर उसके पास ही बैठ गयी। वह चुपचाप लेटा रहा ।
मैंने उसके कंधो को दबाते हुई कहा, “अरे राकेश, अगर यही करना था तो कम से कम दरवाज़ा तो बन्द कर लिया होता” । वह कुछ नहीं बोला, बस मुँह दूसरी तरफ़ किये लेटा रहा । मैंने अपने हाथों से उसका मुँह अपनी तरफ़ किया और बोली “अभी से ये मज़ा लेना शुरू कर दिया। कोई बात नहीं मैं जाती हूँ तो अपना मज़ा पूरा कर ले। लेकिन जरा यह किताब तो दिखा। मैंने तकिये के नीचे से किताब निकाल ली। यह हिन्दी मैं लिखे मस्तराम की किताब थी। मेरा कज़िन भी बहूत सी मस्तराम की किताबें लाता था और हम दोनों ही मजे लेने के लिये साथ-साथ पढ़ते थे।
चुदाई के समय किताब के डायलोग बोल कर एक दूसरे का जोश बढ़ाते थे।जब मैं किताब उसे देकर बाहर जाने के लिये उठी तो वह पहली बार बोला, “दीदी सारा मज़ा तो आपने खराब कर दिया, अब क्या मज़ा करुंगा।”अरे! अगर तुमने दरवाज़ा बन्द किया होता तो मैं आती ही नहीं।”और अगर आपने देख लिया था तो चुपचाप चली जाती। अगर मैं बहस मैं जीतना चाहती तो आसानी से जीत जाती लेकिन मेरा वह कज़िन करीब ६ मंथ्स से नहीं आया था इसलिये मैं भी किसी से मज़ा लेना चाहती ही थी।
राकेश मेरा छोटा भाई था और बहूत ही सेक्सी लगता था इसलिये मैंने सोचा कि अगर घर में ही मज़ा मिल जाये तो बाहर जाने की क्या जरूरत? फिर राकेश का लौड़ा अभी कुंवारा था। मैं कुँवारे लण्ड का मज़ा पहली बार लेती, इसलिये मैंने कहा, “चल अगर मैंने तेरा मज़ा खराब किया है तो मैं ही तेरा मज़ा वापस कर देती हूँ। फिर मैं पलंग पर बैठ गयी और उसे चित लिटाया और उसके मुर्झाये लण्ड को अपनी मुट्ठी में लिया। उसने बचने की कोशिश की पर मैंने लण्ड को पकड़ लिया था।
अब मेरे भाई को यकीन हो चुका था कि मैं उसका राज नहीं खोलूंगी, इसलिये उसने अपनी टांगे खोल दी ताकि मैं उसका लण्ड ठीक से पकड़ सकूँ। मैंने उसके लण्ड को बहूत हिलाया-डूलाया लेकिन वह खड़ा ही नहीं हुआ। वह बड़ी मायूसी के साथ बोला “देखा दीदी अब खड़ा ही नहीं हो रहा है।”अरे! क्या बात करते हो? अभी तुमने अपनी बहन का कमाल कहाँ देखा है। मैं अभी अपने प्यारे भाई का लण्ड खड़ा कर दूंगी। ऐसा कह मैं भी उसके बगल में ही लेट गयी।
मैं उसका लण्ड सहलाने लगी और उससे किताब पढ़ने को कहा। “दीदी मुझे शर्म आती है। “साले अपना लण्ड बहन के हाथ में देते शर्म नहीं आयी। मैंने ताना मारते हुए कहा “ला मैं पढ़ती हूँ। और मैंने उसके हाथ से किताब ले ली । मैंने एक स्टोरी निकाली जिसमे भाई बहन के डायलोग थे। और उससे कहा, “मैं लड़की वाला बोलूँगी और तुम लड़के वाला। मैंने पहले पढ़ा, “अरे राजा मेरी चूचियों का रस तो बहूत पी लिया अब अपना बनाना शेक भी तो टेस्ट कराओ” ।”अभी लो रानी पर मैं डरता हूँ इसलियेकि मेरा लण्ड बहूत बड़ा है, तुम्हारी नाजुक कसी चूत में कैसे जायेगा?और इतना पढ़कर हम दोनों ही मुस्करा दिये क्योंकि यह हालत बिलकुल उलटे थे। मैं उसकी बड़ी बहन थी और मेरी चूत बड़ी थी और उसका लण्ड छोटा था। वह शर्मा गया लेकिन थोड़ी सी पढ़ायी के बाद ही उसके लण्ड मैं जान भर गयी और वह तन कर करीब ६ इँच का लम्बा और १५ । इँच का मोटा हो गया।
मैंने उसके हाथ से किताब लेकर कहा, “अब इस किताब की कोई जरूरत नहीं । देख अब तेरा खड़ा हो गया है । तो बस दिल मैं सोच ले कि तू किसी की चोद रहा है और मैं तेरी मु्ठ मार देती हूँ” ।मैं अब उसके लण्ड की मु्ठ मार रही थी और वह मज़ा ले रहा था । बीच बीच मैं सिस्कारियां भी भरता था । एकाएक उसने चूतड़ उठा कर लण्ड ऊपर की ओर ठेला और बोला, “बस दीदी” और उसके लण्ड ने गाढ़ा पानी फेंक दिया जो मेरी हथेली पर गिरा । मैं उसके लण्ड के रस को उसके लण्ड पर लगाती उसी तरह सहलाती रही और कहा, “क्यों भय्या मज़ा आया””सच दीदी बहूत मज़ा आया” । “अच्छा यह बता कि ख़्यालों मैं किसकी ले रहे थे?” “दीदी शर्म आती है । बाद मैं बताऊँगा” ।
इतना कह उसने तकिये मैं मुँह छुपा लिया ।”अच्छा चल अब सो जा नींद अच्छी आयेगी । और आगे से जब ये करना हो तो दरवाज़ा बन्द कर लिया करना” । “अब क्या करना दरवाज़ा बन्द करके दीदी तुमने तो सब देख ही लिया है” ।”चल शैतान कहीं के” । मैंने उसके गाल पर हलकी सी चपत मारी और उसके होंठों को चूमा । मैं और किस करना चाहती थी पर आगे के लिये छोड़ कर वापस अपने कमरे में आ गयी । अपनी सलवार कमीज उतार कर नाइटी पहनने लगी तो देखा कि मेरी पैंटी बुरी तरह भीगी हुयी है ।
राकेश के लण्ड का पानी निकालते-निकालते मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया था । अपना हाथ पैंटी मैं डालकर अपनी चूत सहलाने लगी ऊंगलियों का स्पर्श पाकर मेरी चूत फ़िर से सिसकने लगी और मेरा पूरा हाथ गीला हो गया । चूत की आग बुझाने का कोई रास्ता नहीं था सिवा अपनी उँगली के । मैं बेड पर लेट गयी । राकेश के लण्ड के साथ खेलने से मैं बहूत एक्साइटिड थी और अपनी प्यास बुझाने के लिये अपनी बीच वाली उँगली जड़ तक चूत मैं डाल दी । आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है |
तकिये को सीने से कसकर भींचा और जान्घों के बीच दूसरा तकीया दबा आंखे बन्द की और राकेश के लण्ड को याद करके उँगली अन्दर बाहर करने लगी । इतनी मस्ती चढ़ी थी कि क्या बताये, मन कर रहा था कि अभी जाकर राकेश का लण्ड अपनी चूत मैं डलवा ले । उँगली से चूत की प्यास और बढ़ गयी इसलिये उँगली निकाल तकिये को चूत के ऊपर दबा औन्धे मुँह लेट कर धक्के लगाने लगी । बहुत देर बाद चूत ने पानी छोड़ा और मैं वैसे ही सो गयी ।सुबह उठी तो पूरा बदन अनबुझी प्यास की वजह से सुलग रहा था । लाख रगड़ लो तकिये पर लेकिन चूत मैं लण्ड घुसकर जो मज़ा देता है उसका कहना ही क्या । बेड पर लेटे हुए मैं सोचती रही कि राकेश के कुँवारे लण्ड को कैसे अपनी चूत का रास्ता दिखाया जाये । फिर उठ कर तैयार हुयी । राकेश भी स्कूल जाने को तैयार था ।
नाश्ते की टेबल हम दोनों आमने-सामने थे । नजरें मिलते ही रात की याद ताजा हो गयी और हम दोनों मुस्करा दिये । राकेश मुझसे कुछ शर्मा रहा था कि कहीं मैं उसे छेड़ ना दूँ । मुझे लगा कि अगर अभी कुछ बोलूँगी तो वह बिदक जायेगा इसलिये चाहते हुई भी ना बोली । चलते समय मैंने कहा, “चलो आज तुम्हे अपने स्कूटर पर स्कूल छोड़ दूँ” । वह फ़ौरन तैयार हो गया और मेरे पीछे बैठ गया । वह थोड़ा सकुचाता हुआ मुझसे अलग बैठा था । वह पीछे की स्टेपनी पकड़े था ।
मैंने स्पीड से स्कूटर चलाया तो उसका बैलेंस बिगड़ गया और सम्भालने के लिये उसने मेरी कमर पकड़ ली । मैं बोली, “कसकर पकड़ लो शर्मा क्यों रहे हो?””अच्छा दीदी” और उसने मुझे कसकर कमर से पकड़ लिया और मुझसे चिपक सा गया । उसका लण्ड खड़ा हो गया था और वह अपनी जान्घों के बीच मेरे चूतड़ को जकड़े था ।”क्या रात वाली बात याद आ रही है राकेश “”दीदी रात की तो बात ही मत करो । कहीं ऐसा ना हो कि मैं स्कूल मैं भी शुरू हो जाऊँ” । “अच्छा तो बहूत मज़ा आया रात में””हाँ दीदी इतना मज़ा जिन्दगी मैं कभी नहीं आया । काश कल की रात कभी खत्म ना होती । आपके जाने के/की बाद मेरा फ़िर खड़ा हो गया था पर आपके हाथ मैं जो बात थी वो कहाँ । ऐसे ही सो गया” ।”तो मुझे बुला लिया होता । अब तो हम तुम दोस्त हैं । एक दूसरा के काम आ सकते हैं” ।”
तो फ़िर दीदी आज राख का प्रोग्राम पक्का” ।”चल हट केवल अपने बारे मैं ही सोचता है । ये नहीं पूछता कि मेरी हालत कैसी है? मुझे तो किसी चीज़ की जरूरत नहीं है? चल मैं आज नहीं आती तेरे पास।”अरे आप तो नाराज हो गयी दीदी । आप जैसा कहेंगी वैसा ही करुंगा । मुझे तो कुछ भी पता नहीं अब आप ही को मुझे सब सिखाना होगा” ।तब तक उसका स्कूल आ गया था । मैंने स्कूटर रोका और वह उतरने के बाद मुझे देखने लगा लेकिन मैं उस पर नज़र डाले बगैर आगे चल दी । आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है |
स्कूटर के शीशे मैं देखा कि वह मायूस सा स्कूल में जा रहा है । मैं मन ही मन बहूत खुश हुयी कि चलो अपने दिल की बात का इशारा तो उसे दे ही दिया ।शाम को मैं अपने कालेज से जल्दी ही वापस आ गयी थी । राकेश २ बजे वापस आया तो मुझे घर पर देखकर हैरान रह गया । मुझे लेटा देखकर बोला, “दीदी आपकी तबीयत तो ठीक है?” “ठीक ही समझो, तुम बताओ कुछ होमवर्क मिला है क्या” “दीदी कल सण्डे है ही । वैसे कल रात का काफी होमवर्क बचा हुआ है” ।
मैंने हंसी दबाते हुए कहा, “क्यों पूरा तो करवा दिया था । वैसे भी तुमको यह सब नहीं करना चाहिये । सेहत पर असर पढ़ता है । कोई लड़की पटा लो, आजकल की लड़कियाँ भी इस काम मैं काफी इंटेरेस्टेड रहती हैं” । “दीदी आप तो ऐसे कह रही हैं जैसे लड़कियाँ मेरे लिये सलवार नीचे और कमीज ऊपर किये तैयार है कि आओ पैंट खोलकर मेरी ले लो” । “नहीं ऐसी बात नहीं है । लड़की पटानी आनी चाहिये” ।फिर मैं उठ कर नाश्ता बनाने लगी । मन मैं सोच रही थी कि कैसे इस कुँवारे लण्ड को लड़की पटा कर चोदना सिखाऊँ? लंच टेबल पर उससे पूछा, “अच्छा यह बता तेरी किसी लड़की से दोस्ती है?””हाँ दीदी सुधा से” ।”कहाँ तक””बस बातें करते हैं और स्कूल मैं साथ ही बैठते हैं” ।
मैंने सीधी बात करने के लिये कहा, “कभी उसकी लेने का मन करता है?””दीदी आप कैसी बात करती हैं” । वह शर्मा गया तो मैं बोली, “इसमे शर्माने की क्या बात है । मुट्ठी तो तो रोज मारता है । ख़्यालों मैं कभी सुधा की ली है या नहीं सच बता” । “लेकिन दीदी ख़्यालों मैं लेने से क्या होता है” । “तो इसका मतलब है कि तो उसकी असल में लेना चाहता है” । मैंने कहा ।”उससे ज्यादा तो और एक है जिसकी मैं लेना चाहता हूँ, जो मुझे बहूत ही अच्छी लगती है” । “जिसकी कल रात ख़्यालों मैं ली थी” उसने सर हिलाकर हाँ कर दिया पर मेरे बार-बार पूछने पर भी उसने नाम नहीं बताया । इतना जरूर कहा कि उसकी चूदाई कर लेने के बाद ही उसका नाम सबसे पहले मुझे बतायेगा ।
मैंने ज्यादा नहीं पूछा क्योंकि मेरी चूत फ़िर से गीली होने लगी थी । मैं चाहती थी कि इससे पहले कि मेरी चूत लण्ड के लिये बेचैन हो वह खुद मेरी चूत मैं अपना लण्ड डालने के लिये गिड़गिड़ाये। मैं चाहती थी कि वह लण्ड हाथ में लेकर मेरी मिन्नत करे कि दीदी बस एक बार चोदने दो । मेरा दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा था इसलिये बोली, “अच्छा चल कपड़े बदल कर आ मैं भी बदलती हूँ” ।वह अपनी यूनीफोर्म चेंज करने गया और मैंने भी प्लान के मुताबिक अपनी सलवार कमीज उतार दी । फिर ब्रा और पैंटी भी उतार दी क्योंकि पटाने के मदमस्त मौके पर ये दिक्कत करते । आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है |
अपना देसी पेटीकोट और ढीला ब्लाउज़ ही ऐसे मौके पर सही रहते हैं । जब बिस्तर पर लेटो तो पेटीकोट अपने/अपनी आप आसानी से घुटने तक आ जाता है और थोड़ी कोशिश से ही और ऊपर आ जाता है । जहाँ तक ढीलें ब्लाउज़ का सवाल है तो थोड़ा सा झुको तो सारा माल छलक कर बाहर आ जाता है । बस यही सोच कर मैंने पेटीकोट और ब्लाउज़ पहना था ।वह सिर्फ़ पायजामा और बनियान पहनकर आ गया । उसका गोरा चित्त चिकना बदन मदमस्त करने वाला लग रहा था । एकाएक मुझे एक आइडिया आया । मैं बोली, “मेरी कमर मैं थोड़ा दर्द हो रहा है जरा बाम लगा दे” ।
यह बेड पर लेटने का पर्फेक्ट बहाना था और मैं बिस्तर पर पेट के बल लेट गयी । मैंने पेटीकोट थोड़ा ढीला बांधा था इस लिये लेटते ही वह नीचे खिसक गया और मेरी बीच की दरार दिखाये देने लगी । लेटते ही मैंने हाथ भी ऊपर कर लिये जिससे ब्लाउज़ भी ऊपर हो गया और उसे मालिश करने के लिये ज्यादा जगह मिल गयी । वह मेरे पास बैठ कर मेरी कमर पर (आयोडेक्स पैन बाम) लगाकर धीरे धीरे मालिश करने लगा । उसका स्पर्श (तच) बड़ा ही सेक्सी था और मेरे पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी । थोड़ी देर बाद मैंने करवट लेकर राकेश की और मुँह कर लिया और उसकी जान्घ पर हाथ रखकर ठीक से बैठने को कहा । करवट लेने से मेरी चूचियों ब्लाउज़ के ऊपर से आधी से ज्यादा बाहर निकाल आयी थी । उसकी जान्घ पर हाथ रखे रखे ही मैंने पहले की बात आगे बढ़ाई, “तुझे पता है कि लड़की कैसे पटाया जाता है?””अरे दीदी अभी तो मैं बच्चा हूँ । यह सब आप बतायेंगी तब मालूम होगा मुझे” ।
आयोडेक्स लगने के दौरान मेरा ब्लाउज़ ऊपर खींच गया था जिसकी वजह से मेरी गोलाइयाँ नीचे से भी झांक रही थी । मैंने देखा कि वह एकटक मेरी चूचियों को घूर रहा है । उसके कहने के अन्दाज से भी मालूम हो गया कि वह इस सिलसिले मैं ज्यादा बात करना चाह रहा है।”अरे यार लड़की पटाने के लिये पहले ऊपर ऊपर से हाथ फेरना पड़ता है, ये मालूम करने के लिये कि वह बूरा तो नहीं मानेगी” । “पर कैसे दीदी” । उसने पूछा और अपने पैर ऊपर किये । आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है |
मैंने थोड़ा खिसक कर उसके लिये जगह बनायी और कहा, “देख जब लड़की से हाथ मिलाओ तो उसको ज्यादा देर तक पकड़ कर रखो, देखो कब तक नहीं छुटाती है । और जब पीछे से उसकी आँख बन्द कर के पूछों कि मैं कौन हूँ तो अपना केला धीरे से उसके पीछे लगा दो । जब कान मैं कुछ बोलो तो अपना गाल उसके गाल पर रगड़ दो । वो अगर इन सब बातों का बूरा नहीं मानती तो आगे की सोचों” ।राकेश बड़े ध्यान से सुन रहा था । वह बोला, “दीदी सुधा तो इन सब का कोई बूरा नहीं मानती जबकि मैंने कभी ये सोच कर नहीं किया था । कभी कभी तो उसकी कमर मैं हाथ डाल देता हूँ पर वह कुछ नहीं कहती” । “तब तो यार छोकरी तैयार है और अब तो उसके साथ दूसरा खेल शुरू कर” ।
“कौन सा दीदी” “बातों वाला । यानी कभी उसके सन्तरो की तारीफ करके देख क्या कहती है । अगर मुस्करा कर बूरा मानती है तो समझ ले कि पटाने मैं ज्यादा देर नहीं लगेगी” ।”पर दीदी उसके तो बहुत छोटे-छोटे सन्तरे हैं । तारीफ के काबिल तो आपके है” । वह बोला और शर्मा कर मुँह छुपा लिया । मुझे तो इसी घड़ी का इंतजार था । मैंने उसका चेहरा पकड़ कर अपनी और घूमते हुए कहा, “मैं तुझे लड़की पटाना सीखा रही हूँ और तो मुझी पर नजरें जमाये है” ।”नहीं दीदी सच मैं आपकी चूचियों बहूत प्यारी है । बहुत दिल करता है” । और उसने मेरी कमर मैं एक हाथ डाल दिया ।
“अरे क्या करने को दिल करता है ये तो बता” । मैंने इठला कर पूछा ।”इनको सहलाने का और इनका रस पीने का” । अब उसके हौसले बुलन्द हो चुके थे और उसे यकीन था कि अब मैं उसकी बात का बूरा नहीं मानूँगी । “तो कल रात बोलता । तेरी मुठ मारते हुए इनको तेरे मुँह मैं लगा देती । मेरा कुछ घिस तो नहीं जाता । चल आज जब तेरी मुठ मारूंगी तो उस वक्त अपनी मुराद पूरी कर लेना” । इतना कह उसके पायजामा मैं हाथ डालकर उसका लण्ड पकड़ लिया जो पूरी तरह से तन गया था । “अरे ये तो अभी से तैयार है” ।तभी वह आगे को झुका और अपना चेहरा मेरे सीने मैं छुपा लिया । आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है |
मैंने उसको बांहों मैं भरकर अपने करीब लिटा लिया और कस के दबा लिया । ऐसा करने से मेरी चूत उसके लण्ड पर दबने लगी । उसने भी मेरी गर्दन मैं हाथ डाल मुझे दबा लिया । तभी मुझे लगा कि वो ब्लाउज़ के ऊपर से ही मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ को चूस रहा है । मैंने उससे कहा “अरे ये क्या कर रहा है? मेरा ब्लाउज़ खराब हो जायेगा” ।उसने झट से मेरा ब्लाउज़ ऊपर किया और निप्पल मुँह मैं लेकर चूसना शुरू कर दिया। मैं उसकी हिम्मत की दाद दिये बगैर नहीं रह सकी ।
वह मेरे साथ पूरी तरह से आजाद हो गया था । अब यह मेरे ऊपर था कि मैं उसको कितनी आजादी देती हूँ । अगर मैं उसे आगे कुछ करने देती तो इसका मतलब था कि मैं ज्यादा बेकरार हूँ चुदवाने के लिये और अगर उसे मना करती तो उसका मूड़ खराब हो जाता और शायद फ़िर वह मुझसे बात भी ना करे । इस लिये मैंने बीच का रास्ता लिया और बनावटी गुस्से से बोली, “अरे ये क्या तो तो जबरदस्ती करने लगा । तुझे शर्म नहीं आती” ।”ओह्ह दीदी आपने तो कहा था कि मेरा ब्लाउज़ मत खराब कर । रस पीने को तो मना नहीं किया था इसलिये मैंने ब्लाउज़ को ऊपर उठा दिया” । उसकी नज़र मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ पर ही थी जो कि ब्लाउज़ से बाहर थी । वह अपने को और नहीं रोक सका और फ़िर से मेरी चूचींयाँ को मुँह मैं ले ली और चूसने लगा ।
मुझे भी मज़ा आ रहा था और मेरी प्यास बढ़ रही थी । कुछ देर बाद मैंने जबरदस्ती उसका मुँह लेफ़्ट चूचींयाँ से हटाया और राइट चूचींयाँ की तरफ़ लेते हुए बोली, “अरे साले ये दो होती हैं और दोनों मैं बराबर का मज़ा होता है” ।उसने राइट मम्मे को भी ब्लाउज़ से बाहर किया और उसका निप्पल मुँह मैं लेकर चुभलाने लगा और साथ ही एक हाथ से वह मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ को सहलाने लगा । कुछ देर बाद मेरा मन उसके गुलाबी होंठों को चूमने को करने लगा तो मैंने उससे कहा, “कभी किसी को किस किया है?” “नहीं दीदी पर सुना है कि इसमें बहूत मज़ा आता है” । “बिल्कुल ठीक सुना है पर किस ठीक से करना आना चाहिये” ।कैसे”उसने पूछा और मेरी चूचींयाँ से मुँह हटा लिया ।
अब मेरी दोनों चूचियों ब्लाउज़ से आजाद खुली हवा मैं तनी थी लेकिन मैंने उन्हे छिपाया नहीं बल्कि अपना मुँह उसकेउसकी मुँह के पास लेजा कर अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिये फ़िर धीरे से अपने होंठ से उसके होंठ खोलकर उन्हे प्यार से चूसने लगी । करीब दो मिनट तक उसके होंठ चूसती रही फ़िर बोली ।”ऐसे” ।वह बहूत एक्साइटिड हो गया था । इससे पहले कि मैं उसे बोलूँ कि वह भी एक बार किस करने की प्रक्टीस कर ले, वह खुद ही बोला, “दीदी मैं भी करूं आपको एक बार” “कर ले” । मैंने मुस्कराते हुए कहा ।राकेश ने मेरी ही स्टाइल मैं मुझे किस किया । आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है | मेरे होंठों को चूसते समय उसका सीना मेरे सीने पर आकर दबाव डाल रहा था जिससे मेरी मस्ती दो गुणी हो गयी थी । उसका किस खत्म करने के बाद मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और बांहों मैं लेकर फ़िर से उसके होंठ चूसने लगी । इस बार मैं थोड़ा ज्यादा जोश से उसे चूस रही थी । उसने मेरी एक चूचींयाँ पकड़ ली थी और उसे कस कसकर दबा रहा था । मैंने अपनी कमर आगे करके चूत उसके लण्ड पर दबायी । लण्ड तो एकदम तन कर आयरन रोड हो गया था । चुदवाने का एकदम सही मौका था पर मैं चाहती थी कि वह मुझसे चोदने के लिये भीख माँगें और मैं उस पर एहसान करके उसे चोदने की इजाजत दूँ ।मैं बोली, “चल अब बहूत हो गया, ला अब तेरी मुठ मार दूँ” । “दीदी एक रिक्वेस्ट करूँ” “क्या” मैंने पूछा । “लेकिन रिक्वेस्ट ऐसी होनी चाहिये कि मुझे बुरा ना लगे” । ऐसा लग रहा था कि वह मेरी बात ही नहीं सुन रहा है बस अपनी कहे जा रहा है । वह बोला, “दीदी मैंने सुना है कि अन्दर डालने मैं बहूत मज़ा आता है । डालने वाले को भी और डलवाने वाले को भी । मैं भी एक बार अन्दर डालना चाहता हूँ” ।”नहीं राकेश तुम मेरे छोटे भाई हो और मैं तुम्हारी बड़ी बहन” । “दीदी मैं आपकी लूँगा नहीं बस अन्दर डालने दीजिये” । “अरे यार तो फ़िर लेने मैं क्या बचा” । “दीदी बस अन्दर डालकर देखूँगा कि कैसा लगता है, चोदूंगा नहीं प्लीज़ दीदी” ।मैंने उस पर एहसान करते हुए कहा, “तुम मेरे भाई हो इसलिये मैं तुम्हारी बात को मना नहीं कर सकती पर मेरी एक सर्त है । तुमको बताना होगा कि अकसर ख़्यालों मैं किसकी चोदते हो?” और मैं बेड पर पैर फैला कर चित लेट गयी और उसे घुटने के बल अपने ऊपर बैठने को कहा । वह बैठा तो उसके पायजामा के ज़र्बन्द को खोलकर पायजामा नीचे कर दिया । उसका लण्ड तन कर खड़ा था । मैंने उसकी बांह पकड़ कर उसे अपने ऊपर कोहनी के बल लिटा लिया जिससे उसका पूरा वज़न उसके घुटने और कोहनी पर आ गया । वह अब और नहीं रूक सकता था । उसने मेरी एक चूचींयाँ को मुँह मैं भर लिया जो की ब्लाउज़ से बाहर थी । मैं उसे अभी और छेड़ना चाहती थी । सुन राकेश ब्लाउज़ ऊपर होने से चुभ रहा है ।
ऐसा कर इसको नीचे करके मेरे सन्तरे धाप दे” । “नहीं दीदी मैं इसे खोल देता हूँ” । और उसने ब्लाउज़ के बटन खोल दिये। अब मेरी दोनों चुचियां पूरी नंगी थी । उसने लपक कर दोनों को कब्जे मैं कर लिया । अब एक चूचींयाँ उसके मुँह मैं थी और दूसरी को वह मसल रहा था । वह मेरी चूचियों का मज़ा लेने लगा और मैंने अपना पेटीकोट ऊपर करके उसके लण्ड को हाथ से पकड़ कर अपनी गीली चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया । कुछ देर बाद लण्ड को चूत के मुँह पर रखकर बोली, “ले अब तेरे चाकू को अपने ख़रबूज़े पर रख दिया है पर अन्दर आने से पहले उसका नाम बता जिसकी तो बहूत दिन से चोदना चाहता है और जिसे याद करके मुठ मारता है” । वह मेरी चूचियों को पकड़ कर मेरे ऊपर झुक गया और अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिये । मैं भी अपना मुँह खोलकर उसके होंठ चूसने लगी । कुछ देर बाद मैंने कहा, “हाँ तो मेरे प्यारे भाई अब बता तेरे सपनों की रानी कौन है” । आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है | “दीदी आप बुरा मत मानियेगा पर मैंने आज तक जितनी भी मुठ मारी है सिर्फ़ आपको ख़्यालों मैं रखकर” ।”हाय भय्या तो कितना बेशर्म है । अपनी बड़ी बहन के बारे मैं ऐसा सोचता था” । “ओह्ह दीदी मैं क्या करूं आप बहूत खूबसूरत और सेक्सी है । मैं तो कब से आपकी चूचियों का रस पीना चाहता था और आपकी चूत मैं लण्ड डालना चाहता था । आज दिल की आरजू पूरी हुयी” । और फ़िर उसने शर्मा कर आंखे बन्द करके धीरे से अपना लण्ड मेरी चूत मैं डाला और वादे के मुताबिक चुपचाप लेट गया ।”अरे तो मुझे इतना चाहता है । मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि घर मैं ही एक लण्ड मेरे लिये तड़प रहा है । पहले बोला होता तो पहले ही तुझे मौका दे देती” ।
और मैंने धीरे-धीरे उसकी पीठ सहलानी शुरू कर दी । बीच-बीच मैं उसकी गाँड भी दबा देती ।”दीदी मेरी किस्मत देखिये कितनी झान्टू है । जिस चूत के लिये तड़प रहा था उसी चूत में लण्ड पड़ा है पर चोद नहीं सकता । पर फ़िर भी लग रहा है की स्वर्ग मैं हूँ” । वह खुल कर लण्ड चूत बोल रहा था पर मैंने बूरा नहीं माना । “अच्छा दीदी अब वादे के मुताबिक बाहर निकालता हूँ” । और वह लण्ड बाहर निकालने को तैयार हुआ ।मैं तो सोच रही थी कि वह अब चूत मैं लण्ड का धक्का लगाना शुरू करेगा लेकिन यह तो ठीक उलटा कर रहा था । मुझे उस पर बड़ी दया आयी । साथ ही अच्छा भी लगा कि वादे का पक्का है । अब मेरा फ़र्ज़ बनता था कि मैं उसकी वफादारी का इनाम अपनी चूत चुदवाकर दूँ । इस लिये उससे बोली, “अरे यार तूने मेरी चूत की अपने ख़्यालों में इतनी पूजा की है । और तुमने अपना वादा भी निभाया इसलिये मैं अपने प्यारे भाई का दिल नहीं तोड़ूँगी । आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है | चल अगर तो अपनी बहन को चोद्कर बहनचोद बनना ही चाहता है तो चोद ले अपनी जवान बड़ी बहन की चूत” । मैंने जान कर इतने गन्दे वर्ड्स उसे कहे थे पर वह बूरा ना मान कर खुश होता हुआ बोला, “सच दीदी” । और फ़ौरन मेरी चूत मैं अपना लण्ड धका धक पेलने लगा कि कहीं मैं अपना इरादा ना बदल दूँ ।”तू बहुत किस्मत वाला है राकेश ” । मैं उसके कुँवारे लण्ड की चूदाई का मज़ा लेते हुए बोली । क्यों दीदी” “अरे यार तू अपनी जिन्दगी की पहली चूदाई अपनी ही बहन की कर रहा है । और उसी बहन की जिसकी तू जाने कबसे चोदना चाहता था” ।”हाँ दीदी मुझे तो अब भी यकीन नहीं आ रहा है, लगता है सपने में चोद रहा हूँ जैसे रोज आपको चोदता था” । फिर वह मेरी एक चूचींयाँ को मुँह मैं दबा कर चूसने लगा । उसके धक्कों की रफ्तार अभी भी कम नहीं हुयी थी । मैं भी काफी दिनों के बाद चुद रही थी इसलिये मैं भी चूदाई का पूरा मज़ा ले रही थी ।वह एक पल रुका फ़िर लण्ड को गहराई तक ठीक से पेलकर ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा । वह अब झड़ने वाला था । मैं भी सातवें आसमान पर पहूँच गयी थी और नीचे से कमर उठा-उठा कर उसके धक्कों का जवाब दे रही थी । उसने मेरी चूचींयाँ छोड़ कर मेरे होंठों को मुँह मैं ले लिया जो कि मुझे हमेशा अच्छा लगता था । मुझे चूमते हुई कस कस कर दो चार धक्के दिये और और “हाय रीता मेरी जान” कहते हुए झड़कर मेरे ऊपर चिपक गया । मैंने भी नीचे से दो चार धक्के दिये और “हाय मेरे राजा कहते हुए झड़ गयी ।चुदाई के जोश ने हम दोनों को निढाल कर दिया था ।
हम दोनों कुछ देर तक यूँ ही एक दूसरे से चिपके रहे । कुछ देर बाद मैंने उससे पूछा, “क्यों मज़ा आया मेरे बहनचोद भाई को अपनी बहन की चूत चोदने में” उसका लण्ड अभी भी मेरी चूत में था । उसने मुझे कसकर अपनी बांहों में जकड़ कर अपने लण्ड को मेरी चूत पर कसकर दबाया और बोला, “बहुत मजा आया दीदी । यकीन नहीं होता कि मैंने अपनी बहन को चोदा है और बहनचोद बन गया हूँ” । “तो क्या मैंने तेरी मुठ मारी है” “नहीं दीदी यह बात नहीं है” । “तो क्या तुझे अब अफसोस लग रहा है अपनी बहन को चोद्कर बहनचोद बनने का” ।”नहीं दीदी ये बात भी नहीं है । आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है | मुझे तो बड़ा ही मज़ा आया बहनचोद बनने मैं । मन तो कर रह कि बस अब सिर्फ़ अपनी दीदी की जवानी का रा ही पीता रहूं । हाय दीदी बल्कि मैं तो सोच रहा हूँ कि भगवान ने मुझे सिर्फ़ एक बहन क्यों दी । अगर एक दो और होती तो सबको चोदता । दीदी मैं तो यह सोच रहा हूँ कि यह कैसे चूदाई हुयी कि पूरी तरह से चोद लिया लेकिन चूत देखी भी नहीं” ।”कोई बात नहीं मज़ा तो पूरा लिया ना?” “हाँ दीदी मज़ा तो खूब आया” । “तो घबराता क्यों है? अब तो तूने अपनी बहन चोद ही ली है । अब सब कुछ तुझे दिखाऊंगी । जब तक माँ नहीं आती मैं घर पर नंगी ही रहूँगी और तुझे अपनी चूत भी चटवाऊँगी और तेरा लण्ड भी चूसूँगी । बहुत मज़ा आता है” । “सच दीदी” “हाँ । अच्छा एक बात है तो इस बात का अफसोस ना कर कि तेरे सिर्फ़ एक ही बहन है, मैं तेरे लिये और चूत का जुगाड़ कर दूंगी” । आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है | “नहीं दीदी अपनी बहन को चोदने मैं मज़ा ही अनोखा है । बाहर क्या मज़ा आयेगा” “अच्छा चल एक काम कर तो माँ को चोद ले और मादरचोद भी बन जा” । “ओह दीदी ये कैसे होगा””घबरा मत पूरा इन्तज़ाम मैं कर दूंगी । माँ अभी ३८ साल की है, तुझे मादरचोद बनने मैं भी बड़ा मज़ा आयेगा” ।”हाय दीदी आप कितनी अच्छी हैं । दीदी एक बार अभी और चोदने दो इस बार पूरी नंगी करके चोदूंगा” । “जी नहीं आप मुझे अब माफ़ करिये” । “दीदी प्लीज़ सिर्फ़ एक बार” । और लण्ड को चूत पर दबा दिया ।”सिर्फ एक बार” । मैंने ज़ोर देकर पूछा । “सिर्फ एक बार दीदी पक्का वादा” ।
“सिर्फ एक बार करना है तो बिलकुल नहीं” । “क्यों दीदी” अब तक उसका लण्ड मेरी चूत मैं अपना पूरा रस निचोड़ कर बाहर आ गया था । मैंने उसे झटके देते हुए कहा, “अगर एक बार बोलूँगी तब तुम अभी ही मुझे एक बार और चोद लोगे” “हाँ दीदी” ।”ठीक है बाकी दिन क्या होगा । बस मेरी देखकर मुठ मारा करेगा क्या । और मैं क्या बाहर से कोई लाऊंगी अपने लिये । अगर सिर्फ़ एक बार मेरी लेनी है तो बिलकुल नहीं” ।उसे कुछ देर बाद जब मेरी बात समझ मैं आयी तो उसके लण्ड में थोड़ी जान आयी और उसे मेरी चूत पड़ा रगड़ते हुए बोला, “ओह दीदी यू र ग्रेट” ।

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