bhai behen ki sex story – | otelsan.ru //otelsan.ru Odia Sex Stories Sun, 19 May 2019 17:10:59 +0000 en-GB hourly 1 /> छोटे भाई को मेरे बिस्तर पे सुलाके चुदाई सिखाया – Chote Bhai Ko Mere Bistar Pe Sulake Chudai Sikhai | otelsan.ru //otelsan.ru/xbrasilporno/chote-bhai-ko-mere-bistar-pe-sulake-chudai-sikhai/ //otelsan.ru/xbrasilporno/chote-bhai-ko-mere-bistar-pe-sulake-chudai-sikhai/#comments Sun, 19 May 2019 17:10:59 +0000 //otelsan.ru/xbrasilporno/?p=5543 [...]]]> hindi sex story, otelsan.ru, desi kahani, antarvasna, kamukta, behen ki chut chudai kahani, bhai behen ki chudai kahani

हेलो दोस्तों मैं हूँ अमृता और आप सब अभी otelsan.ru पे मेरी कहानी पढ़ने जा रहे हो । उम्मीद हे सभी लड़कियां अपनी चुत पे ऊँगली करना सुरु कर चुके होंगे और लड़के अपने लंड को पकड़के हिलना भी सुरु कर चुके होंगे । मेरे उम्र अभी २२ साल हे और मुझे चुदाई की प्यास बहत हे । आप मेरी ये कहानी पढ़िए और मेरे बारे में अपना राय दीजिये । दोस्तों मेरे माता, पिता हमेशा से ही चाहते थे कि उनको एक बेटा हो लेकिन में उनकी पहली औलाद थी और मुझसे छोटी मेरी बहन पायल 21 साल की है तो दोस्तों जब वो पैदा हुई.. तब भी मेरे माता, पिता की लड़के की ख्वाहिश कम नहीं हुई और फिर इसके कुछ सालों के बाद मेरा भाई रोहन पैदा हुआ.. वो हमारी फेमिली में सबसे छोटा है और हमारी फेमिली एक दूसरे से बहुत प्यार से रहती थी..
कभी किसी से नहीं लड़ता और हम सभी में सिर्फ़ प्यार ही प्यार था। फिर एक दिन मुझसे बहुत बड़ा पाप हो गया लेकिन मुझे नहीं लगता कि वो पाप था लेकिन दुनिया की नज़रो में तो वो पाप ही था और वही पाप में आज आप सभी को विस्तार से बताने जा रही हूँ।

दोस्तों स्कूल में मेरी सभी फ्रेंड्स बहुत शैतान और बहुत बिगड़ी हुई थी। उस स्कूल का तरीका ही ऐसा था और वहाँ पर सीनियर्स और जूनियर्स सबके बॉयफ्रेंड थे लेकिन अभी तक मेरा कोई नहीं था और सब लोग एक दूसरे से दिन भर सेक्स सम्बन्धित बातें करते रहते थे और फिर मेरी भी धीरे-धीरे सबसे दोस्ती हो गयी और में भी धीरे-धीरे इसी रंग में ढलने लगी। फिर कुछ दिनों के बाद मुझे दो लड़को ने प्रपोज़ भी किया लेकिन मैंने मना कर दिया.. क्योंकि मुझे कोई ऐसा लड़का चाहिए था.. जो मेरी परवाह करे और मुझसे सच्चा प्यार करे और ऐसा अब इस दुनिया में परिवार के अलावा और नहीं मिल सकता था तो मुझे दूसरे जोड़ो को देखकर जलन होती थी.. क्योकि मुझे भी कोई चाहिए था। मेरी कुछ फ्रेंड्स सेक्सी किताबें पढ़ती थी और उनके पास सेक्स फिल्म का बहुत सारा हर तरह का बहुत अच्छा कलेक्शन था।

फिर में भी धीरे-धीरे सेक्स की आदि हो गयी थी.. आप सभी जानते है कि जिनके पास कोई सेक्स करने के लिए नहीं होता.. वो ही ऐसी फिल्म देखते है और बाकी लोग सेक्स करते है.. वो इस फिल्म पर अपना टाईम खराब नहीं करते। दोस्तों मुझे सेक्स बुक्स और सेक्सी फिल्म की आदत पड़ गयी और अपनी चूत में उंगली भी करने लगी और अब यार मुझे किसी भी तरह असली लंड चाहिए था लेकिन उसके साथ सच्चा प्यार भी चाहिए था और मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि में क्या करूं? में अब मेरे ही पापा और अपने छोटे भाई को अलग तरह से देखने लगी और मुझे लगा कि में यह कुछ ट्राई करूं लेकिन मुझे यह सब मुमकिन नहीं लगता था। दोस्तों वैसे मेरे पापा और छोटा भाई मुझसे बहुत अच्छी तरह से रहते थे और मुझे बहुत प्यार भी करते थे और मुझे लगता था कि यह सब पापा के साथ तो बहुत मुश्किल है और ना मुमकिन भी है तो मैंने सोचा कि क्यों ना अपने छोटे भाई रोहन के साथ कुछ ट्राई किया जाए और मेरे मन में बहुत घबराहट तो थी लेकिन वो सेक्स की तड़प से ज़्यादा नहीं थी और मेरे दिमाग़ में अब सेक्स ही था और कुछ नहीं था। रात को हम तीनो साथ ही सोते थे और रोहन मुझसे छोटा था.. इसलिए उसके साथ यह सब करना आसान था और मैंने तो बहुत दिनों से उसका लंड नहीं देखा था और बचपन में तो बहुत बार देखा था और अब तो वो मुझे अपनी चूत के अंदर चाहिए था। मुझे पता नहीं कि इस उम्र में उसका लंड खड़ा होता होगा या नहीं। वैसे नॉर्मली आज कल लोग इस उम्र में मुठ मारने लग जाते है.. जैसा मैंने एक कहानी में पढ़ा था और फिर एक रात..

में : रोहन तुझे गणित में कुछ पूछना था ना.. तू आज मुझसे गणित में जो भी समस्या है तो वो सब पूछ लेना.. क्योंकि तीन दिन बाद तेरा एजाग्म है।

रोहन : लेकिन दीदी मुझे तो नींद आ रही है।

में : नहीं रोहन आज रात को दो चेप्टर्स ख़त्म करने पड़ेंगे।

रोहन : ठीक है दीदी।

फिर मैंने उसको बहुत देर रात तक पढ़ाया और वो पढ़ते-पढ़ते मेरे बेड पर ही सो गया। उस समय गर्मी बहुत थी और उसने बनियान, बरमूडा पहना हुआ था और मैंने टी-शर्ट, केफ्री और जब सबको नींद आ गयी.. तब मैंने रोहन के लंड को देखकर अपनी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया। फिर में कुछ देर बाद एक बार तो झड़ गयी लेकिन मुझे उसके साथ कुछ करना था लेकिन मुझे डर भी बहुत लग रहा था कि कहीं कुछ ग़लत हो गया तो और अगर उसने माँ, पापा को बता दिया तो क्या होगा। तो वो अब हर रोज़ रात को मेरे साथ बहुत देर तक पढ़ाई करता और मेरे बेड पर ही सो जाया करता था और में उसके लंड को देखकर ही अपनी चूत में ऊँगली करती थी। एक दिन रात को मैंने थोड़ी हिम्मत करके उसका एक हाथ पकड़कर उसे धीरे से मेरी पेंटी के अंदर डाल दिया और सोने का नाटक किया और उसके कुछ ही देर बाद मैंने उसको ज़ोर ज़ोर से हिलाना शुरू किया और उसे डांटकर फटकार कर उठाया और उससे कहा कि रोहन तेरा हाथ मेरी पेंटी में क्या कर रहा था और तुझे जरा सी भी शरम नहीं आती.. में तेरी बड़ी बहन हूँ और तू मेरे साथ यह सब कर रहा था तो वो गहरी नींद में था.. इसलिए वो बहुत डरकर धीरे से उठ गया और उसने अपने हाथ को जल्दी से पेंटी से बाहर निकाल दिया।

रोहन : दीदी यह मैंने नहीं डाला.. मुझे माफ़ कर दो दीदी और अब ऐसा कभी नहीं होगा। मुझे नहीं पता यह कैसे हुआ.. प्लीज आप किसी को मत बताना.. माफ़ कर दो।

में : रोहन तू बहुत बिगड़ गया है.. में सुबह होते ही माँ, पापा को सब बता दूँगी कि तू मेरे साथ क्या कर रहा था।

फिर वो मेरी यह बात सुनकर रोहन ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा और फिर मुझे उस पर दया आ गयी तो मैंने उसे अपने गले से लगाकर चुप करवाया और मैंने उससे कहा कि ठीक है चल अब चुप हो.. में किसी को नहीं बताउंगी तो वो मेरी यह बात को सुनकर एकदम चुप हो गया और वो मुझसे बोला कि अब में आपके बेड पर कभी भी नहीं सोउंगा तो मैंने उससे कहा कि तुझे यही सोना पड़ेगा क्योंकि अगर तू नहीं सोया तो में माँ, पापा को सब कुछ बता दूँगी और फिर दूसरे दिन मैंने उससे पूरे दिन पूछा कि..

में : रोहन तू इतना बिगड़ कैसे गया और तुझे कौन बिगाड़ रहा है और तुझे यह सब कौन सिखाता है।

रोहन : दीदी मेरे दो तीन फ्रेंड्स है और वो सब बहुत गंदी गंदी बातें करते है.. शायद उनके कारण मुझसे ऐसा हो गया.. सॉरी दीदी।

में : कोई बात नहीं।

रोहन : लेकिन प्लीज आप किसी को मत बताना।

में : ठीक है लेकिन मेरी एक शर्त है कि तू मुझे वो सब बताएगा.. जो तेरे फ्रेंड्स तुझे बताते है।

रोहन : दीदी वो सब बहुत गंदी गंदी बातें करते है और वो सभी बातें मुझे आपको बताने में भी शरम आ रही है।

में : तू नहीं बताएगा तो फिर तू जानता है कि में क्या कर सकती हूँ।

रोहन : ठीक है दीदी में कल से आपको सब बातें बताउगा।

दोस्तों फिर धीरे-धीरे समय गुजरता गया और हम दोनों एक दूसरे से बहुत खुलने लगे और अब रोहन मेरी हर बात मानने लगा था.. में रात को उस पर पैर रखकर सोने लगी और अपने बड़े बड़े बूब्स उसके शरीर से छूने लगी और में जानबूझ कर कभी कभी पेंटी, ब्रा भी नहीं पहनती थी। एक दिन जब रात को में चूत में ऊँगली कर रही थी तो रोहन जाग गया.. मेरी आखें बंद थी और वो मुझे देखकर बोला कि दीदी यह क्या कर रही हो।

में : रोहन मुझे बहुत डर लग रहा है प्लीज़ तू मुझे एक बार हग करना और उस समय ऊँगली करते करते में झड़ने वाली थी.. इसलिए मेरी स्पीड भी अपने आप बड़ चुकी थी।

रोहन : क्या हुआ.. ठीक है में करता हूँ।

फिर मैंने भी उसको हग किया और में भूल गई थी कि मैंने पेंटी नहीं पहनी है.. में उस पर ही झड़ गयी और मैंने उसको मदहोशी में अपने दोनों पैरों के बीच में दबा लिया था और मेरी चूत का सारा पानी उसकी अंडरवियर पर निकल गया।

रोहन : दीदी आप पागल हो क्या? आपने यह क्या किया।

में : चुपचाप रह.. सब सो रहे है और थोड़ा धीरे बोल वरना कोई उठ जाएगा।

रोहन : दीदी लेकिन यह सब ग़लत है।

में : क्यों तूने जो उस दिन किया था.. क्या वो सही था?

रोहन : दीदी में उस दिन नींद में था लेकिन आप तो जाग रही थी।

में : क्या तुझे मेरे बूब्स देखने है।

रोहन : दीदी आप पागल हो क्या.. आप मेरी बहन हो।

में : लगता है तेरी शिकायत माँ, पाप से करनी पड़ेगी।

रोहन : यार दीदी आप तो मुझे बहुत ब्लेकमेल कर रही हो।

फिर मैंने उसके पास आकर उसके हाथ अपने बूब्स पर लगवा दिए। उसको पहले बहुत अजीब सा लगा लेकिन फिर उसने बोला कि दीदी अंधेरा बहुत है और मुझे यह देखना है कि यह कैसे होते है.. क्योंकि मैंने कभी नहीं देखे तो मैंने बोला कि तू चिंता मत कर में तुझे सुबह दिखा दूँगी। अभी तू इनको ज़ोर से दबा और उसने वैसा ही किया और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.. वो मेरे बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था और में अपनी चूत में उंगली करके झड़ गई। दोस्तों उस दिन मैंने और कुछ नहीं किया और फिर उसके अगले दिन रोहन मेरे पास आया और मुझसे बोला कि दीदी प्लीज मुझे आपके बूब्स दिखा दो तो मैंने कहा कि तू थोड़ा इंतजार कर.. जिस दिन जब हम दोनों घर पर अकेले होंगे.. तब में तुझे सब कुछ दिखा दूँगी। फिर रात को वो खुद मेरी टी-शर्ट में हाथ डालकर मेरे बूब्स को एक एक करके जोश में आकर दबाने, मसलने लगा तो मैंने उससे पूछा कि क्या तू इनको टेस्ट करेगा.. उसने साफ मना कर दिया तो मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी और फिर मैंने खुद ही उसको बारी बारी से अपने बूब्स चूसाने शुरू कर दिए और वो बहुत अच्छी तरह से चूस रहा था और मुझे ऐसा लग रहा था कि उसको बूब्स बहुत अच्छे से चूसने आते है और अब उसको भी बड़ा मज़ा आया।

फिर मैंने सोचा कि आज बहुत अच्छा मौका है और मैंने उससे बोला कि रोहन तू अपनी पेंट उतार दे लेकिन उसने मना किया तो मैंने ज़बरदस्ती करके उसकी पेंट उतार दी और उसकी अंडरवियर के ऊपर से ही उसके लंड को हाथ लगाकर महसूस किया तो उसका 4 इंच का लंड खड़ा हुआ था और उसको मुझसे बहुत शरम आ रही थी लेकिन जोश भी चढ़ चुका था। फिर मैंने कुछ देर बाद सही मौका देखकर उसकी अंडरवियर को भी उतार दिया और में भी पूरी नंगी हो गयी और हम दोनों एक ही चादर के अंदर घुस गये तो वो बहुत सोच रहा था कि अब वो क्या करे। फिर मैंने उसके लंड को अपने एक हाथ से छुआ और महसूस किया.. दोस्तों वो क्या अहसास था और मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था और अब धीरे-धीरे उसको भी मज़ा आने लगा था तो में अब उसके लंड को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी थी लेकिन मैंने उसका 3-4 मिनट तक ही हिलाया और वो मेरे हाथ पर ही झड़ गया और उसको शरम आ गयी। फिर मैंने उसका सारा वीर्य अपने हाथ पर से और उसके लंड से चाट लिया और उसे बहुत अच्छे से साफ कर दिया तो वो बोला कि छी दीदी.. यह तो मेरे लंड से निकला है तो मैंने उसकी इतनी प्यारी बात और बहुत खुश होकर उसको किस किया.. में इतनी खुश थी कि में क्या बताऊँ। मैंने अपनी पूरी जीभ उसके मुहं में घुसा दी और उसकी भी जीभ को बहुत जमकर चूसा तो उसका लंड इतनी जोश भरी किस के कारण फिर से तनकर खड़ा हो गया था और मेरी चूत को सलामी देने लगा लेकिन इस बार मैंने उससे कहा कि मैंने तेरा वीर्य चाटा है और अब तू तेरी जीभ से मेरी चूत चाटेगा तो उसने साफ मना किया और में उसके मुहं को जबरदस्ती अपनी जांघो से दबाकर उसके मुहं को चूत पर धक्के मारने लगी और वो भी मेरी चूत में अपनी पूरी जीभ को डालकर अंदर बाहर करके चूसने लगा लेकिन में इतनी ज़्यादा जोश में थी कि बहुत जल्दी ही रोहन के मुहं में झड़ गयी और वो मेरा पूरा रस चूस गया और उसने कहा कि दीदी आपके पानी का स्वाद बहुत अच्छा लगा लेकिन थोड़ा थोड़ा नमकीन सा लगा। फिर मैंने कहा कि रुक में तुझे अभी और भी पिलाती हूँ.. अभी मुझे भी प्यास लगी है और मैंने उसका लंड मुहं में लिया और चूसना स्टार्ट किया और 69 पोज़िशन में लेट गए। मैंने उसका मुहं अपनी चूत से लगाकर ज़ोर से दबा लिया। मुझे 69 पोज़िशन में बहुत मज़ा आया और कुछ देर के बाद हम दोनों एक दूसरे के मुहं में झड़ गए। हमने फिर से एक बहुत लंबा किस किया और कपड़े पहनकर सो गये.. में रात को उसकी अंडरवीयर में अपना एक हाथ डालकर सोई थी और में रात भर उसकी गांड की मालिश और लंड की गर्माहट लेती रही लेकिन वो तो थककर गहरी नींद में सोया था। फिर उसके अगले दिन पापा के ऑफिस जाते ही मम्मी भी किसी काम से बाज़ार चली गयी और पायल स्कूल चली गई लेकिन रोहन को मैंने रोक लिया और वो भी मान गया और समझ गया कि मैंने उसे क्यों रोका है।

में : रोहन आज घर पर कोई नहीं हम दोनों अकेले है। आज तुझे जो करना है वो कर.. में मना नहीं करूँगी।

फिर वो मेरे पास आया और मेरे बूब्स को कपड़ो के ऊपर से ही अपने दोनों हाथों से महसूस करने लगा और फिर उसने मेरी टी-शर्ट को उतार दिया। मैंने टी-शर्ट के अंदर कुछ नहीं पहना था और जैसे ही उसने टी-शर्ट को खोला तो मेरे दोनों बूब्स उसकी नजरों के सामने थे और मेरे बूब्स को छूकर उसका लंड खड़ा हो गया। फिर वो बूब्स को बहुत देर तक घूरकर देखता रहा और वो बहुत खुश था.. फिर उसने अपने मुहं को आगे बड़ाकर बूब्स को किसी छोटे बच्चे की तरह चूसना स्टार्ट कर दिया तो मैंने बोला कि तू मेरे सामने पूरा नंगा हो जा लेकिन उसको शरम आ रही थी.. मैंने बोला कि जल्दी हो जा… नहीं तो कोई आ जाएगा।

फिर वो जल्दी से पूरा नंगा हो गया लेकिन उसने अपने दोनों हाथों से अपना लंड छुपाया हुआ था और फिर मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और वो मेरी चूत को एक टक नजर से देखने लगा और उसका खड़ा लंड देखकर मुझसे रुका नहीं गया और मैंने थोड़ा नीचे झुककर उसका तना हुआ लंड पूरा मुहं में लिया और लोलीपोप की तरह चूसा लेकिन वो दो तीन मिनट में ही झड़ गया। फिर मैंने भी उससे अपनी चूत चटवाई.. उसने चूत चाटते हुए कहा कि कल तो आपकी चूत पर बहुत सारे बाल थे लेकिन आज वो सब कहाँ गये तो मैंने कहा कि आज मेरे भाई को दिखाने के लिए मैंने वो सब साफ कर दिए और फिर उसने बहुत अच्छे से मेरी कामुक चूत को चाटा। फिर मैंने उसको अपनी चूत का छेद दिखाया और बोला कि अब तेरा लंड इसमे जाएगा लेकिन उसको कुछ भी समझ में नहीं आया और उससे मैंने बोला कि तू थोड़ा रुक जा.. अभी सब समझ में आ जाएगा।

फिर में उसके बदन को मेरे बदन से सटाकर उसे चूमने लगी। वो भी जोश में था.. इसलिए बहुत ज़्यादा गरम था और उसका लंड फिर से खड़ा हो गया तो मैंने रोहन को बेड पर लेटा दिया और उसके पूरे शरीर को चूमते हुए उसके लंड को किस किया.. उसके लंड से थोड़ा वीर्य निकल रहा था.. मैंने उसको चाटा तो उसका बड़ा नमकीन सा स्वाद था। फिर मैंने उसके लंड पर अपनी चूत का छेद रखा और में एकदम सीधी लेट गई तो उसे और मुझे दोनों को थोड़ा थोड़ा दर्द हुआ और उसका लंड बार बार फिसल रहा था तो मैंने उसको बोला कि तू भी अब नीचे से धक्का मारना और उसने वैसा ही किया और फिर मेरी चूत में उसका लंड घुस गया तो उसने बोला कि दीदी आपकी चूत अंदर से बहुत गरम है लेकिन मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था और मैंने जोश में बहुत ज़ोर ज़ोर से अपनी चूत को धक्के मारे और उसने भी अपनी तरफ से धक्के मारे और कुछ देर बाद हम दोनों ही एक एक करके झड़ गये और उसको बहुत मज़ा आ रहा था.. क्योंकि यह पहला सेक्स था और मेरे बिना यह सब कैसे होता.. लेकिन अब वो मेरे कंट्रोल के बाहर था और अब में रोज़ सुबह उसको अपने बूब्स चूसने देती हूँ। मैंने उसको अपनी चूत का भूत बनाया हुआ है और वो भी सेक्स के बारे में बहुत कुछ सीख चुका है और अब में उसकी दीवानी हो चुकी हूँ। वो मुझे बहुत अच्छा लगता है और में भी उसकी बहुत परवाह करती हूँ और वो रोज़ रात को मेरे बूब्स को चूसते चूसते सो जाता है और उसको भी मेरी चूत का पानी पिए बिना नींद नहीं आती और मुझे भी उसका वीर्य पीने की आदत लग चुकी है ।।

धन्यवाद

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भाई बेहेन की पहली संगम – Bhai Behen Ki Pehli Sangam | otelsan.ru //otelsan.ru/xbrasilporno/bhai-behen-ki-pehli-sangam/ //otelsan.ru/xbrasilporno/bhai-behen-ki-pehli-sangam/#respond Thu, 03 Jan 2019 22:42:39 +0000 //otelsan.ru/xbrasilporno/?p=4399 [...]]]> मेरा नाम रीता है । मेरा छोटा भाई राकेश दसवी मैं पढ़ता है । वह गोरा चिट्टा और करीब मेरे ही बराबर लम्बा भी है । मैं इस समय 23 की हूँ और वह १५ का । मुझे भैय्या के गुलाबी होंठ बहूत प्यारे लगते हैं । दिल करता है कि बस चबा लूं । पापा गल्फ़ में है और माँ गवर्नमेंट जोब में । माँ जब जोब की वजह से कहीं बाहर जाती तो घर मैं बस हम दो भाई बहन ही रह जाते थे । मेरे भाई का नाम राकेश है और वह मुझे दीदी कहता है । एक बार मान कुछ दिनों के लिये बाहर गयी थी । उनकी इलेक्शन ड्यूटी लग गयी थी । माँ को एक हफ़्ते बाद आना था । रात मैं डिनर के बाद कुछ देर टी वी देखा फ़िर अपने-अपने कमरे मैं सोने के लिये चले गये।करीब एक आध घण्टे बाद प्यास लगने की वजह से मेरी नींद खुल गयी । अपनी सीधे टेबल पर बोटल देखा तो वह खाली थी । मैं उठ कर किचन मैं पानी पीने गयी तो लौटते समय देखा कि राकेश के कमरे की लाइट ओन थी और दरवाज़ा भी थोड़ा सा खुला था । मुझे लगा कि शायद वह लाइट ओफ़ करना भूल गया है मैं ही बन्द कर देती हूँ ।
मैं चुपके से उसके कमरे में गयी लेकिन अन्दर का नजारा देखकर मैं हैरान हो गयी ।राकेश एक हाथ मैं कोई किताब पकड़ कर उसे पढ़ रहा था और दूसरा हाथ से अपने तने हुए लण्ड को पकड़ कर मुठ मार रहा था । मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि इतना मासूम लगने वाला दसवी का यह छोकरा ऐसा भी कर सकता है । मैं दम साधे चुपचाप खड़ी उसकी हरकत देखती रही, लेकिन शायद उसे मेरी उपस्थिति का आभास हो गया । उसने मेरी तरफ़ मुँह फेरा और दरवाजे पर मुझे खड़ा देखकर चौंक गया। वह बस मुझे देखता रहा और कुछ भी ना बोल पाया । फिर उसने मुँह फ़ेर कर किताब तकिये के नीचे छुपा दी । मुझे भी समझ ना आया कि क्या करूं । मेरे दिल मैं यह ख्याल आया कि कल से यह लड़का मुझसे शर्मायेगा और बात करने से भी कतरायेगा । घर मैं इसके अलावा और कोई है भी नहीं जिससे मेरा मन बहलता । मुझे अपने दिन याद आये। मैं और मेरा एक कज़िन इसी उमर के थे जब से हमने मज़ा लेना शुरू किया था तो इसमें कौन सी बड़ी बात थी अगर यह मुठ मार रहा था ।मैं धीरे-धीरे उसके पास गयी और उसके कंधे पर हाथ रखकर उसके पास ही बैठ गयी। वह चुपचाप लेटा रहा ।
मैंने उसके कंधो को दबाते हुई कहा, “अरे राकेश, अगर यही करना था तो कम से कम दरवाज़ा तो बन्द कर लिया होता” । वह कुछ नहीं बोला, बस मुँह दूसरी तरफ़ किये लेटा रहा । मैंने अपने हाथों से उसका मुँह अपनी तरफ़ किया और बोली “अभी से ये मज़ा लेना शुरू कर दिया। कोई बात नहीं मैं जाती हूँ तो अपना मज़ा पूरा कर ले। लेकिन जरा यह किताब तो दिखा। मैंने तकिये के नीचे से किताब निकाल ली। यह हिन्दी मैं लिखे मस्तराम की किताब थी। मेरा कज़िन भी बहूत सी मस्तराम की किताबें लाता था और हम दोनों ही मजे लेने के लिये साथ-साथ पढ़ते थे।
चुदाई के समय किताब के डायलोग बोल कर एक दूसरे का जोश बढ़ाते थे।जब मैं किताब उसे देकर बाहर जाने के लिये उठी तो वह पहली बार बोला, “दीदी सारा मज़ा तो आपने खराब कर दिया, अब क्या मज़ा करुंगा।”अरे! अगर तुमने दरवाज़ा बन्द किया होता तो मैं आती ही नहीं।”और अगर आपने देख लिया था तो चुपचाप चली जाती। अगर मैं बहस मैं जीतना चाहती तो आसानी से जीत जाती लेकिन मेरा वह कज़िन करीब ६ मंथ्स से नहीं आया था इसलिये मैं भी किसी से मज़ा लेना चाहती ही थी।
राकेश मेरा छोटा भाई था और बहूत ही सेक्सी लगता था इसलिये मैंने सोचा कि अगर घर में ही मज़ा मिल जाये तो बाहर जाने की क्या जरूरत? फिर राकेश का लौड़ा अभी कुंवारा था। मैं कुँवारे लण्ड का मज़ा पहली बार लेती, इसलिये मैंने कहा, “चल अगर मैंने तेरा मज़ा खराब किया है तो मैं ही तेरा मज़ा वापस कर देती हूँ। फिर मैं पलंग पर बैठ गयी और उसे चित लिटाया और उसके मुर्झाये लण्ड को अपनी मुट्ठी में लिया। उसने बचने की कोशिश की पर मैंने लण्ड को पकड़ लिया था।
अब मेरे भाई को यकीन हो चुका था कि मैं उसका राज नहीं खोलूंगी, इसलिये उसने अपनी टांगे खोल दी ताकि मैं उसका लण्ड ठीक से पकड़ सकूँ। मैंने उसके लण्ड को बहूत हिलाया-डूलाया लेकिन वह खड़ा ही नहीं हुआ। वह बड़ी मायूसी के साथ बोला “देखा दीदी अब खड़ा ही नहीं हो रहा है।”अरे! क्या बात करते हो? अभी तुमने अपनी बहन का कमाल कहाँ देखा है। मैं अभी अपने प्यारे भाई का लण्ड खड़ा कर दूंगी। ऐसा कह मैं भी उसके बगल में ही लेट गयी।
मैं उसका लण्ड सहलाने लगी और उससे किताब पढ़ने को कहा। “दीदी मुझे शर्म आती है। “साले अपना लण्ड बहन के हाथ में देते शर्म नहीं आयी। मैंने ताना मारते हुए कहा “ला मैं पढ़ती हूँ। और मैंने उसके हाथ से किताब ले ली । मैंने एक स्टोरी निकाली जिसमे भाई बहन के डायलोग थे। और उससे कहा, “मैं लड़की वाला बोलूँगी और तुम लड़के वाला। मैंने पहले पढ़ा, “अरे राजा मेरी चूचियों का रस तो बहूत पी लिया अब अपना बनाना शेक भी तो टेस्ट कराओ” ।”अभी लो रानी पर मैं डरता हूँ इसलियेकि मेरा लण्ड बहूत बड़ा है, तुम्हारी नाजुक कसी चूत में कैसे जायेगा?और इतना पढ़कर हम दोनों ही मुस्करा दिये क्योंकि यह हालत बिलकुल उलटे थे। मैं उसकी बड़ी बहन थी और मेरी चूत बड़ी थी और उसका लण्ड छोटा था। वह शर्मा गया लेकिन थोड़ी सी पढ़ायी के बाद ही उसके लण्ड मैं जान भर गयी और वह तन कर करीब ६ इँच का लम्बा और १५ । इँच का मोटा हो गया।
मैंने उसके हाथ से किताब लेकर कहा, “अब इस किताब की कोई जरूरत नहीं । देख अब तेरा खड़ा हो गया है । तो बस दिल मैं सोच ले कि तू किसी की चोद रहा है और मैं तेरी मु्ठ मार देती हूँ” ।मैं अब उसके लण्ड की मु्ठ मार रही थी और वह मज़ा ले रहा था । बीच बीच मैं सिस्कारियां भी भरता था । एकाएक उसने चूतड़ उठा कर लण्ड ऊपर की ओर ठेला और बोला, “बस दीदी” और उसके लण्ड ने गाढ़ा पानी फेंक दिया जो मेरी हथेली पर गिरा । मैं उसके लण्ड के रस को उसके लण्ड पर लगाती उसी तरह सहलाती रही और कहा, “क्यों भय्या मज़ा आया””सच दीदी बहूत मज़ा आया” । “अच्छा यह बता कि ख़्यालों मैं किसकी ले रहे थे?” “दीदी शर्म आती है । बाद मैं बताऊँगा” ।
इतना कह उसने तकिये मैं मुँह छुपा लिया ।”अच्छा चल अब सो जा नींद अच्छी आयेगी । और आगे से जब ये करना हो तो दरवाज़ा बन्द कर लिया करना” । “अब क्या करना दरवाज़ा बन्द करके दीदी तुमने तो सब देख ही लिया है” ।”चल शैतान कहीं के” । मैंने उसके गाल पर हलकी सी चपत मारी और उसके होंठों को चूमा । मैं और किस करना चाहती थी पर आगे के लिये छोड़ कर वापस अपने कमरे में आ गयी । अपनी सलवार कमीज उतार कर नाइटी पहनने लगी तो देखा कि मेरी पैंटी बुरी तरह भीगी हुयी है ।
राकेश के लण्ड का पानी निकालते-निकालते मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया था । अपना हाथ पैंटी मैं डालकर अपनी चूत सहलाने लगी ऊंगलियों का स्पर्श पाकर मेरी चूत फ़िर से सिसकने लगी और मेरा पूरा हाथ गीला हो गया । चूत की आग बुझाने का कोई रास्ता नहीं था सिवा अपनी उँगली के । मैं बेड पर लेट गयी । राकेश के लण्ड के साथ खेलने से मैं बहूत एक्साइटिड थी और अपनी प्यास बुझाने के लिये अपनी बीच वाली उँगली जड़ तक चूत मैं डाल दी । आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है |
तकिये को सीने से कसकर भींचा और जान्घों के बीच दूसरा तकीया दबा आंखे बन्द की और राकेश के लण्ड को याद करके उँगली अन्दर बाहर करने लगी । इतनी मस्ती चढ़ी थी कि क्या बताये, मन कर रहा था कि अभी जाकर राकेश का लण्ड अपनी चूत मैं डलवा ले । उँगली से चूत की प्यास और बढ़ गयी इसलिये उँगली निकाल तकिये को चूत के ऊपर दबा औन्धे मुँह लेट कर धक्के लगाने लगी । बहुत देर बाद चूत ने पानी छोड़ा और मैं वैसे ही सो गयी ।सुबह उठी तो पूरा बदन अनबुझी प्यास की वजह से सुलग रहा था । लाख रगड़ लो तकिये पर लेकिन चूत मैं लण्ड घुसकर जो मज़ा देता है उसका कहना ही क्या । बेड पर लेटे हुए मैं सोचती रही कि राकेश के कुँवारे लण्ड को कैसे अपनी चूत का रास्ता दिखाया जाये । फिर उठ कर तैयार हुयी । राकेश भी स्कूल जाने को तैयार था ।
नाश्ते की टेबल हम दोनों आमने-सामने थे । नजरें मिलते ही रात की याद ताजा हो गयी और हम दोनों मुस्करा दिये । राकेश मुझसे कुछ शर्मा रहा था कि कहीं मैं उसे छेड़ ना दूँ । मुझे लगा कि अगर अभी कुछ बोलूँगी तो वह बिदक जायेगा इसलिये चाहते हुई भी ना बोली । चलते समय मैंने कहा, “चलो आज तुम्हे अपने स्कूटर पर स्कूल छोड़ दूँ” । वह फ़ौरन तैयार हो गया और मेरे पीछे बैठ गया । वह थोड़ा सकुचाता हुआ मुझसे अलग बैठा था । वह पीछे की स्टेपनी पकड़े था ।
मैंने स्पीड से स्कूटर चलाया तो उसका बैलेंस बिगड़ गया और सम्भालने के लिये उसने मेरी कमर पकड़ ली । मैं बोली, “कसकर पकड़ लो शर्मा क्यों रहे हो?””अच्छा दीदी” और उसने मुझे कसकर कमर से पकड़ लिया और मुझसे चिपक सा गया । उसका लण्ड खड़ा हो गया था और वह अपनी जान्घों के बीच मेरे चूतड़ को जकड़े था ।”क्या रात वाली बात याद आ रही है राकेश “”दीदी रात की तो बात ही मत करो । कहीं ऐसा ना हो कि मैं स्कूल मैं भी शुरू हो जाऊँ” । “अच्छा तो बहूत मज़ा आया रात में””हाँ दीदी इतना मज़ा जिन्दगी मैं कभी नहीं आया । काश कल की रात कभी खत्म ना होती । आपके जाने के/की बाद मेरा फ़िर खड़ा हो गया था पर आपके हाथ मैं जो बात थी वो कहाँ । ऐसे ही सो गया” ।”तो मुझे बुला लिया होता । अब तो हम तुम दोस्त हैं । एक दूसरा के काम आ सकते हैं” ।”
तो फ़िर दीदी आज राख का प्रोग्राम पक्का” ।”चल हट केवल अपने बारे मैं ही सोचता है । ये नहीं पूछता कि मेरी हालत कैसी है? मुझे तो किसी चीज़ की जरूरत नहीं है? चल मैं आज नहीं आती तेरे पास।”अरे आप तो नाराज हो गयी दीदी । आप जैसा कहेंगी वैसा ही करुंगा । मुझे तो कुछ भी पता नहीं अब आप ही को मुझे सब सिखाना होगा” ।तब तक उसका स्कूल आ गया था । मैंने स्कूटर रोका और वह उतरने के बाद मुझे देखने लगा लेकिन मैं उस पर नज़र डाले बगैर आगे चल दी । आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है |
स्कूटर के शीशे मैं देखा कि वह मायूस सा स्कूल में जा रहा है । मैं मन ही मन बहूत खुश हुयी कि चलो अपने दिल की बात का इशारा तो उसे दे ही दिया ।शाम को मैं अपने कालेज से जल्दी ही वापस आ गयी थी । राकेश २ बजे वापस आया तो मुझे घर पर देखकर हैरान रह गया । मुझे लेटा देखकर बोला, “दीदी आपकी तबीयत तो ठीक है?” “ठीक ही समझो, तुम बताओ कुछ होमवर्क मिला है क्या” “दीदी कल सण्डे है ही । वैसे कल रात का काफी होमवर्क बचा हुआ है” ।
मैंने हंसी दबाते हुए कहा, “क्यों पूरा तो करवा दिया था । वैसे भी तुमको यह सब नहीं करना चाहिये । सेहत पर असर पढ़ता है । कोई लड़की पटा लो, आजकल की लड़कियाँ भी इस काम मैं काफी इंटेरेस्टेड रहती हैं” । “दीदी आप तो ऐसे कह रही हैं जैसे लड़कियाँ मेरे लिये सलवार नीचे और कमीज ऊपर किये तैयार है कि आओ पैंट खोलकर मेरी ले लो” । “नहीं ऐसी बात नहीं है । लड़की पटानी आनी चाहिये” ।फिर मैं उठ कर नाश्ता बनाने लगी । मन मैं सोच रही थी कि कैसे इस कुँवारे लण्ड को लड़की पटा कर चोदना सिखाऊँ? लंच टेबल पर उससे पूछा, “अच्छा यह बता तेरी किसी लड़की से दोस्ती है?””हाँ दीदी सुधा से” ।”कहाँ तक””बस बातें करते हैं और स्कूल मैं साथ ही बैठते हैं” ।
मैंने सीधी बात करने के लिये कहा, “कभी उसकी लेने का मन करता है?””दीदी आप कैसी बात करती हैं” । वह शर्मा गया तो मैं बोली, “इसमे शर्माने की क्या बात है । मुट्ठी तो तो रोज मारता है । ख़्यालों मैं कभी सुधा की ली है या नहीं सच बता” । “लेकिन दीदी ख़्यालों मैं लेने से क्या होता है” । “तो इसका मतलब है कि तो उसकी असल में लेना चाहता है” । मैंने कहा ।”उससे ज्यादा तो और एक है जिसकी मैं लेना चाहता हूँ, जो मुझे बहूत ही अच्छी लगती है” । “जिसकी कल रात ख़्यालों मैं ली थी” उसने सर हिलाकर हाँ कर दिया पर मेरे बार-बार पूछने पर भी उसने नाम नहीं बताया । इतना जरूर कहा कि उसकी चूदाई कर लेने के बाद ही उसका नाम सबसे पहले मुझे बतायेगा ।
मैंने ज्यादा नहीं पूछा क्योंकि मेरी चूत फ़िर से गीली होने लगी थी । मैं चाहती थी कि इससे पहले कि मेरी चूत लण्ड के लिये बेचैन हो वह खुद मेरी चूत मैं अपना लण्ड डालने के लिये गिड़गिड़ाये। मैं चाहती थी कि वह लण्ड हाथ में लेकर मेरी मिन्नत करे कि दीदी बस एक बार चोदने दो । मेरा दिमाग ठीक से काम नहीं कर रहा था इसलिये बोली, “अच्छा चल कपड़े बदल कर आ मैं भी बदलती हूँ” ।वह अपनी यूनीफोर्म चेंज करने गया और मैंने भी प्लान के मुताबिक अपनी सलवार कमीज उतार दी । फिर ब्रा और पैंटी भी उतार दी क्योंकि पटाने के मदमस्त मौके पर ये दिक्कत करते । आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है |
अपना देसी पेटीकोट और ढीला ब्लाउज़ ही ऐसे मौके पर सही रहते हैं । जब बिस्तर पर लेटो तो पेटीकोट अपने/अपनी आप आसानी से घुटने तक आ जाता है और थोड़ी कोशिश से ही और ऊपर आ जाता है । जहाँ तक ढीलें ब्लाउज़ का सवाल है तो थोड़ा सा झुको तो सारा माल छलक कर बाहर आ जाता है । बस यही सोच कर मैंने पेटीकोट और ब्लाउज़ पहना था ।वह सिर्फ़ पायजामा और बनियान पहनकर आ गया । उसका गोरा चित्त चिकना बदन मदमस्त करने वाला लग रहा था । एकाएक मुझे एक आइडिया आया । मैं बोली, “मेरी कमर मैं थोड़ा दर्द हो रहा है जरा बाम लगा दे” ।
यह बेड पर लेटने का पर्फेक्ट बहाना था और मैं बिस्तर पर पेट के बल लेट गयी । मैंने पेटीकोट थोड़ा ढीला बांधा था इस लिये लेटते ही वह नीचे खिसक गया और मेरी बीच की दरार दिखाये देने लगी । लेटते ही मैंने हाथ भी ऊपर कर लिये जिससे ब्लाउज़ भी ऊपर हो गया और उसे मालिश करने के लिये ज्यादा जगह मिल गयी । वह मेरे पास बैठ कर मेरी कमर पर (आयोडेक्स पैन बाम) लगाकर धीरे धीरे मालिश करने लगा । उसका स्पर्श (तच) बड़ा ही सेक्सी था और मेरे पूरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी । थोड़ी देर बाद मैंने करवट लेकर राकेश की और मुँह कर लिया और उसकी जान्घ पर हाथ रखकर ठीक से बैठने को कहा । करवट लेने से मेरी चूचियों ब्लाउज़ के ऊपर से आधी से ज्यादा बाहर निकाल आयी थी । उसकी जान्घ पर हाथ रखे रखे ही मैंने पहले की बात आगे बढ़ाई, “तुझे पता है कि लड़की कैसे पटाया जाता है?””अरे दीदी अभी तो मैं बच्चा हूँ । यह सब आप बतायेंगी तब मालूम होगा मुझे” ।
आयोडेक्स लगने के दौरान मेरा ब्लाउज़ ऊपर खींच गया था जिसकी वजह से मेरी गोलाइयाँ नीचे से भी झांक रही थी । मैंने देखा कि वह एकटक मेरी चूचियों को घूर रहा है । उसके कहने के अन्दाज से भी मालूम हो गया कि वह इस सिलसिले मैं ज्यादा बात करना चाह रहा है।”अरे यार लड़की पटाने के लिये पहले ऊपर ऊपर से हाथ फेरना पड़ता है, ये मालूम करने के लिये कि वह बूरा तो नहीं मानेगी” । “पर कैसे दीदी” । उसने पूछा और अपने पैर ऊपर किये । आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है |
मैंने थोड़ा खिसक कर उसके लिये जगह बनायी और कहा, “देख जब लड़की से हाथ मिलाओ तो उसको ज्यादा देर तक पकड़ कर रखो, देखो कब तक नहीं छुटाती है । और जब पीछे से उसकी आँख बन्द कर के पूछों कि मैं कौन हूँ तो अपना केला धीरे से उसके पीछे लगा दो । जब कान मैं कुछ बोलो तो अपना गाल उसके गाल पर रगड़ दो । वो अगर इन सब बातों का बूरा नहीं मानती तो आगे की सोचों” ।राकेश बड़े ध्यान से सुन रहा था । वह बोला, “दीदी सुधा तो इन सब का कोई बूरा नहीं मानती जबकि मैंने कभी ये सोच कर नहीं किया था । कभी कभी तो उसकी कमर मैं हाथ डाल देता हूँ पर वह कुछ नहीं कहती” । “तब तो यार छोकरी तैयार है और अब तो उसके साथ दूसरा खेल शुरू कर” ।
“कौन सा दीदी” “बातों वाला । यानी कभी उसके सन्तरो की तारीफ करके देख क्या कहती है । अगर मुस्करा कर बूरा मानती है तो समझ ले कि पटाने मैं ज्यादा देर नहीं लगेगी” ।”पर दीदी उसके तो बहुत छोटे-छोटे सन्तरे हैं । तारीफ के काबिल तो आपके है” । वह बोला और शर्मा कर मुँह छुपा लिया । मुझे तो इसी घड़ी का इंतजार था । मैंने उसका चेहरा पकड़ कर अपनी और घूमते हुए कहा, “मैं तुझे लड़की पटाना सीखा रही हूँ और तो मुझी पर नजरें जमाये है” ।”नहीं दीदी सच मैं आपकी चूचियों बहूत प्यारी है । बहुत दिल करता है” । और उसने मेरी कमर मैं एक हाथ डाल दिया ।
“अरे क्या करने को दिल करता है ये तो बता” । मैंने इठला कर पूछा ।”इनको सहलाने का और इनका रस पीने का” । अब उसके हौसले बुलन्द हो चुके थे और उसे यकीन था कि अब मैं उसकी बात का बूरा नहीं मानूँगी । “तो कल रात बोलता । तेरी मुठ मारते हुए इनको तेरे मुँह मैं लगा देती । मेरा कुछ घिस तो नहीं जाता । चल आज जब तेरी मुठ मारूंगी तो उस वक्त अपनी मुराद पूरी कर लेना” । इतना कह उसके पायजामा मैं हाथ डालकर उसका लण्ड पकड़ लिया जो पूरी तरह से तन गया था । “अरे ये तो अभी से तैयार है” ।तभी वह आगे को झुका और अपना चेहरा मेरे सीने मैं छुपा लिया । आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है |
मैंने उसको बांहों मैं भरकर अपने करीब लिटा लिया और कस के दबा लिया । ऐसा करने से मेरी चूत उसके लण्ड पर दबने लगी । उसने भी मेरी गर्दन मैं हाथ डाल मुझे दबा लिया । तभी मुझे लगा कि वो ब्लाउज़ के ऊपर से ही मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ को चूस रहा है । मैंने उससे कहा “अरे ये क्या कर रहा है? मेरा ब्लाउज़ खराब हो जायेगा” ।उसने झट से मेरा ब्लाउज़ ऊपर किया और निप्पल मुँह मैं लेकर चूसना शुरू कर दिया। मैं उसकी हिम्मत की दाद दिये बगैर नहीं रह सकी ।
वह मेरे साथ पूरी तरह से आजाद हो गया था । अब यह मेरे ऊपर था कि मैं उसको कितनी आजादी देती हूँ । अगर मैं उसे आगे कुछ करने देती तो इसका मतलब था कि मैं ज्यादा बेकरार हूँ चुदवाने के लिये और अगर उसे मना करती तो उसका मूड़ खराब हो जाता और शायद फ़िर वह मुझसे बात भी ना करे । इस लिये मैंने बीच का रास्ता लिया और बनावटी गुस्से से बोली, “अरे ये क्या तो तो जबरदस्ती करने लगा । तुझे शर्म नहीं आती” ।”ओह्ह दीदी आपने तो कहा था कि मेरा ब्लाउज़ मत खराब कर । रस पीने को तो मना नहीं किया था इसलिये मैंने ब्लाउज़ को ऊपर उठा दिया” । उसकी नज़र मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ पर ही थी जो कि ब्लाउज़ से बाहर थी । वह अपने को और नहीं रोक सका और फ़िर से मेरी चूचींयाँ को मुँह मैं ले ली और चूसने लगा ।
मुझे भी मज़ा आ रहा था और मेरी प्यास बढ़ रही थी । कुछ देर बाद मैंने जबरदस्ती उसका मुँह लेफ़्ट चूचींयाँ से हटाया और राइट चूचींयाँ की तरफ़ लेते हुए बोली, “अरे साले ये दो होती हैं और दोनों मैं बराबर का मज़ा होता है” ।उसने राइट मम्मे को भी ब्लाउज़ से बाहर किया और उसका निप्पल मुँह मैं लेकर चुभलाने लगा और साथ ही एक हाथ से वह मेरी लेफ़्ट चूचींयाँ को सहलाने लगा । कुछ देर बाद मेरा मन उसके गुलाबी होंठों को चूमने को करने लगा तो मैंने उससे कहा, “कभी किसी को किस किया है?” “नहीं दीदी पर सुना है कि इसमें बहूत मज़ा आता है” । “बिल्कुल ठीक सुना है पर किस ठीक से करना आना चाहिये” ।कैसे”उसने पूछा और मेरी चूचींयाँ से मुँह हटा लिया ।
अब मेरी दोनों चूचियों ब्लाउज़ से आजाद खुली हवा मैं तनी थी लेकिन मैंने उन्हे छिपाया नहीं बल्कि अपना मुँह उसकेउसकी मुँह के पास लेजा कर अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिये फ़िर धीरे से अपने होंठ से उसके होंठ खोलकर उन्हे प्यार से चूसने लगी । करीब दो मिनट तक उसके होंठ चूसती रही फ़िर बोली ।”ऐसे” ।वह बहूत एक्साइटिड हो गया था । इससे पहले कि मैं उसे बोलूँ कि वह भी एक बार किस करने की प्रक्टीस कर ले, वह खुद ही बोला, “दीदी मैं भी करूं आपको एक बार” “कर ले” । मैंने मुस्कराते हुए कहा ।राकेश ने मेरी ही स्टाइल मैं मुझे किस किया । आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है | मेरे होंठों को चूसते समय उसका सीना मेरे सीने पर आकर दबाव डाल रहा था जिससे मेरी मस्ती दो गुणी हो गयी थी । उसका किस खत्म करने के बाद मैंने उसे अपने ऊपर से हटाया और बांहों मैं लेकर फ़िर से उसके होंठ चूसने लगी । इस बार मैं थोड़ा ज्यादा जोश से उसे चूस रही थी । उसने मेरी एक चूचींयाँ पकड़ ली थी और उसे कस कसकर दबा रहा था । मैंने अपनी कमर आगे करके चूत उसके लण्ड पर दबायी । लण्ड तो एकदम तन कर आयरन रोड हो गया था । चुदवाने का एकदम सही मौका था पर मैं चाहती थी कि वह मुझसे चोदने के लिये भीख माँगें और मैं उस पर एहसान करके उसे चोदने की इजाजत दूँ ।मैं बोली, “चल अब बहूत हो गया, ला अब तेरी मुठ मार दूँ” । “दीदी एक रिक्वेस्ट करूँ” “क्या” मैंने पूछा । “लेकिन रिक्वेस्ट ऐसी होनी चाहिये कि मुझे बुरा ना लगे” । ऐसा लग रहा था कि वह मेरी बात ही नहीं सुन रहा है बस अपनी कहे जा रहा है । वह बोला, “दीदी मैंने सुना है कि अन्दर डालने मैं बहूत मज़ा आता है । डालने वाले को भी और डलवाने वाले को भी । मैं भी एक बार अन्दर डालना चाहता हूँ” ।”नहीं राकेश तुम मेरे छोटे भाई हो और मैं तुम्हारी बड़ी बहन” । “दीदी मैं आपकी लूँगा नहीं बस अन्दर डालने दीजिये” । “अरे यार तो फ़िर लेने मैं क्या बचा” । “दीदी बस अन्दर डालकर देखूँगा कि कैसा लगता है, चोदूंगा नहीं प्लीज़ दीदी” ।मैंने उस पर एहसान करते हुए कहा, “तुम मेरे भाई हो इसलिये मैं तुम्हारी बात को मना नहीं कर सकती पर मेरी एक सर्त है । तुमको बताना होगा कि अकसर ख़्यालों मैं किसकी चोदते हो?” और मैं बेड पर पैर फैला कर चित लेट गयी और उसे घुटने के बल अपने ऊपर बैठने को कहा । वह बैठा तो उसके पायजामा के ज़र्बन्द को खोलकर पायजामा नीचे कर दिया । उसका लण्ड तन कर खड़ा था । मैंने उसकी बांह पकड़ कर उसे अपने ऊपर कोहनी के बल लिटा लिया जिससे उसका पूरा वज़न उसके घुटने और कोहनी पर आ गया । वह अब और नहीं रूक सकता था । उसने मेरी एक चूचींयाँ को मुँह मैं भर लिया जो की ब्लाउज़ से बाहर थी । मैं उसे अभी और छेड़ना चाहती थी । सुन राकेश ब्लाउज़ ऊपर होने से चुभ रहा है ।
ऐसा कर इसको नीचे करके मेरे सन्तरे धाप दे” । “नहीं दीदी मैं इसे खोल देता हूँ” । और उसने ब्लाउज़ के बटन खोल दिये। अब मेरी दोनों चुचियां पूरी नंगी थी । उसने लपक कर दोनों को कब्जे मैं कर लिया । अब एक चूचींयाँ उसके मुँह मैं थी और दूसरी को वह मसल रहा था । वह मेरी चूचियों का मज़ा लेने लगा और मैंने अपना पेटीकोट ऊपर करके उसके लण्ड को हाथ से पकड़ कर अपनी गीली चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया । कुछ देर बाद लण्ड को चूत के मुँह पर रखकर बोली, “ले अब तेरे चाकू को अपने ख़रबूज़े पर रख दिया है पर अन्दर आने से पहले उसका नाम बता जिसकी तो बहूत दिन से चोदना चाहता है और जिसे याद करके मुठ मारता है” । वह मेरी चूचियों को पकड़ कर मेरे ऊपर झुक गया और अपने होंठ मेरे होंठ पर रख दिये । मैं भी अपना मुँह खोलकर उसके होंठ चूसने लगी । कुछ देर बाद मैंने कहा, “हाँ तो मेरे प्यारे भाई अब बता तेरे सपनों की रानी कौन है” । आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है | “दीदी आप बुरा मत मानियेगा पर मैंने आज तक जितनी भी मुठ मारी है सिर्फ़ आपको ख़्यालों मैं रखकर” ।”हाय भय्या तो कितना बेशर्म है । अपनी बड़ी बहन के बारे मैं ऐसा सोचता था” । “ओह्ह दीदी मैं क्या करूं आप बहूत खूबसूरत और सेक्सी है । मैं तो कब से आपकी चूचियों का रस पीना चाहता था और आपकी चूत मैं लण्ड डालना चाहता था । आज दिल की आरजू पूरी हुयी” । और फ़िर उसने शर्मा कर आंखे बन्द करके धीरे से अपना लण्ड मेरी चूत मैं डाला और वादे के मुताबिक चुपचाप लेट गया ।”अरे तो मुझे इतना चाहता है । मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि घर मैं ही एक लण्ड मेरे लिये तड़प रहा है । पहले बोला होता तो पहले ही तुझे मौका दे देती” ।
और मैंने धीरे-धीरे उसकी पीठ सहलानी शुरू कर दी । बीच-बीच मैं उसकी गाँड भी दबा देती ।”दीदी मेरी किस्मत देखिये कितनी झान्टू है । जिस चूत के लिये तड़प रहा था उसी चूत में लण्ड पड़ा है पर चोद नहीं सकता । पर फ़िर भी लग रहा है की स्वर्ग मैं हूँ” । वह खुल कर लण्ड चूत बोल रहा था पर मैंने बूरा नहीं माना । “अच्छा दीदी अब वादे के मुताबिक बाहर निकालता हूँ” । और वह लण्ड बाहर निकालने को तैयार हुआ ।मैं तो सोच रही थी कि वह अब चूत मैं लण्ड का धक्का लगाना शुरू करेगा लेकिन यह तो ठीक उलटा कर रहा था । मुझे उस पर बड़ी दया आयी । साथ ही अच्छा भी लगा कि वादे का पक्का है । अब मेरा फ़र्ज़ बनता था कि मैं उसकी वफादारी का इनाम अपनी चूत चुदवाकर दूँ । इस लिये उससे बोली, “अरे यार तूने मेरी चूत की अपने ख़्यालों में इतनी पूजा की है । और तुमने अपना वादा भी निभाया इसलिये मैं अपने प्यारे भाई का दिल नहीं तोड़ूँगी । आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है | चल अगर तो अपनी बहन को चोद्कर बहनचोद बनना ही चाहता है तो चोद ले अपनी जवान बड़ी बहन की चूत” । मैंने जान कर इतने गन्दे वर्ड्स उसे कहे थे पर वह बूरा ना मान कर खुश होता हुआ बोला, “सच दीदी” । और फ़ौरन मेरी चूत मैं अपना लण्ड धका धक पेलने लगा कि कहीं मैं अपना इरादा ना बदल दूँ ।”तू बहुत किस्मत वाला है राकेश ” । मैं उसके कुँवारे लण्ड की चूदाई का मज़ा लेते हुए बोली । क्यों दीदी” “अरे यार तू अपनी जिन्दगी की पहली चूदाई अपनी ही बहन की कर रहा है । और उसी बहन की जिसकी तू जाने कबसे चोदना चाहता था” ।”हाँ दीदी मुझे तो अब भी यकीन नहीं आ रहा है, लगता है सपने में चोद रहा हूँ जैसे रोज आपको चोदता था” । फिर वह मेरी एक चूचींयाँ को मुँह मैं दबा कर चूसने लगा । उसके धक्कों की रफ्तार अभी भी कम नहीं हुयी थी । मैं भी काफी दिनों के बाद चुद रही थी इसलिये मैं भी चूदाई का पूरा मज़ा ले रही थी ।वह एक पल रुका फ़िर लण्ड को गहराई तक ठीक से पेलकर ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा । वह अब झड़ने वाला था । मैं भी सातवें आसमान पर पहूँच गयी थी और नीचे से कमर उठा-उठा कर उसके धक्कों का जवाब दे रही थी । उसने मेरी चूचींयाँ छोड़ कर मेरे होंठों को मुँह मैं ले लिया जो कि मुझे हमेशा अच्छा लगता था । मुझे चूमते हुई कस कस कर दो चार धक्के दिये और और “हाय रीता मेरी जान” कहते हुए झड़कर मेरे ऊपर चिपक गया । मैंने भी नीचे से दो चार धक्के दिये और “हाय मेरे राजा कहते हुए झड़ गयी ।चुदाई के जोश ने हम दोनों को निढाल कर दिया था ।
हम दोनों कुछ देर तक यूँ ही एक दूसरे से चिपके रहे । कुछ देर बाद मैंने उससे पूछा, “क्यों मज़ा आया मेरे बहनचोद भाई को अपनी बहन की चूत चोदने में” उसका लण्ड अभी भी मेरी चूत में था । उसने मुझे कसकर अपनी बांहों में जकड़ कर अपने लण्ड को मेरी चूत पर कसकर दबाया और बोला, “बहुत मजा आया दीदी । यकीन नहीं होता कि मैंने अपनी बहन को चोदा है और बहनचोद बन गया हूँ” । “तो क्या मैंने तेरी मुठ मारी है” “नहीं दीदी यह बात नहीं है” । “तो क्या तुझे अब अफसोस लग रहा है अपनी बहन को चोद्कर बहनचोद बनने का” ।”नहीं दीदी ये बात भी नहीं है । आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है | मुझे तो बड़ा ही मज़ा आया बहनचोद बनने मैं । मन तो कर रह कि बस अब सिर्फ़ अपनी दीदी की जवानी का रा ही पीता रहूं । हाय दीदी बल्कि मैं तो सोच रहा हूँ कि भगवान ने मुझे सिर्फ़ एक बहन क्यों दी । अगर एक दो और होती तो सबको चोदता । दीदी मैं तो यह सोच रहा हूँ कि यह कैसे चूदाई हुयी कि पूरी तरह से चोद लिया लेकिन चूत देखी भी नहीं” ।”कोई बात नहीं मज़ा तो पूरा लिया ना?” “हाँ दीदी मज़ा तो खूब आया” । “तो घबराता क्यों है? अब तो तूने अपनी बहन चोद ही ली है । अब सब कुछ तुझे दिखाऊंगी । जब तक माँ नहीं आती मैं घर पर नंगी ही रहूँगी और तुझे अपनी चूत भी चटवाऊँगी और तेरा लण्ड भी चूसूँगी । बहुत मज़ा आता है” । “सच दीदी” “हाँ । अच्छा एक बात है तो इस बात का अफसोस ना कर कि तेरे सिर्फ़ एक ही बहन है, मैं तेरे लिये और चूत का जुगाड़ कर दूंगी” । आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है | “नहीं दीदी अपनी बहन को चोदने मैं मज़ा ही अनोखा है । बाहर क्या मज़ा आयेगा” “अच्छा चल एक काम कर तो माँ को चोद ले और मादरचोद भी बन जा” । “ओह दीदी ये कैसे होगा””घबरा मत पूरा इन्तज़ाम मैं कर दूंगी । माँ अभी ३८ साल की है, तुझे मादरचोद बनने मैं भी बड़ा मज़ा आयेगा” ।”हाय दीदी आप कितनी अच्छी हैं । दीदी एक बार अभी और चोदने दो इस बार पूरी नंगी करके चोदूंगा” । “जी नहीं आप मुझे अब माफ़ करिये” । “दीदी प्लीज़ सिर्फ़ एक बार” । और लण्ड को चूत पर दबा दिया ।”सिर्फ एक बार” । मैंने ज़ोर देकर पूछा । “सिर्फ एक बार दीदी पक्का वादा” ।
“सिर्फ एक बार करना है तो बिलकुल नहीं” । “क्यों दीदी” अब तक उसका लण्ड मेरी चूत मैं अपना पूरा रस निचोड़ कर बाहर आ गया था । मैंने उसे झटके देते हुए कहा, “अगर एक बार बोलूँगी तब तुम अभी ही मुझे एक बार और चोद लोगे” “हाँ दीदी” ।”ठीक है बाकी दिन क्या होगा । बस मेरी देखकर मुठ मारा करेगा क्या । और मैं क्या बाहर से कोई लाऊंगी अपने लिये । अगर सिर्फ़ एक बार मेरी लेनी है तो बिलकुल नहीं” ।उसे कुछ देर बाद जब मेरी बात समझ मैं आयी तो उसके लण्ड में थोड़ी जान आयी और उसे मेरी चूत पड़ा रगड़ते हुए बोला, “ओह दीदी यू र ग्रेट” ।

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