antarvasna – | otelsan.ru //otelsan.ru Odia Sex Stories Fri, 28 Jun 2019 01:40:43 +0000 en-GB hourly 1 /> दो तड़पती औरत की चुत चुदाई की कहानी – Do Tadapti Aurat Ki Chut Chudai Ki Kahani | otelsan.ru //otelsan.ru/xbrasilporno/do-tadapti-aurat-ki-chut-chudai-ki-kahani/ //otelsan.ru/xbrasilporno/do-tadapti-aurat-ki-chut-chudai-ki-kahani/#comments Fri, 28 Jun 2019 01:40:43 +0000 //otelsan.ru/xbrasilporno/?p=5929 [...]]]> हेलो दोस्तों, फिर एक नयी हिंदी सेक्स कहानी और ये कहानी अपनी एक याद को लेके मैं आपके पास आयी हूँ । otelsan.ru ब्लॉग पे मेने स्टोरी पहले लिखा था और मेल भी डाला था तो वो कहानी बहत लोगों ने पढ़ा और एक दिन एक लाजबाब औरत ने मुझे मेल करके मेरे नंबर भी माँगा मेने उससे मेरे नंबर दे दिया ।. वो एक हाउसवाइफ की मेल थी, उसका पति बिजनेस मैन था जो कि बिजनेस की वजह से अधिकतर समय बाहर ही रहता था.
उस महिला ने मुझे ये सब बताते हुए कहा कि वो मुझसे मिलना चाहती है. उनका नाम नीलम (चेंज्ड नाम) था. रात को 9 बजे उनकी कॉल आई. उन्होंने शनिवार नाइट को आने के लिए बोला. उन्होंने बताया कि वो अपने पति से सन्तुष्ट नहीं हैं और सेक्स का पूरा मजा लेना चाहती हैं.
मैंने उनसे उनका एड्रेस लिया और शनिवार शाम को 8 बजे उनके बताए हुए एड्रेस पर पहुँच गया. मैंने उनके घर के बाहर से उनको कॉल किया और बताया कि मैं आपके घर के बाहर हूँ.
उन्होंने दरवाजा खोला, मैं तो उसको देखता ही रह गया यार… क्या मस्त माल थी. मैंने ऊपर आसमान में देखा और ऊपर वाले का शुक्रिया अदा किया कि आज ऐसी मस्त चुत मारने को मिलेगी.
नीलम ने अन्दर आने के लिए बोला, मैं अन्दर आ गया.
उनका घर काफ़ी बड़ा था. उन्होंने सामने सोफे पर बैठने का इशारा किया, मैं सोफे पर बैठ गया.
थोड़ी देर बाद वो अन्दर से पानी लेकर आ गईं और मेरे पास ही बैठ गईं.
हम लोगों ने बातें करना शुरू की, उन्होंने मुझे बताया कि आज उनका बर्थडे है और उनके पति को उनकी कोई फिक्र ही नहीं है.
मैंने कहा- मैडम आपने पहले बताया नहीं… नहीं तो मैं आपके लिए कोई गिफ्ट ले आता.
नीलम जी बोलीं- मुझे मैडम नहीं भाभी कहो… मैं तुमको प्यार से मिलना चाहती हूँ… कोई मैडम बन कर नहीं!
मैंने कहा- भाभी जी आपने मेरी बात का उत्तर नहीं दिया.
बोलीं- भाभी जी नहीं… बस भाभी कहो… और आज तुम आ गए, बस ये मेरे लिए बहुत है… आज तुम मुझे खुश कर दोगे… यही मेरे लिए सबसे बड़ा गिफ्ट होगा.
मैंने कहा- देख लेना, आप मुझसे निराश नहीं होंगी.
मैंने उनको एक वासना भरी निगाहों से देखा और अपने लंड को सहलाने लगा. मेरा लंड फूलने लगा. नीलम भाभी मेरे फूलते हुए लंड को कामना भरी निगाहों से देखने लगीं.
मैंने उनका हाथ अपने हाथ में ले लिया.
नीलम भाभी ने कहा- हाथ पकड़ कर क्या करने वाले हो?
मैंने कहा- आपका नसीब देखने वाला हूँ.
भाभी मुस्कुरा कर बोलीं- मुझे मेरा नसीब दिख रहा है. वो अभी बड़ा हो रहा है.
मैं हंस कर उनको कहा- ऐसे नहीं… जरा ठीक से समझाओ न भाभी… आपका नसीब कैसा है.
भाभी बोलीं- वो जब तक मैं न देख लूँ, तब तक कैसे बता सकती हूँ कि नसीब कैसा है.
मैंने कहा- भाभी नसीब देखने के लिए क्या दिक्कत है… क्या मैं कोई मदद कर सकता हूँ?
भाभी बोलीं- तुम ही मेरे नसीब को दिखा सकते हो.
यह कहते हुए उन्होंने मेरे लंड पर हाथ रख कर लंड को अपनी मुट्ठी से मसल दिया और बोलीं- देखो ये है मेरा नसीब… अपनी मांद में जाने के लिए फूल रहा है.
मैंने भाभी को अपनी बांहों में भर लिया और उनको चूमने लगा.
भाभी ने मुझसे अलग होते हुए कहा- अभी जरा रुको. मुझे कपड़े बदलने हैं.
मैंने उनको छोड़ दिया. वे मुझसे अलग होकर बैठ गईं… और बातें करने लगीं.
बातों बातों में उन्होंने बताया कि उनकी एक सहेली भी एन्जॉय करना चाह रही है… क्या उनके साथ भी एंजाय करना चाहोगे?
मैंने कहा- कोई बात नहीं आप उनको भी बुला लो.
उनकी फ्रेंड का नाम पूनम (चेंज्ड नाम) था. उन्होंने पूनम को आवाज देकर बुलाया… तो मैं चौंक गया. वो बगल के ही रूम में बैठी थी.
नीलम हम दोनों को वहीं पर छोड़ कर चेंज करने चली गईं.
पूनम की उम्र करीब 30 साल की थी. वो भी बहुत सुन्दर थी. उसका फिगर 34-30-36 का था. मैंने पूनम का हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींच लिया. उसने भी मेरा साथ दिया तो मैंने उसको उठा कर अपनी गोद में बैठा लिया और पूनम का एक चुचा दबाने लगा.
वो भी मस्त मस्त सिसकारी लेने लगी.
तभी नाईटी पहन कर नीलम भाभी भी आ गईं, उन्होंने हम दोनों को इस तरह बैठे देखा तो बोलीं- अरे वाह… आप लोग तो शुरू हो गए.
वो भी मेरे पास मुझसे चिपक कर बैठ गईं.
मैं नीलम के होंठों को किस करने लगा और पूनम की चुचियां दबाने लगा. दस मिनट तक लिप्स चूसने के बाद हम तीनों उठ कर बेडरूम में जाने लगे.
मेरे साथ बेडरूम में आते ही नीलम ने मेरी शर्ट उतार दी, पूनम ने मेरी पैंट उतार दी. मैंने नीलम की नाईटी उतार दी और नीलम ने पूनम की नाईटी उतार दी. अब मैं सिर्फ़ अंडरवियर में था, वो दोनों ब्रा और पेंटी में थीं.
मैंने नीलम को पीछे से हग किया और उनकी चुचियां दबाने लगा. पूनम ने नीलम की पैंटी उतार दी और नीलम की चुत पर किस करने लगी.
मैंने भी झटके के साथ नीलम की ब्रा फाड़ दी, अब नीलम भाभी बिल्कुल नंगी हो गई थीं. उनकी बड़ी बड़ी चुचियां क्या मस्त थिरक रही थीं. मैं उनकी चुचियां चूसने लगा. पूनम नीलम भाभी की चुत चूस रही थी.
अब पूनम उठी और मेरा लंड को पकड़ कर रगड़ने लगी. मेरा लंड भी अंडरवियर को फाड़ने वाला था. पूनम ने मेरा अंडरवियर निकाला तो मेरा लंड एकदम से तन कर उसके सामने गुर्राने लगा. पूनम ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया और सहलाने लगी.
पूनम नीचे बैठ गई और उसने मेरा लंड चूसना चालू कर दिया. मैं खड़ा खड़ा नीलम भाभी के होंठों को चूस रहा था. अब नीलम भाभी नीचे बैठ गईं और पूनम खड़ी हो कर अपनी चुचियां चुसवाने लगी.
नीलम भाभी मेरा लंड चूसने लगीं.
आह… भाभी क्या मस्त होकर रंडी के जैसे लंड चूस रही थीं… बिल्कुल कुल्फी की तरह निचोड़ने में लगी थीं.
मैं भी पूनम की चूचियां दबाते हुए पूरी तरह से निचोड़ रहा था.
कुछ देर बाद पूनम बोली- प्लीज़, आप मेरी फुद्दी चूसो.
मैं बिस्तर पर लेट गया. पूनम मेरे मुँह के ऊपर अपनी चुत को ले आई और मैं उसकी मरमरी चुत को सक करने लगा. नीलम भाभी मेरे लंड को चूसती रहीं.
अब पूनम से बर्दाश्त नहीं हो रहा था. उसने मेरा मुँह अपनी चुत से हटा कर अपनी चुत को मेरे लंड के ऊपर रख दिया. लंड भी पूरी तरह तैयार था. मैंने झटका दे दिया. एक ही झटके में पूनम की चुत को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया. मेरा लंड पूरा पूनम की बच्चेदानी तक चला गया था. पूनम अपने होंठ दबा कर कराहने लगी.
दो झटकों में ही अब पूनम अपने चूतड़ों को ऊपर उठा उठा कर मेरे लंड पर मारने लगी. उधर नीलम भाभी ने अपनी चुत को मेरे मुँह पर रख दिया. मैं नीलम की चुत को चूसने लगा.
नीलम के मुँह से सिसकारी निकल रही थीं- प्लीज़ जानू… चूसो मेरी चुत… मेरे पति से मेरी चुत ठंडी नहीं हो पाती… वो चूतिया मुझको मज़ा नहीं दे पाता… आह… मैं चाहती हूँ… कि आज तुम मेरी चुत को ठंडी कर दो… अपनी रांड बना लो…
मुझको भी उनकी गरम बातें सुनकर मज़ा आ रहा था. मैं भी पूरे जोश में था.
पूनम अब तक 2 बार झड़ चुकी थी. अब नीलम भाभी उठीं और भाभी ने मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चुत के मुँह पर टिका लिया, फिर भाभी एक झटके के साथ लंड के ऊपर बैठ गईं. उधर पूनम ने अपनी चुत को साफ किया और मेरे ऊपर झुक कर अपनी चुचियां चुसवाने लगी. नीलम भाभी ने मेरे लंड के ऊपर उछलना चालू कर दिया और जोर जोर से चुदाई का मज़ा लेने लगीं.
मैंने पूनम को अपने करीब बैठाया और उसकी चुचियां मसलने लगा. नीलम भाभी ने मेरे लंड के ऊपर बैठे बैठे पूनम को भी मेरे सीने पर बैठा कर उसे हग कर लिया और जोर जोर से झटका मारने लगीं.
मैंने भी पूनम की गांड में उंगली करना शुरू कर दी. कुछ देर बाद पूनम हट गई.
अब नीलम भाभी झड़ने वाली थीं, मैं भी झड़ने वाला था, मैंने भाभी से पूछा- भाभी यार… अपना माल कहाँ निकालूँ.
तो नीलम भाभी कहने लगीं- मेरी चुत में ही पिचकारी मारना… तेरा माल को पी कर ही मेरी चुत की गर्मी ठंडी होगी.
मैंने करारे झटके मारे और हम दोनों एक साथ झड़ गए.
नीलम भाभी के चेहरे पर बहुत ख़ुशी थी. अब पूनम और नीलम दोनों तृप्त दिख रही थीं.
मैंने दोनों को नीचे बिस्तर पर लिटाया. दोनों को खूब किस किया. दोनों ही बड़ी खुश थीं.
पूनम बोली- यार तूने आज हम दोनों को अपना लंड का गुलाम बना लिया.
वे दोनों ही मेरे लंड को सहलाने लगीं. कुछ देर हम तीनों ऐसे ही लेटे रहे. थोड़ी देर में मेरा लंड फिर से मस्ती में आ गया. ऐसे मस्त माल भाभी की नंगी चूत देख कर कोई मर्द लंड कैसे शांत रह सकता था.
अब मैंने पूनम को उल्टा लिटाया और उसके चूतड़ों पर किस करने लगा.
नीलम भाभी नीचे लेट गईं और मैंने अपना लंड नीलम भाभी के मुँह में डाल दिया. अब मैं नीलम भाभी को लंड चुसा कर पूनम की गांड मारना चाहता था.
मैंने पूनम को बोला- यार पूनम अब गांड को मज़ा लेना है.
पूनम और नीलम दोनों ही खुशी से बोलीं- हम भी यही चाहते हैं.
मैंने पूनम को डॉगी स्टाइल में किया और अपने लंड को पूनम की गांड के छेद पर रख कर धक्का दे दिया.
पूनम के मुँह से एकदम से चीख निकली- हाय मर गई… बहुत बड़ा लंड है… प्लीज़ बाहर निकालो… मैं मर जाऊंगी.
तभी नीलम भाभी ने अपनी एक चुची पूनम के मुँह में दे दी. पूनम की आवज चूची के कारण दब कर रह गई. फिर उसने भी नीलम की चुचि चूसना शुरू कर दिया.
मैंने धीरे धीरे अपना पूरा लंड पूनम की गांड में डाल दिया और पूनम के ऊपर चढ़ कर उसे चोदने लगा. पूनम के नीचे नीलम भाभी लेट गईं और पूनम की चुचियां चूसने लगीं.
इस तरह मैं 20 मिनट तक पूनम की गांड मारता रहा. फिर नीलम घोड़ी बन गई और पूनम नीचे हो गई. मैंने अपना लंड नीलम भाभी की गांड के छेद पर रखा और एक ही झटके में पूरा लंड गांड के अन्दर पेल दिया. नीलम भाभी की चीख निकल गई, उनकी आँख से आँसू आने लगे.
मैं थोड़ा रुक गया.
जब नीलम भाभी का दर्द कुछ कम हुआ, तो फिर से गांड चुदाई शुरू कर दी. धकापेल 15 मिनट तक गांड मारने के बाद हम दोनों ही झड़ गए. उधर पूनम ने भी अपनी उंगली से खुद को एक बार और झड़ा लिया था.
उस रात हम तीनों ने कई बार चुदाई का मज़ा लिया. सुबह 6 बजे हम तीनों फ्रेश हुए और मैं चलने लगा.
नीलम भाभी ने मुझको 10000 रूपए दिए और होंठों पर पप्पी दी.
पूनम ने भी मुझे किस किया और चुदाई के लिए थैंक्स बोला.

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दोस्त की मौसी के साथ चुदाई की बड़ा मज़ा – Dost Ki Mausi Ke Saath Chudai Ki Bada Maza | otelsan.ru //otelsan.ru/xbrasilporno/dost-ki-mausi-ke-saath-chudai-ki-bada-maza/ Sun, 23 Jun 2019 05:36:13 +0000 //otelsan.ru/xbrasilporno/?p=5855 [...]]]> फिर एक नयी कहानी के साथ मैं रबी आपको otelsan.ru के इसी गन्दी दुनियां में स्वागत करता हूँ । सभी लंड धरी लोगों को मेरे लंड के तरफ से प्रणाम और सभी चुत धरी रण्डिओं को मेरे लंड की सलाम । उम्मीद हे चुत की पानी गरम हो चुकी होगी । ये कहानी पढ़के और भी गरम होने वाला हे तो पढ़िए ये चुदाई की कहानी |
दोस्तों आज जो कहानी में आप सभी के लिए लेकर आया हूँ, यह मेरी पहली सच्ची घटना है। दोस्तों मेरी फेमिली में मेरी मम्मी, पापा और मेरा एक भाई है और यह कहानी मेरी और मेरे एक बहुत अच्छे दोस्त की मौसी की है, जिसका नाम दिव्या है। दोस्तों दिव्या की उम्र करीब 28 साल थी और उसका एक 4 साल का बेटा भी था।
दिव्या का पति एक प्राईवेट कम्पनी में नौकरी करता था और उसका चक्कर उसी के ऑफिस की एक लड़की के साथ था और इसलिए वो दिव्या का ज्यादा ख्याल नहीं रखता था और ना ही वो उसके बेटे की परवाह किया करता था, यहाँ तक कि उसे पूरे सात महीने हो गए थे और दिव्या को उसने हाथ भी नहीं लगाया था, लेकिन दोस्तों आख़िर दिव्या भी एक औरत थी और वो सेक्स के बिना कैसे रह सकती थी? फिर भी उसने अपनी मर्यादा को अभी तक नहीं तोड़ा था, लेकिन उसके पति ने एक दिन उससे कहा कि वो अब दिव्या को बहुत जल्दी तलाक दे देगा।

फिर दिव्या उसके मुहं से यह बात सुनकर बिल्कुल पागल सी हो गई थी, उसने अपनी बहन मतलब कि विजय की मम्मी स्मिता आंटी को फोन करके सब कुछ बता दिया। फिर स्मिता आंटी और अंकल तुरंत दिव्या के घर पर चले गये। दिव्या बड़ोदा रहती थी, स्मिता आंटी और अंकल ने दिव्या के पति को बहुत कुछ समझाया, लेकिन वो नहीं माना और आख़िर स्मिता आंटी, दिव्या और उसके बेटे को अपने घर पर लेकर आ गई। दिव्या का स्मिता आंटी के सिवा पूरी दुनिया में अब कोई नहीं था। दोस्तों अब में विजय की बात करता हूँ, विजय और में 12th क्लास से साथ है और हम बहुत अच्छे दोस्त है। विजय के परिवार में उसके पापा मम्मी और एक बहन है जो शादीशुदा है। विजय के पापा का कपड़ों का होलसेल बिज़नेस है और विजय भी उनके साथ में काम करता है। दोस्तों विजय के मम्मी, पापा मुझे अपने बेटे की तरह समझते थे, इसलिए में उनके परिवार में एक सदस्य जैसा हूँ और उनको मुझ पर बहुत भरोसा है।

दोस्तों दिव्या के आने के बाद स्मिता आंटी ने दिव्या से मेरी पहली बार मुलाकात करवाई और दिव्या की सभी समस्याए मुझे बताई। फिर मैंने उन्हें थोड़ा विश्वास दिला दिया कि बहुत जल्दी सब कुछ ठीक हो जाएगा। दो महीने ऐसे ही निकल गये और अब दिव्या मेरे साथ एक बहुत अच्छे दोस्त की तरह हो गयी थी, लेकिन हमेशा वो बहुत उदास रहती थी और हर कभी रोती थी और उसकी वजह से स्मिता आंटी भी हमेशा बहुत चिंता में रहती थी। फिर एक दिन विजय का कॉल आया और उसने मुझसे कहा कि मेरे घर पर आओ, तो में उसी शाम को उसके घर पर चला गया। तब विजय ने मुझसे कहा कि क्या तुम मेरे साथ बिज़नेस के काम से मुंबई चलोगे? फिर मैंने उससे कहा कि नहीं मुझे बहुत काम है, इसलिए में तुम्हारे साथ नहीं आ सकता। फिर विजय ने मुझसे कहा कि मेरे पापा भी चार दिनों के लिए दिल्ली जा रहे है और विजय भी तीन दिन के लिए मुंबई जा रहा है, इसलिए उसने मुझसे कहा कि तुम मेरे घर का ख्याल रखना। दोस्तों मेरा और विजय का घर ज्यादा दूरी पर नहीं था, इसलिए मैंने उससे कहा कि कोई बात नहीं आप दोनों आराम से चले जाओ, में घर का पूरा ख्याल रख लूँगा और फिर मैंने आंटी से भी कहा कि अगर आपको कुछ भी काम हुआ तो आप मुझे फोन करना, में चला आ आऊंगा और दूसरे दिन सुबह अंकल दिल्ली चले गये और शाम को विजय मुंबई। फिर करीब 7:00 बजे उसी शाम को आंटी का मेरे पास फोन आया तो उन्होंने मुझसे मेडिकल से कुछ दवाई और मालिश के लिए एक तेल की बॉटल मँगवाई और फिर उन्होंने मुझसे कहा कि आज रात का खाना हम साथ में बैठकर खायेगें।

फिर मैंने उनसे कहा कि ठीक है और फिर में रात को करीब 9:30 बजे आंटी के घर पर पहुंच गया, हमने सबसे पहले एक साथ बैठकर खाना खाया, लेकिन मुझे दिव्या वहां नजर नहीं आई तो मैंने आंटी से पूछा कि दिव्या कहाँ है? तो आंटी ने मुझसे कहा कि उसकी हालत बहुत खराब है और वो इस समय अपने रूम में है। फिर मैंने उनसे कहा कि तो चलो हम कोई दवाई दे देते है। फिर आंटी ने कहा कि उसे किसी दवाई की ज़रूरत नहीं है और यह सब तुम नहीं समझोगे। दोस्तों में सच में कुछ भी नहीं समझा और में दिव्या के रूम में चला गया और मैंने वहां पर जाकर देखा कि वो अपने बेटे को सुला रही थी और बहुत रो रही थी और बहुत उदास थी। फिर मुझे देखकर वो और भी ज़्यादा रोने लगी और मुझसे यह सब देखा नहीं गया। फिर में वापस हॉल में आंटी के पास आ गया और फिर मैंने आंटी से पूछा कि क्या हुआ? तो आंटी ने कहा कि दिव्या के पति ने दिव्या को तलाक दे दिया है। दोस्तों उनके मुहं से यह बात सुनकर मुझे भी बहुत दुख हुआ और मैंने देखा कि आंटी भी मुझसे बात करते हुए रोने लगी थी।

फिर मैंने आंटी के कंधो पर हाथ रख दिया और उनसे कहा कि सब ठीक हो जाएगा। फिर आंटी ने मुझसे कहा कि हाँ अब जल्दी से कोई अच्छे से इंसान के साथ दिव्या की दूसरी शादी करनी पड़ेगी, क्योंकि एक अकेली औरत को हमेशा बहुत मुश्किल होती है। फिर मैंने भी उनकी बात को सुनकर अपने सिर को हिलाकर हाँ कहा और कुछ देर बाद मैंने आंटी से कहा कि में अब अपने घर पर जाता हूँ। फिर आंटी ने कहा कि मुझे तुमसे एक बहुत ज़रूरी बात करनी थी। फिर मैंने कहा कि हाँ बोलो ना? तो आंटी ने मुझसे कहा कि पहले अंदर रूम में चलो और फिर हम रूम में चले गये। अब आंटी ने मुझसे पूछा कि क्या तुम दिव्या की थोड़ी मदद करोगे? और तुम्हारे ऐसा करने से हो सकता है कि दिव्या को बहुत खुशी मिलेगी? फिर मैंने तुरंत आंटी से कहा कि ठीक है और में दिव्या की खुशी के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ। फिर आंटी ने मुझसे कहा कि सबसे पहले तुम मुझसे वादा करो और फिर मैंने आंटी से वादा किया। तभी आंटी ने मुझसे कहा कि क्या तुम दिव्या के साथ सेक्स करोगे? दोस्तों में आंटी के मुहं से यह बात सुनकर बिल्कुल आशचर्यचकित हो गया और मेरे जिस्म में जैसे करंट सा लग गया। में कुछ देर एकदम चुप रहा। फिर मैंने उनसे कहा कि आंटी यह आप क्या कह रही हो? दिव्या मेरी आंटी जैसी है और में आपके परिवार का एक सदस्य जैसा हूँ और ऐसा कभी नहीं हो सकता। फिर आंटी ने कहा कि देखो बेटा औरत कैसी भी परिस्तिथि में रह सकती है, लेकिन वो सेक्स के बिना क्या करेगी? तुम्हें नहीं पता दिव्या ने पिछले 9 महीने से एक भी बार सेक्स नहीं किया और अब तो उसका तलाक हो गया है, तुम ही बताओ अब वो क्या करेगी? और अगर सेक्स की मजबूरी में उसने किसी ग़लत इंसान के साथ अपना सेक्स सम्बन्ध बनाया तो बहुत बड़ी समस्या होगी और उससे उसकी बहुत बदनामी भी होगी और कोई दिव्या से शादी भी नहीं करेगा और इसलिए बेटा तुम्हारे सिवा कोई और मेरे भरोसे के लायक भी नहीं है, क्या तुम मेरा इतना काम नहीं करोगे? उस समय दिव्या भी पास बैठी रो रही थी और आंटी की आँख में भी आँसू आ गये थे, में सोच रहा था कि क्या करूं क्या जवाब दूँ? दिव्या बहुत रो रही थी, उसका शरीर सामान्य था और बूब्स ज़्यादा बड़े नहीं थे और वो एक बहुत सीधी साधी औरत है।

फिर मैंने दिव्या को देखा और कहा कि प्लीज अब आप रोना बंद करो में कुछ सोचता हूँ। अब स्मिता आंटी ने मुझसे कहा कि दिव्या ज्यादा सुंदर नहीं, इसलिए शायद तुम्हें पसंद नहीं और वो थोड़ी सिंपल भी रहती है। फिर मैंने तुरंत उनसे कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है, यह सब बहुत ग़लत है और अगर विजय या अंकल को पता चला तो मेरी दोस्ती भी खत्म हो जाएगी और कोई समस्या होगी तो? फिर आंटी ने मुझसे वादा किया और मुझसे कहा कि किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा। अब मैंने उनसे कहा कि में थोड़ा सोचकर आपको इस बात का जवाब देता हूँ। फिर आंटी ने कहा कि ठीक है बेटा और फिर में अपने घर पर जाने के लिए निकल गया। में पूरे रास्ते यही बात सोचता रहा कि में उन्हें क्या जवाब दूँ? मैंने आज तक दिव्या को इस नज़र से कभी नहीं देखा था, लेकिन आंटी की वो बात सुनकर अब मेरा भी दिल सेक्स करना चाहता था। दोस्तों मैंने आज तक सिर्फ दो बार एक कॉल गर्ल्स के साथ सेक्स किया था। फिर में घर पर पहुंचकर फ्रेश हुआ और अपने रूम में आकर नाईट ड्रेस पहन रहा था कि तभी मेरे पास आंटी का कॉल आया और उन्होंने मुझसे कहा कि वो मेरी मम्मी से बात करना चाहती है और मैंने अपनी मम्मी को अपना फोन दे दिया।

फिर आंटी ने मेरी मम्मी से कहा कि प्लीज आप राज को तीन दिन रात को हमारे यहाँ पर सोने के लिए भेज देना, क्योंकि विजय और उसके पापा दोनों ही शहर से बाहर गए हुए है और उनके जाने के बाद घर पर अब हम दोनों बिल्कुल अकेले है और अगर हमारे साथ राज रहेगा तो हमे उसकी वजह से थोड़ी हिम्मत रहेगी, नहीं तो मुझे रात को अकेले बहुत डर लगता है। अब मम्मी ने आंटी से कह दिया कि ठीक है, में अभी उससे कहती हूँ और इतना कहकर उन्होंने फोन कट कर दिया और मम्मी के कहने पर मैंने अपनी नाईट ड्रेस और जीन्स, शर्ट ले लिया और फिर में आंटी के घर पर पहुंच गया। उस समय रात के करीब 12 बजे थे। फिर आंटी ने मुझसे कहा कि तुम विजय के रूम में जाकर सो जाओ और में रूम में चला गया और नाईट ड्रेस पहनने लगा। फिर उसके बाद में हॉल में आ गया, उस समय आंटी टी.वी. देख रही थी। मैंने आंटी से पूछा कि क्या आप अब तक मुझसे नाराज़ हो? तो आंटी ने मुझसे कहा कि नहीं बेटा में तुमसे बिल्कुल भी नाराज़ नहीं हूँ, वो तो बस मुझे थोड़ी दिव्या की चिंता थी। तभी मैंने उनसे कहा कि सब ठीक हो जाएगा, आंटी में सोच रहा था कि किसी कॉल गर्ल्स के साथ सेक्स करने से तो अच्छा है कि दिव्या की चुदाई की जाए, क्योंकि कॉल गर्ल्स के साथ कभी ना कभी पकड़े गये तो इज़्ज़त की बदनामी होगी और इससे अच्छा है कि आंटी की भी सेक्स कि भूख मिट जाएगी। फिर मैंने देखा कि स्मिता आंटी भी उस समय बहुत उदास थी और उनकी आँख से आँसू भी आ गये थे। मैंने उनके आँसू साफ किए और मैंने उनसे कहा कि ठीक है में तैयार हूँ। फिर आंटी मुस्कुराई और उन्होंने मुझसे किसी को ना बताने का वादा लिया। फिर मैंने उनसे हाँ कहा और वो तुरंत उठकर दिव्या के कमरे में चली गई और करीब दस मिनट बाद वो बाहर आ गई और उन्होंने दिव्या से कहा कि तुम विजय के रूम में चली जाओ और उन्होंने मुझे तेल की बॉटल दे दी और कहा कि तुम थोड़ा इसका ख्याल रखना, दिव्या ने करीब 9 महीने से सेक्स नहीं किया।

दोस्तों में समझ गया और रूम में चला गया और अब मुझे भी सेक्स करना था तो मैंने रूम में अंदर जाते ही रूम को बंद कर लिया और तब मैंने देखा कि दिव्या बिस्तर पर बैठी हुई शरमा रही थी और वो थोड़ी खुश भी थी। मैंने बाथरूम में पानी चेक किया और दिव्या के पास जाकर बैठ गया और सोच रहा था कि अब में कैसे शुरू करूं? दिव्या ने कहा कि अगर थक गये हो तो में हाथ पैर की मालिश कर देती हूँ। फिर मैंने सबसे पहले ना कहा और फिर मैंने कहा कि ठीक है और अब मैंने भी मन ही मन सोच लिया कि में अब बिल्कुल भी शर्म नहीं करूँगा और मैंने तुरंत अपनी नाईट ड्रेस को उतार दिया और बिस्तर पर लेट गया। फिर दिव्या मेरे हाथ पर मालिश करने के लिए थोड़ा झुकी तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे अपने ऊपर खींच लिया और में उसके होंठो पर किस करने लगा और वो भी मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी और उसका एक हाथ मेरे 7 इंच के लंबे लंड पर था, वो अब धीरे से मेरे लंड को मसलने लगी और में भी उसके बूब्स को दबाने सहलाने लगा। कुछ देर बाद मैंने दिव्या से कहा कि तुम अपने कपड़े उतार दो, तो वो मेरे मुहं से यह बात सुनकर थोड़ी सी शरमाने लगी और फिर उसने अपने कपड़े उतार दिए। फिर मैंने देखा कि उसके बूब्स गोल गोल और थोड़े आकार में ठीक थे और उसकी चूत थोड़ी काली थी, लेकिन उस पर बिल्कुल बाल नहीं थे। फिर मैंने तुरंत उसको अपनी बाहों में खींच लिया और किस करने लगा, उसके होंठो को अब चूसने लगा। दोस्तों दिव्या ज्यादा गोरी नहीं थी, लेकिन उसका फिगर बहुत सेक्सी था।

अब मैंने उसको बिस्तर पर सीधा लेटा दिया और उसके पूरे जिस्म को किस करने लगा, उसके बूब्स को मैंने बहुत देर तक मसला और बहुत चूसा मैंने इतना ज़ोर ज़ोर से बूब्स को मसला कि वो चिल्ला उठी। मैंने उसकी चूत में अपनी एक उंगली डाली और मैंने महसूस किया कि वो थोड़ी टाईट थी और मैंने अपनी उंगली को थोड़ा ज़ोर से अंदर डाल दिया तो वो चिल्ला उठी, आहहह आईईईईइ में भी अब पागल होने लगा। मैंने उसको कहा कि उल्टी लेट जाओ और वो झट से पलट गई, वाह दोस्तों उसकी क्या गांड थी। उसको देखकर मेरा दिल कर रहा था कि 7 इंच का पूरा लंड अंदर डाल दूँ, लेकिन थोड़ा डर भी लग रहा था। फिर मैंने उससे कहा कि मेरा लंड चूसो तो उसने सबसे पहले मेरे लंड को अपने हाथ से हिलाया और फिर चूसने लगी और वो बहुत अच्छी तरह से चूस रही थी, जिसकी वजह से में बिल्कुल पागल हो रहा था और कुछ देर बाद मेरे लंड से पानी निकलने वाला था तो मैंने उससे कहा कि बस करो और अपना लंड उसके मुहं से बाहर निकाल लिया। फिर मैंने बहुत सारा तेल अपनी उंगली पर ले लिया और उसकी चूत में अपनी ऊँगली को अंदर बाहर करने लगा और उसको भी अब कुछ कुछ होने लगा था, वो सिसकियाँ भरने लगी, अह्ह्ह्हह्ह् ऑश ओह्ह्ह्हह्ह मरी। अब मेरी उंगली उसकी चूत में थी और में उसके होंठो को चूस रहा था और मेरा लंड अब उसके हाथ में था, लेकिन अब मुझसे बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं हो रहा था। फिर मैंने बहुत सारा तेल मेरे लंड पर लगाया और उसके पैरों को फैला दिया, उसकी फूली हुई काली चूत मेरे सामने फैली हुई थी और मैंने देर नहीं की और लंड के सुपाड़े को चूत के छेद के पास रख दिया और थोड़ा सा अंदर की तरफ दबाने लगा तो मेरा लंड थोड़ा अंदर चला गया और उसके मुहं से सिसकियाँ निकलने लगी।

फिर मैंने एक ज़ोर का झटका लगाया तो मेरा लंड थोड़ा और अंदर चला गया, लेकिन अब मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और मैंने ज़ोर से 3-4 धक्के लगाए तो उसके मुहं से ज़रा सी चीख निकली, लेकिन में अब रुकने वाला नहीं था, बस में लगातार धक्के लगाता रहा और अब मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था और हम दोनों को बहुत मज़ा आ रहा था, उसने अपने दोनों पैर मेरी कमर पर लपेट दिए थे और मैंने अपनी स्पीड को और भी तेज करके ज़ोर से धक्के लगाए, इतना ज़ोर से कि वो अह्ह्ह्ह आह्ह करने लगी। उसकी आह्ह्ह की आवाज को सुनकर मैंने अपनी स्पीड को में और भी तेज करके ज़ोर से धक्के देने लगा। मैंने एक दो बार तो इतना ज़ोर से झटका लगाया कि वो चिल्ला उठी, वो बस अब पूरी तरह से मदहोश हो गई थी, में बस झड़ने वाला था। अब मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधो पर उठा लिया और 10-12 ज़ोर से धक्के लगाए तो वो चिल्ला उठी और में झड़ गया। हमारी यह चुदाई करीब 14 मिनट तक चली और मेरा पूरा वीर्य उसकी चूत में निकल गया और में थककर उसके ऊपर लेटा रहा, उसकी आँख से आँसू बाहर आ गये और चेहरे पर संतुष्टि की मुस्कान आ गई। दोस्तों हमने करीब 30 मिनट तक आराम किया और उसके बाद उसने मुझसे कहा कि अब ऊपर से उतर जाओ, मुझे नहाने जाना है। फिर मैंने कहा कि नहीं सुबह नहा लेना और अभी मुझे रात में तुम्हारी दोबारा चुदाई करनी है फिर वो कुछ नहीं बोली और हम दोनों सो गये। सुबह 6 बजे मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि मेरे पास वो भी सो रही थी। फिर मैंने उसके बूब्स को दबाना शुरू किया और चूसने लगा तो इतने में वो भी जाग गई। फिर मैंने उससे कहा कि पहले मेरा लंड चूसो और मेरे ऊपर आ जाओ तो उसने तुरंत उठकर सबसे पहले मेरा लंड हाथ से हिलाया और जब लंड कड़क हुआ तो चूसने लगी, अब में भी तैयार था। मैंने उससे कहा कि ऊपर आओ तो वो ऊपर आ गई, उसने मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ा और चूत के छेद पर लगाया और अब वो थोड़ा सा झुक गई तो लंड आधा अंदर चला गया और उसके मुहं से आह्ह्ह्ह की आवाज निकल गई, वो थोड़ा ऊपर हुई तो मैंने ज़ोर से एक झटका लगा दिया और फिर मेरा पूरा लंड अंदर चला गया, वो थोड़ी ज़ोर से चिल्लाती रही और मैंने धक्के लगाना शुरू किया और मुझे मज़ा आने लगा और वो भी अब आहें भरने लगी। फिर करीब पांच मिनट के बाद मैंने उससे कहा कि घोड़ी बन जाओ, तो वो झट से घोड़ी बन गई। दोस्तों में आपको क्या बताऊँ, मुझे उसको घोड़ी बनाकर चोदने में कितना मज़ा आया? में तो पागल की तरह ज़ोर से धक्के लगाने लगा, इतने ज़ोर से कि वो चिल्ला उठी और में एक मिनट रुक गया और वो मेरी तरफ देखने लगी और मैंने उसको सीधा लेटा दिया और उसके पैर फैलाकर फिर से चोदने लगा। फिर पता नहीं क्या हुआ? वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी, मुझे थोड़ा सा दर्द हो रहा था। फिर भी में खुद पर कंट्रोल नहीं कर पाया और में दस मिनट में झड़ गया। मैंने अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया और तब मैंने उससे पूछा कि क्या हुआ? तो उसने कहा कि चूत में ज़्यादा चिकनाई नहीं थी तो उस वजह से मुझे थोड़ा सा दर्द हुआ था। फिर में थककर साइड में सो गया।

फिर सुबह मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि दस बज गए थे और में बहुत थक गया था। मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा था और में उठकर सीधा बाथरूम में चला गया, फ्रेश हुआ जॉगिंग ट्रॅक और टी-शर्ट पहनी और में जब हॉल में गया तो स्मिता आंटी ने मुझसे कहा कि बैठो में तुम्हारे लिए नाश्ता बना देती हूँ। फिर मैंने पूछा कि दिव्या कहाँ गई? तो आंटी ने कहा कि वो किचन में काम कर रही है, में किचन में चला गया और मैंने उसको पीछे से पकड़ लिया और में उसके बूब्स को दबाने लगा, वो मना करने लगी, लेकिन में फिर भी उसके होंठो को चूसने लगा, वो मुझसे दूर जाने लगी, लेकिन मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और इतने में स्मिता आंटी भी वहां पर आ गई और वो कहने लगी कि क्यों पूरी रात चुदाई के बाद भी दिल नहीं भरा क्या? तो मैंने कहा कि नहीं में अभी एक बार और चुदाई करूँगा और फिर ऑफिस जाऊंगा। फिर दिव्या मेरी यह बात सुनकर शरमा गई। तब स्मिता आंटी बोली कि धीरे धीरे करना और अगर यह कल रात की तरह चिल्लाएगी तो कोई सुन लेगा और स्मिता आंटी ने दिव्या से मज़ाक में कहा कि तेरी चूत फटने वाली है।

फिर दिव्या शरमाकर बाहर चली गई, लेकिन तभी अचानक मेरे ऑफिस से फोन आया कि कोई जरूरी काम है। मैंने नाश्ता किया और जल्दी से ऑफिस चला गया। दोस्तों मेरा मन ऑफिस में भी नहीं लगा और मुझे सभी जगह दिव्या की चूत और बूब्स दिख रहे थे। मैंने जैसे ही काम ख़त्म किया और खाना खाने के बाद 2:30 बजे में आंटी के घर पर चला गया और मैंने वहां पर पहुंचकर देखा कि स्मिता आंटी टी.वी. देख रही है और दिव्या एक किताब पढ़ रही थी। फिर मुझे देखकर दिव्या मुस्कुराई और मैंने उसे इशारा किया कि पास वाले रूम में आ जाओ, तो वो रूम में आ गई। फिर मैंने उसको पकड़कर किस करना शुरू किया, उसने साड़ी पहनी हुई थी तो मैंने उसकी साड़ी को उठाया और उसकी पेंटी को उतारने को कहा, उसने पेंटी को उतार दिया और मैंने बिना देर किए उसको बिस्तर पर लेटा दिया और लंड को चूत में डालकर चुदाई करने लगा औ इस बार दिव्या चिल्लाती रही और मैंने जल्दी में दरवाजा बंद नहीं किया और बाहर खड़ी स्मिता आंटी यह सब देख रही थी, दिव्या जब ज़ोर से चिल्लाई तो स्मिता आंटी ने कहा कि चूत में थोड़ा तेल लगा लो, क्योंकि चूत में बिल्कुल भी चिकनाई नहीं है, लेकिन मैंने एक भी बात नहीं सुनी में और भी ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा और चुदाई करते करते उसका ब्लाउज फट गया था। अब मेरा लंड लगातार अंदर बाहर हो रहा था। मैंने इतने ज़ोर से धक्के लगाए कि दिव्या पागल सी हो गई और वो पांच मिनट में झड़ गई। फिर में भी थोड़ी देर बाद झड़ गया और साईड में सो गया। उसने अपनी ब्रा, पेंटी को पहना, साड़ी को ठीक किया और बाहर चली गई। फिर मैंने वहीं पर एक घंटे आराम किया और फिर ऑफिस के लिए तैयार हुआ और वहां से निकल गया ।।

धन्यवाद …

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तीन लंड से चुदाई की बड़ा मज़ा – Tin Lund Se Chudai Ki Bada Maza | otelsan.ru //otelsan.ru/xbrasilporno/tin-lund-se-chudai-ki-bada-maza/ //otelsan.ru/xbrasilporno/tin-lund-se-chudai-ki-bada-maza/#comments Sat, 22 Jun 2019 01:46:37 +0000 //otelsan.ru/xbrasilporno/?p=5845 [...]]]> हेलो, मैं अंजना आप सभी को स्वागत करते हुए मेरे ढेर सारि शुभकामनाएं सिर्फ आपके लिए हे । आप सभी को आज मैं अपनी चुदाई की काहनी बताने जा रहा हूँ । उम्मीद हे आप सभी को मजा आएगा । ये चुदाई की कहानी में तीन लंड मिलके मेरे चुत की बरी बरी चुदाई की हे । पढ़िए और मजा लीजिये ।
दोस्तों में आज आप सभी को अपनी एक सच्ची कहानी सुनाने जा रही हूँ जो मेरे साथ हुई एक घटना है, मुझे हमेशा से ही सेक्स करने का बहुत शौक था, लेकिन कॉलेज तक मुझे कभी भी सेक्स करने का मौका नहीं मिला, लेकिन कॉलेज में मेरा एक बहुत अच्छा दोस्त
बना उसका नाम सतीश है और सतीश ने ही मेरी पहली बार चुदाई की थी और आज तक वो ही मुझे लगातार चोद रहा है और अब मेरी शादी होने के बाद भी उसने मुझे बहुत बार चोदा और इतना ही नहीं उसने मुझे कई बार और भी लोगों से भी चुदवाया। दोस्तों कॉलेज के बाद से में एक कॉल सेंटर में नौकरी करने लगी और सतीश अपना फेमेली का व्यपार देखने लगा, वो मुझे कई बार शहर से बाहर जैसे ऊटी, गोआ जैसी जगह पर ले जाता था, लेकिन वो भी एक शादीशुदा लड़की की तरह ड्रेस पहनाकर जिससे कोई भी हम पर शक ना करे। सतीश ने मुझे कई बार बहुत सारे अजनबियों से चुदवाया जैसे होटल के रूम सर्विस बॉय, ड्राइवर, टूरिष्ट गाईड और उसने मुझे अपनी रंडी बनाकर रखा हुआ था।

दोस्तों पहले मेरे पास एक भी सेक्सी ड्रेस नहीं थी तो एक दिन सतीश में मुझसे कहा कि तुम्हे एकदम सेक्सी दिखना है और उसने मुझे तैयार होने को कहा, उसने मुझसे साड़ी पहनने को कहा और बोला कि में पेंटी और पेटीकोट नहीं पहनू और मेरी साड़ी कमर के नीची बँधे। फिर वो मुझे एक ब्रॅंडेड ड्रेस की शॉप पर ले गया। वहां पर दो लोग थे, वो लोग मुझे एक रूम में लेकर गये और फिर सतीश ने उनसे कहा कि 5 एकदम सेक्सी और बिल्कुल मस्त दिखने वाले ब्लाउज खरीदने है, लेकिन ब्लाउज के पीछे का पूरा हिस्सा खुला होना चाहिए सिर्फ़ बदन पर अटका हुआ होना चाहिए। फिर एक आदमी ने मेरे पूरे जिस्म का नाप लेना शुरू किया और फिर उसने मुझसे मेरी साड़ी का पल्लू हटाने को कहा ताकि वो अच्छी तरह से नाप ले सके। तो मैंने सतीश की तरफ देखा और उसने कहा कि हाँ हटा दो। तो उस आदमी ने सतीश से पूछा कि आगे की तरफ हिस्सा कैसी डिजाईन का चाहिए? तो सतीश ने उससे कहा कि मेरे आधे आधे बूब्स उस ब्लाउज में से बाहर की तरफ दिखने चाहिए वो बहुत ही गहरे गले का होना चाहिए।

तो वो दोनों उसकी बात को सुनकर एक दूसरे की तरफ देखकर स्माइल करने लगे और फिर उनमे से एक ने पूछा कि आपको कितना गहरा गला चाहिए? तो सतीश ने कहा कि उसकी ब्रा की गहराई के बराबर का साइज़ होना चाहिए। तो उसने कहा कि फिर तो हमे ब्रा का नाप लेना पड़ेगा, तब सतीश आगे की तरफ आया और वो मेरे ब्लाउज को खोलने लगा और जब मैंने उसे मना किया तो वो उनके सामने ही मेरे बूब्स को दबाने लगा, लेकिन मुझे अच्छा लगा। तो उसने कहा कि सेक्सी ड्रेस के लिए तो ऐसा भी करना पड़ेगा और अब वो मेरे ब्लाउज को खोलने लगा और फिर ब्लाउज को पूरा उतार दिया फिर उसने ब्रा के ऊपर से अपना एक हाथ अंदर डालकर कहा कि इतना गहरा गला चाहिए। तो वो आदमी मेरे पास आया और उसने मेरे बूब्स को दो बार दबाया जैसे वो किसी चीज को सेट कर रहा हो और इतने में वो दूसरा आदमी आया और मेरे पीछे खड़ा हो गया और उसने मेरी कमर को पकड़ लिया और बोला कि बताओ कितना टाईट चाहिए? और वो मेरा नाप ले रहा था, लेकिन वो बार बार मेरे बूब्स को रगड़ रहा था और मेरे पीछे जो खड़ा था वो मेरे कूल्हों से चिपक रहा था और मुझे उसका खड़ा हुआ लंड महसूस हो रहा था फिर आगे वाले आदमी से सतीश ने कहा कि क्या और थोड़ा गहरा गला दे सकते है क्या? तो सतीश ने कहा कि हाँ क्यों नहीं? तो वो बोला कि, लेकिन अब इस ब्रा को बाहर निकालना पड़ेगा और फिर सतीश ने मुझे देखकर स्माइल दी और उस आदमी से कहा कि निकाल दो और जैसे ही सतीश के मुहं से यह शब्द सुना पीछे वाले आदमी ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और आगे वाले ने उसे खींचकर उतार दिया और वो सब कुछ काम इतना जल्दी हुआ कि में उसके बारे में सोच भी नहीं पाई। तो मैंने अपने दोनों हाथों से अपने एकदम से बाहर आकर झूलते, लटकते हुए बड़े बड़े बूब्स को ढक लिया।

दोस्तों मेरे दिल की पूछे तो मुझे भी अब बहुत मज़ा आने लगा था और अब मेरी चूत भी पूरी तरह से गीली हो गयी थी। तो सतीश ने कहा कि लगता है कि यह शरमा रही है? अब हमे भी अपने अपने कपड़े उतारने चाहिए तभी ठीक रहेगा और फिर उन सभी ने अपने अपने कपड़े उतार दिया और बिल्कुल नंगे होकर मेरे सामने खड़े हो गये। तो सतीश थोड़ा आगे की तरफ आया और उसने मेरे एक हाथ को पकड़कर अपने लंड पर रखा और अब में धीरे धीरे उसका लंड हिलाने लगी। तो यह सब कुछ देखकर वो दोनों भी आगे की तरफ आ गये और मेरे बूब्स को और गांड को दबाने लगे और उन्होंने मेरी साड़ी को पूरी तरह से उतार दिया और अब में उनके सामने बिल्कुल नंगी खड़ी हुई थी। उनका लंड मेरे साइड में छू रहा था और उन सबका लंड कम से कम 7 इंच का था, वो लोग मुझे किस करने लगे और मेरे बूब्स को दबाने लगे। तो सतीश ने उन दोनों से कहा कि यह रंडी आज तुम्हारी है तुम दोनों आज इसे जी भरकर चोदो। दोस्तों क्योंकि मुझे सेक्स करते समय गंदी बातें और गाली देना बहुत पसंद है और सतीश यह जानता है इसलिए वो चुदाई करते समय मुझसे गाली देकर ही बात करता है।

फिर उसने मुझे अपने घुटनो पर बैठाया और बोला कि चूस मेरी रांड चूस मेरे लंड को और उसने अपना लंड मेरे मुहं में डाल दिया और वो मेरे मुहं को ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर चोदने लगा और एक आदमी नीचे लेटकर मेरी चूत को चाटने लगा, जिसकी वजह से मेरा बहुत बुरा हाल हो रहा था, लेकिन मज़ा भी बहुत आ रहा था। तो उसके बाद दूसरे आदमी ने मेरे बाल पकड़कर खींचकर मुझसे कहा कि साली रांड में क्या तेरी चुदाई के दर्शन के लिए यहाँ पर खड़ा हुआ हूँ, यह मेरा लंड कौन चूसेगा और यह बात कहकर उसने मुझे अपनी तरफ खींचा और अपना पूरा लंड मेरे मुहं में जबरदस्ती घुसा दिया और थोड़ी देर तक ऐसे ही रखा और फिर ज़ोर ज़ोर से धक्के देकर मेरे मुहं को चोदने लगा। दोस्तों में एक बार पहले ही अपनी चूत का पानी छोड़ चुकी थी और अब उन्होंने मुझे खींचकर एक सोफे पर लेटा दिया और फिर जो आदमी मेरी चूत को चाट रहा था वो आदमी मेरे ऊपर आकर मेरे बूब्स को चूसने और काटने लगा और उसका लंड मेरी चूत को रगड़ रहा था।

अब सतीश आया और उसने मेरे बाल को खींचकर मेरी गर्दन उठाकर मेरे मुहं में अपने लंड को डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से ताबड़तोड़ धक्के देकर चोदने लगा जिसकी वजह से अब मेरी सांसे रुकने लगी, मेरी आखों से आंसू बाहर आने लगे थे, लेकिन उनको तो अपनी हवस को मिटाने की पड़ी थी। फिर उस आदमी ने मेरे दोनों पैरों को मेरी छाती तक घुमाया और अपने लंड को मेरी चूत के मुहं पर ज़ोर से रगड़ने लगा। दोस्तों उसके ऐसा करने से मेरा बहुत बुरा हाल हो रहा था। में अपनी चुदाई के लिए तड़पने लगी थी और मेरी चूत अब लंड के लिए तरस रही थी। मैंने एक ही झटके से सतीश के लंड को अपने मुहं से बाहर निकाला और उस आदमी से कहा कि प्लीज जल्दी से अंदर डालो मुझसे अब और कंट्रोल नहीं हो रहा और फिर वो अपना पूरा वजन मेरे ऊपर डालकर लेट गया और उसने मेरे बाल को ज़ोर से खींचा, में चीखने वाली थी कि तभी उसने मुझे किस किया और ज़ोर से मेरे होंठो को चूसने लगा और मेरे बालों को और भी ज़ोर से खींचने लगा और उसने कहा कि साली रांड तुझे इतनी जल्दी कैसे? और पहले बोल तू रंडी है, कुतिया है और क्या तू बीच बाज़ार में नंगी चुदवाएगी मुझसे? तो मुझसे और दर्द सहा नहीं जा रहा था और इसलिए मैंने उससे कहा कि हाँ में रंडी हूँ मुझे जहाँ भी लंड दिखता है में वहीं पर नंगी होकर चुदवाती हूँ मुझे बस लंड चाहिए, अब चोद मुझे साले और फिर उसने एक ही झटके में अपना लंड मेरी चूत के अंदर डाल दिया और फिर जैसे ही मेरा मुहं चिल्लाने के लिए खुला तो सतीश ने अपना लंड मेरे मुहं में डाल दिया और मेरे मुहं को चोदने लगा। फिर उस बंदे का लंड अब झड़ने वाला था इसलिए उसने मुझसे कहा कि मेरा निकलने वाला है, तभी सतीश ने मेरे मुहं से अपने लंड को बाहर निकाल दिया और उस आदमी ने आकर अपना लंड पूरा मेरे मुहं में डाल दिया और धीरे धीरे झटके देकर अपना वीर्य निकालने लगा और मुझे उसका पूरा माल पीना पड़ा।

तो सतीश अब मेरे पैरों के बीच में गया और उसने मुझे डॉगी स्टाईल में पलट दिया और एक ही झटके में अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया। फिर उसने मेरे बाल पकड़कर पीछे की तरफ खींचा और मुझे चोदने लगा। तभी वो दूसरा आदमी आया और उसने अपना लंड मेरे मुहं में डाल दिया और वो मेरे मुहं को चोदने लगा। पीछे से सतीश भी मुझे बुरी तरह से चोद रहा था और आगे से वो आदमी मेरे मुहं को चोद रहा था, तब मैंने दूसरी बार अपना माल छोड़ दिया और ऐसा करीब बीस मिनट तक चलता रहा। तभी सतीश ने अपनी स्पीड को बड़ा दिया तो में समझ गयी कि वो भी झड़ने वाला है तभी सतीश ने कहा कि मेरा भी अब निकल रहा है और वो सामने वाला आदमी हट गया और सतीश ने अपना लंड मेरे मुहं में डाल दिया और बोला कि चूस साली कुतिया रंडी कहीं की, पी मेरा माल और उसने अपना पूरा माल मेरे मुहं में डाल दिया और इस तरह उन तीनों ने मुझे शाम के 6 बजे तक लगातार एक एक करके चोदा और कई बार मेरी गांड भी मारी और सतीश ने उसकी एक वीडियो भी बनाई है। तो हम फिर उठे अपने अपने कपड़े पहने और बाहर आ गए। उसके बाद हम दोनों अपने अपने घर पर आ गए। दोस्तों यह थी मेरी चुदाई की कहानी, जिसमे सतीश में मेरी शादी होने के बाद भी उसने मुझे बहुत बार चोदा और दूसरों से भी चुदवाया। में अब उसकी रंडी की तरह उसके कहने पर चलती हूँ और अपनी चुदाई के मज़े लेती हूँ ।।

धन्य

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दोस्त की माँ की चुत चुदाई की दास्तान – Dost Ki Maa Ki Chut Chudai Ki Dastan | otelsan.ru //otelsan.ru/xbrasilporno/dost-ki-maa-ki-chut-chudai-ki-dastan/ //otelsan.ru/xbrasilporno/dost-ki-maa-ki-chut-chudai-ki-dastan/#comments Wed, 19 Jun 2019 01:04:10 +0000 //otelsan.ru/xbrasilporno/?p=5806 [...]]]> hindi sex story, chut chudai ki kahani, aunty ki chudai, dost ki maa ki chudai, dost ki sexy maa ki sex story, hindi sex kahani in hindi font
हेलो दोस्तों, मैं संदीप पंजाब से आपके साथ otelsan.ru पे जुड़ चूका हूँ । आज मैं आप सभी को एक अछि सी कहानी बताने जा रहा हूँ । उम्मीद हे आप सब ये कहानी पढ़के बहत एन्जॉय करेंगे । कहानी मेरे खुदकी हे । मेरे दोस्त की एक माँ हे जो की बहत सेक्सी हे उसकी चेहरा हर किसीको दीवाना बना देगा और छोड़ने को मजबूर करदेगा । उसकी वो जबानी को मेने महसूस किया और साथ ही जबानी की भरपूर मजा लुटा । चलिए और कुछ जानकारी के बाद कहानी को आगे ले जाते हैं ।

में जब 21 साल का तब में यूरोप में रहने के लिए आ गया और उसी समय यहाँ पर मेरा एक बहुत अच्छा दोस्त बना रॉकी, रॉकी का जन्म यूरोप में ही हुआ था और उनका एक रेस्टोरेंट था जिसमें उसके पापा खुद खाना बनाया करते थे।
तो रॉकी ने मेरी मदद करने के लिए मुझे अपने रेस्टोरेंट में काम पर रख लिया और फिर कुछ समय के बाद मुझे करीब रेस्टोरेंट का सारा काम समझ में आ गया था। अब रॉकी के पापा कई बार मुझे वहां पर अकेला छोड़कर अपने कुछ प्राईवेट काम कर लिया करते थे। तो अचानक एक दिन रॉकी के पापा को अपनी कुछ प्रॉपर्टी की वजह से इंडिया जाना पड़ा।

तो अब रेस्टोरेंट पर रॉकी मेरी कुछ मदद करवा दिया करता था और कई बार जब रॉकी स्कूल चला जाता था तो रॉकी की मम्मी मेरी मदद करवा दिया करती थी। दोस्तों आंटी बहुत सुंदर थी, उनका रंग थोड़ा सांवला जरुर था, लेकिन वो एकदम कयामत थी उनकी हाईट करीब 5 फीट 9 इंच और मस्त सेक्सी फिगर, पतली कमर, गदराया हुआ बदन, लेकिन उन्हे देखकर कोई कह नहीं सकता था कि वो एक 20 साल के लड़के की माँ है और उनकी उम्र 35 साल है, लेकिन रॉकी के पापा की उम्र 48 साल थी। तो फिर कुछ दिन बाद अंकल के फोन आने पर रॉकी को भी उसी काम से इंडिया जाना पड़ा और अब में और आंटी अकेले ही पूरे समय रेस्टोरेंट में अकेले होते थे, आंटी भी एक इंडियन औरत थी, लेकिन रेस्टोरेंट में काम करने की वजह से वो ज्यादातर समय जीन्स और टी-शर्ट पहनती थी और जब कभी काम कम होता तो आंटी किचन में मेरे साथ बैठकर बातें कर लेती थी। तो मैंने कभी आंटी को बुरी नज़र से नहीं देखा था और फिर एक दिन आंटी ने बिल्कुल टाईट टी-शर्ट पहनी हुई थी और एक छोटी सी जीन्स, जिस में उनके बूब्स का आकार बहुत अच्छा लग रहा था और वो बहुत बड़े बड़े एकदम गोल दिख रहे थे और उनका थोड़ा सा पेट भी दिख रहा था। तो उस दिन थोड़ा काम कम होने की वजह से आंटी मेरे साथ बातें कर रही थी, लेकिन मेरी नज़र बार बार घूमकर उनके बूब्स पर जा रही थी और इस बात का शायद उनको भी पता चल गया था।

फिर हमने रात को रेस्टोरेंट बंद किया और आंटी जी मुझे अपनी कार से मेरे घर पर छोड़कर अपने घर चली गई। तो मैंने अगले दिन वहां पर पहुंचकर देखा कि उन्होंने एक कुर्ता टाईप कुछ पहना था, जिसमें उनकी छाती एकदम साफ साफ दिखाई दे रही थी और मेरी नज़र एक बार फिर से उनके बूब्स पर ही टिकी रही और कुछ लोगों को खाना परोसने के बाद आंटी जी मेरे पास आ गई और बातें करने लगी। आंटी बहुत खुश लग रही थी। फिर बातों ही बातों में उन्होंने मुझसे मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा तो मैंने थोड़ा शरमाकर बोल दिया कि में सारा दिन तो रेस्टोरेंट में काम करता हूँ, मेरी कोई गर्लफ्रेंड कैसे बनेगी? तो वो बोली कि हाँ यह बात तो तेरी एकदम ठीक़ है, चल में तेरी थोड़ी मदद कर दूँगी, अब आज से रेस्टोरेंट में जो भी लड़की आए और अगर वो तुझे पसंद आए तो तू मुझे बता देना। तो मैंने शरमाकर कहा कि आंटी जी आप रहने दीजिए में बहुत शर्मिला स्वभाव का हूँ और में किसी से खुलकर बात भी नहीं कर सकता। तो मेरी इस बात पर वो बोली कि हाँ तू सब कुछ जरुर देख सकता है, लेकिन बात नहीं कर सकता। तो उस दिन रेस्टोरेंट में बहुत काम था और उन्हे खाना लेने के लिए बहुत बार किचन में आना पड़ रहा था। तो कई बार काम करते समय मेरा हाथ उनकी गांड को छू रहा था और कई बार उनके बूब्स मेरी कमर को छू रहे थे और शाम को में बहुत थक गया। तो उन्होंने मुझे विस्की का एक पेग बनाकर दे दिया वो चाहती थी कि में अभी थकान ना महसूस करूँ और तेज़ी से काम करूँ, क्योंकि अभी हमे तीन घंटे और काम करना था। तो हमेशा हम तीन लोग काम किया करते थे, लेकिन अंकल और रॉकी के ना होने की वजह से हम सिर्फ़ दोनों ही थे। तो एक घंटे के बाद आंटी ने मुझे एक और पेग बनाकर दिया, मैंने वो भी झट से पीकर काम और तेज कर दिया। आंटी जी यह सब देख रही थी और वो मेरे पास आकर बोली कि तुम तो बहुत जल्दी जल्दी काम करते हो और जवान हो, अभी तुम्हारी उम्र है और तुम कौन सा अपने अंकल की तरह बूढ़े हो गए हो? और वो हंसकर चली गई।

तो मेरे पास अब हर आधे घंटे में एक पेग आने लगा और अब तो विस्की ज्यादा, पानी कम और काम के ख़त्म होते होते विस्की ने अपना करतब दिखा ही दिया। अब में कपड़े बदल कर ऊपर आया तो आंटी रेस्टोरेंट बंद करके बोली कि आज तू हमारे घर चल में तुझे आज इंडियन खाना खिलाती हूँ और उनका घर मेरे घर के पास ही था तो मेरा सर घूम रहा था और अब मुझे बहुत ज़ोर से भूख भी लगने लगी थी, तो मैंने हाँ में सर हिला दिया और आंटी मेरी तरफ देखकर हंस पड़ी। फिर घर पर आकर आंटी फ्रेश होने चली गई और जब वो बाहर आई तो वो क्या गजब लग रही थी? उन्होंने एक बहुत सेक्सी सा जालीदार सूट पहना हुआ था जिसमें से उनकी ब्रा साफ साफ दिख रही थी, आंटी मेरे पास आई और हाथ में टावल दिया और मुझसे बोली कि फ्रेश हो जाओ, तो में भी फ्रेश होने बाथरूम में गया तो वहां पर बहुत अच्छी खुश्बू आ रही थी और वहीं पर आंटी की ब्रा और पेंटी लटकी हुई थी। तो उसे देखते ही मेरी नज़र के सामने आंटी के गोल गोल बूब्स घूमने लगे। मैंने जब ब्रा और पेंटी को उठाकर सूँघा तो मुझे बहुत अच्छी खुश्बू आई, लेकिन मैंने डरकर उसे फिर वहीं रख दी। तो कुछ देर के बाद मैंने बाहर आकर देखा तो आंटी हमारे लिए टेबल पर खाना लगा रही थी और खाना लगाते वक़्त वो थोड़ा झुक रही थी तो मुझे उनके बूब्स पूरे दिखाई दे रहे थे और मेरा लंड एकदम खड़ा हो गया। फिर आंटी ने मुझे एक और पेग बनाकर दे दिया, लेकिन पेग बहुत तेज था और में पहले से भी बहुत पी चुका था।

मैंने अब मुश्किल से वो पेग खत्म किया और मैंने आंटी से खाना खाने के लिए बोला और फिर हम खाना खाने लगे, लेकिन मेरी नज़र आंटी के बूब्स पर बार बार जा रही थी और हमें खाना खाते खाते 12 बज चुके थे और जब में खाना खाकर और अपने सभी कामों से फ्री होकर में जाने के लिए उठा तो ज्यादा पीने की वजह से में थोड़ा हिल सा गया। तभी आंटी मेरे पास आई और उन्होंने मेरे हाथ को पकड़कर मुझे सहारा दिया और उस वक़्त मेरा हाथ आंटी के बूब्स पर था, तो आंटी मुझसे बोली कि संदीप आज तू यहीं पर सो जा, तुझसे चला भी नहीं जाएगा और इससे पहले कि में कुछ कहता आंटी बोली कि और अगर तुझे चोट लग गयी तो रेस्टोरेंट का ध्यान कौन रखेगा? और आंटी मुझे अपने बेडरूम में ले गयी और मुझे एक बरमूडा और टी-शर्ट लाकर दी जो कि रॉकी की थी। फिर दारू ज्यादा होने की वजह से मुझसे वो पहना भी नहीं जा रहा था। तो आंटी मेरी मदद करवाने लगी और पेंट उतारते वक़्त आंटी ने मेरे लंड को छुआ और महसूस किया और वो उनके स्पर्श से एकदम तनकर खड़ा हो गया, लेकिन में अभी भी अंडरवियर में ही था तो मेरा लंड खड़ा होते ही आंटी ने उसे पकड़ लिया और बोली कि वाह! इतना बड़ा? दोस्तों मेरा लंड 7 इंच का है। तो उन्होंने कहा कि मैंने इतना बड़ा लंड तो कभी भी नहीं देखा फिर आंटी ने मेरे लंड को अंडरवियर से बाहर निकाल लिया और मुझे धक्का देकर बेड पर बैठा दिया और वो मेरे लंड से खेलने लगी और मुझे भूखी नज़रों से देखने लगी और मुझे किस करने लगी और शायद उन्हे अच्छी तरह से पता था कि कौन सी किस कैसे करनी है? शायद उन्हे इन सब कामों बहुत अनुभव था। फिर आंटी ने मेरा एक हाथ पकड़कर अपने बूब्स पर रखा और वो मुझे फ्रेंच किस करती रही। आंटी के बूब्स बहुत बड़े बड़े और सख्त थे, जैसे बहुत समय से किसे ने उन्हे छुआ ना हो और आंटी मुझे पूरे शरीर पर किस करने लगी। फिर मेरी छाती से होते होते उन्होंने मेरे लंड को मुहं में डाल लिया और बहुत टाईम तक उसे लोलीपोप की तरह चूसने के बाद उन्होंने मुझे अपने बूब्स को चूसने को कहा। तो मैंने भी उनके बूब्स को ज़ोर ज़ोर से चूसकर पूरा रस लिया और फिर उन्होंने मुझे अपनी चूत को किस करने को कहा और जब मैंने जैसे ही किस किया तो मैंने महसूस किया कि वो एकदम गीली थी और मुझे उनके पानी का टेस्ट बहुत अच्छा लग रहा था।

तो में इससे पहले कुछ कहता उन्होंने मेरा सर पकड़कर अपनी चूत से चिपका दिया और कहने लगी कि चाटो मेरी चूत को और फिर कुछ 15 मिनट तक में उनकी चूत को चाटता रहा। तभी उनकी चूत का पानी निकल गया जो सारा मेरे मुहं पर लग चुका था। तभी उन्होंने मेरे मुहं को पकड़ा और चाटने लगी, लेकिन आंटी की प्यास अभी भी नहीं बुझी थी और वो मुझे किस करती रही। फिर वो मेरे लंड को देखकर मुस्कुराई और बोली कि आ जाओ मेरे बच्चे अब दिखाओ अपना कमाल और वो अपने दोनों पैरों को फैलाकर एकदम सीधी लेट गयी। तो मैंने लंड को चूत पर रखा और एक जोरदार धक्के से उसे अंदर डाल दिया और करीब 7-8 मिनट तक लगातार धक्के देने के बाद में अपनी मंज़िल पर पहुंच गया और मैंने अपने धक्कों को धीरे कर दिया और अपना वीर्य उनकी प्यासी चूत में बूंद बूंद करके टपकाने लगा, लेकिन तभी आंटी ने लंड को एक झटका देकर चूत से बाहर निकाला और वो मेरे लंड पर लगा हुआ सारा वीर्य चाट गयी और उन्होंने मेरे लंड को बहुत अच्छी तरह से साफ कर दिया और हमने सारी रात बिना कपड़ो के बिताई और उसी रात को मैंने तीन बार आंटी की प्यास बुझाई और अगले दिन में उनसे बात करते समय उनकी आखों में आखें नहीं डाल रहा था। मुझे उनसे बहुत डर लग रहा था।

तभी आंटी ने मुझे अपने पास बुलाया और कहा कि हमारे बीच कल रात जो कुछ हुआ सब कुछ अच्छा हुआ, लेकिन इस राज को बस हम दोनों ही अपने पास छुपाकर रखेंगे वरना यह बात अगर किसी को पता चल गई तो तुम्हारी जॉब भी जाएगी और में भी फंस जाउंगी और उसके बाद मैंने जब तक अंकल, रॉकी नहीं लौटकर आए, मैंने बहुत दिनों तक आंटी को चोदा और उनकी चूत के साथ साथ उनकी वर्जिन गांड के भी मज़े लिए और उन्हे उन दिनों बहुत जमकर चोदा। अब हम दोनों मौका मिलते ही एक दूसरे के पति, पत्नी बन जाते है और अब आंटी के कहने पर मेरी सेलेरी भी बहुत अच्छी हो गई है। अब हम दोनों छुप छुपकर बहुत मज़े करते है और हमें एक दूसरे के साथ रहना बहुत अच्छा लगता है ।।

धन्यवाद …

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नयी नभेली दुल्हन की तड़पती जबानी – Nayi Nabheli Dulhan Ki Tadapti Jabani | otelsan.ru //otelsan.ru/xbrasilporno/nayi-nabheli-dulhan-ki-tadapti-jabani/ Mon, 17 Jun 2019 01:32:38 +0000 //otelsan.ru/xbrasilporno/?p=5729 [...]]]> हिंदी सेक्स स्टोरी, हिंदी सेक्स कहानी, नयी नभेली दुल्हन की चुदाई, नयी नभेली दुल्हन की तड़पती जबानी, अन्तर्वासना, चुत चुदाई कहानी
दोस्तों वो रात का समय था और नीलू अपने मकान की बालकनी पर खड़ी होकर बाहर देख रही थी और उस समय उसका पति एक सप्ताह के लिए बाहर गया हुआ था और उस समय फ्लेट में वो बिल्कुल अकेली बहुत बोर हो रही थी इसलिए थोड़ी देर बाहर खड़ी हो गयी थी।
कमरे में डीवीडी बज रहा था, लेकिन उसका दिल पति के बारे में बहुत चिंतित था क्योंकि उसकी अभी नयी नयी शादी हुई थी और उसके साथ केवल 15 दिन बिताकर बाहर कम्पनी के किसी टूर पर चले गये और केवल दो तीन दिन के लिए ही वो घर पर आते थे। दोस्तों उनकी अभी नयी नयी शादी थी, लेकिन नीलू का दिल अभी पूरी तरह भरा नहीं था, लेकिन अपने पति की मजबूरी की वजह से वो बिल्कुल चुप रह जाती थी और उसका दिन तो किसी ना किसी तरह बीत ही जाता था, लेकिन पूरी रात अकेले बिस्तर पर करवट बदलते ही गुजारनी पड़ती थी। दोस्तों इस समय वो मेक्सी पहने हुई थी। वो मेक्सी जालीदार थी और यह मेक्सी उसको उसके जीजा जी ने दी थी और जब भी मेरी निगाह उस मेक्सी की तरफ जाती तो मेरे सामने उसके जीजा की सूरत आ जाती थी क्योंकि जब वो 20 साल की थी और अभी अभी जवान होने लगी थी उसके बूब्स, गांड ने अपना आकार बदलना शुरू किया था और वो बहुत सेक्सी दिखने लगी थी। उसके जीजा जी उसे बहुत प्यार करते थे और उस समय उसकी बहन गर्भवती थी इसलिए वो उनके घर के कामों में हाथ बटाने के लिए अपने जीजा जी के पास गई हुई थी और उस समय दीदी अलग सोती थी।

फिर वो कभी कभी जीजा जी के पास चली जाती थी तो उसके जीजा जी रात में एक सख़्त सी चीज़ उसकी जाँघो और चूतड़ों पर चुभाते थे और उसे बहुत अच्छा लगता था। एक दिन उसने जब उस चीज को हाथ लगाकर महसूस किया तो वो रबर की तरह लचीला और बहुत कड़क था और फिर जीजा जी ने उसे हाथ में पकड़ा दिया था। वो उसे अपने हाथ से रगड़ने लगी थी और उस समय जीजा जी अपनी दोनों आखें बंद करके ज़ोर ज़ोर से हाँ और ज़ोर से की आवाज़ कर रहे थे। नीलू अपने दोनों हाथों से ऊपर नीचे कर रही थी। उसे भी ऐसा करने में अब बहुत मज़ा आने लगा था। तभी दस मिनट तक ऊपर नीचे करने के बाद अचानक से एक फव्वारा सा उठा और उसमे से गरमा गरम पानी निकला और उसके हाथों के ऊपर गिरने लगा। वो सफेद कलर का बहुत चिपचिपा गाड़ा सा रस था उसके बाहर निकलते ही जीजा जी उस समय बिल्कुल शांत हो गये। फिर रोज़ रोज़ रात को जीजा जी वही सब करने लगे और अब कभी कभी जीजा जी अपनी उंगलियों से नीलू की जाँघो के बीच उसकी प्यारी सी नाजुक चूत में घुसकर अंदर बाहर करते। यह सब करवाना नीलू को बहुत अच्छा लगता था और फिर एक दिन जीजा जी ने अच्छा मौका देखकर अपनी उंगलियों और हाथों का इस्तेमाल ना करते हुए सीधा उस रबर जैसी कठोर चीज़ का इस्तेमाल उसकी चूत पर किया जिसकी वजह से नीलू बहुत ज़ोर ज़ोर से रोई, लेकिन वह कठोर चीज़ अंदर दर्द करती चली गई और अब बहुत सारा खून भी बाहर निकला और उसको दर्द भी बहुत हुआ, लेकिन कुछ देर के बाद उसे भी अच्छा लगने लगा और अब यह फव्वारा नीलू की जाँघो के बीच चूत में ही गिरता। दोस्तों आज भी नीलू सोच रही थी कि इस समय भी उसके जीजू आ जाते तो उसे बहुत फिर मज़ा आ जाता और अब वो इसी उधेड़ बुन में थी कि तभी उसके फ्लॅट के सामने एक स्कूटर आकर रुका, उसमे से आकाश का दोस्त अंकित उतर गया। अंकित को देखकर नीलू ने अपना मुहं दूसरी तरफ घुमा लिया क्योंकि उसे अंकित से बहुत नफ़रत थी क्योंकि वो जब भी आकाश के साथ उसके घर पर आता तो उसकी निगाह हमेशा उसके बदन पर ही घूमती रहती थी और अंकित को आज यह बात मालूम है कि आकाश इस समय अपने घर पर नहीं है।

यह यहाँ पर क्यों आ गया, में अभी इसे दरवाजे से ही वापस लौटा दूँगी, यह बात सोचकर वो दरवाज़ा खोलने लगी, तो वो दरवाजे पर आया और कहने लगा कि नमस्ते भाभी जी आप सोच रही होगी कि में इतनी रात को यहाँ पर क्यों आया? क्योंकि इस समय आकाश घर पर नहीं है, लेकिन मुझे आकाश ने ही भेजा है। तो आकाश का नाम सुनते ही नीलू ने उसे अंदर बुलाया और फिर उसने नीलू से कहा कि आकाश ने यह कुछ पैसे दिए है और एक कपड़ो का सेट माँगवाया है क्योंकि वो 12 दिन और बाहर रहेगा और मुझे भी कल सुबह पहुंचना है। तो नीलू ने वो पैसे अपने रख लिए और फिर इतनी दूर से स्कूटर चला कर आया है तो यह बात सोचकर वो उसके लिए चाय बनाने किचन में चली गई और इधर अंकित बाहर बैठा बैठा सोच रहा था कि आज मौका बहुत अच्छा है और अगर में आज की रात उसको कुछ भी नहीं कर पाया तो फिर में कभी भी कुछ भी नहीं कर सकता। फिर कुछ देर बाद नीलू चाय बनाकर ले आई और अंकित चाय पीने लगा, लेकिन वो दोनों एकदम चुप थे और अंकित चुपचाप मन ही मन में सोच रहा था कि अगर यह मुझे रुकने को कहेगी तभी में यहाँ पर रुकूँगा नहीं तो में चला जाऊंगा और फिर तक़दीर का खेल देखो कि नीलू को अंकित पर दया आ गयी और वो मन ही मन सोचने लगी कि वो अब इतनी रात को कहाँ जाएगा। में इसे यहीं पर रोक लेती हूँ, लेकिन एक बार कहकर देखती हूँ।

तभी वो अपनी चाय खत्म करके बोला कि अच्छा भाभी जी में अब चलता हूँ, रात बहुत हो चुकी है और मुझे खाना भी खाना है, वर्ना बाहर सब होटल बंद हो जाएगी क्योंकि मेरी पत्नी अपने मायके गई हुई है इसलिए मुझे होटल में जाना ज़रूरी है। नीलू ने थोड़ा मुस्कुराते हुए कहा कि क्यों आप यहीं पर खाना खाकर जाइए ना? तो वो बोला कि नहीं नहीं मेरी वजह से आप क्यों तकलीफ़ करेंगी? तो नीलू कहने लगी कि इसमे तकलीफ़ कैसी खाना तो बना हुआ रखा है, में गरम कर देती हूँ और आप खा लीजिए। तो अंकित बोला कि ठीक है और फिर जैसी आपकी मर्ज़ी, आप इतना कहती है तो में रुक जाता हूँ। वो मन ही मन अब बहुत खुश था क्योंकि उसे आज इसी मौके की बहुत दिनों से तलाश थी और वो अब उसे मिल गया। फिर नीलू ने उसे जगह बताते हुए कहा कि आकाश के नाईट कपड़े वहां पर रखे हुए है और आप उनके रूम के जाकर बदलकर हाथ मुहं धोकर आ जाईएगा और जब तक में आपके लिए खाना गरम करती हूँ। अंकित ने अब आकाश के नाईट कपड़े पहने और जल्दी से हाथ धोकर बाहर आ गया। फिर उसने खाना खाया और फिर जाकर लेट गया, लेकिन उसे अब बिल्कुल भी नींद नहीं आ रही थी और उसके सामने रह रहकर नीलू का चेहरा घूमता हुआ दिखाई दे रहा था। तभी वो करीब आधे घंटे के बाद उठकर खड़ा हुआ और फिर दरवाज़ा खोलकर बाहर आने लगा और तभी उसने सामने की तरफ देखा तो ठीक उसके सामने नीलू खड़ी हुई थी। वो उस समय उसे वहां पर पाकर एकदम चकित सा रह गया और फिर एकदम से बोल पड़ा कि भाभी आप? फिर नीलू थोड़ा मुस्कुराकर बोली कि में क्या करूँ मुझे नींद ही नहीं आ रही थी इसलिए में बाहर आ गई। तो उसकी मुस्कुराहट का मतलब अंकित अब पूरी तरह से समझ चुका था और वो झट से बोला कि हाँ नींद तो अकेले में मुझे भी नहीं आ रही है और यह बात कहकर अंकित ने नीलू को ज़ोर से अपनी बाहों में भरकर चूमने लगा। नीलू उसकी इस हरकत से डर गई और वो अब उसका विरोध करते हुए बोली कि यह क्या कर रहे हो। छोड़ो मुझे और नीलू ने उसका बहुत विरोध किया, लेकिन वो तो काम वासना में पूरी तरह डूब चुका था। उसने नीलू को पूरी तरह से अपनी बाहों में जकड़ लिया और कहने लगा कि भाभी में तो अब तक समझता हूँ कि तुम ऊपरी मन से यह सब कह रही हो और यह बात कहकर अंकित ने नीलू को अपनी बाहों में भरकर अपने सुलगते हुए होंठ उसके गुलाब की पंखड़ियों पर रख दिए और उसका रस चूसने लगा और उसके धधकते हुए होठों का स्पर्श होते ही नीलू एकदम से सिहर उठी और उसने अंकित की मजबूत बाहों से छूटने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो नाकामयाब ही रही।

अब अंकित धीरे धीरे आगे बढ़ता गया। अब अंकित उसके होठों को चूमते चूमते उसकी गर्दन को चूमता हुये अपने सुलगते होंठ उसके सीने के उभार पर रख दिये। उसके होठों का स्पर्श पाते ही नीलू का मन मचल गया और वो कराह उठी और वो बोल उठी कि अब क्या मुझे मार ही डालोगे? तो अंकित बोला कि हाँ आज में तुम्हे मार ही डालूँगा। तुमने मुझे बहुत समय से तड़पाया है और यह कहकर अंकित अपने दाँतों से नीलू के नाजुक अंगों को काटने लगा। नीलू उसी बीच एकदम उत्साहित हो उठी और उसकी मेक्सी की डोरी को कब अंकित ने पकड़कर खोल दिया उसे पता ही नहीं चला। वो अब बिल्कुल मदहोश हो चुकी थी और अब नीलू एकदम नंगी हो चुकी थी और मोन कर रही थी।

अब अंकित उसके दूधिया बदन को अब बहुत ध्यान से देखने लगा क्योंकि ऐसा नाज़ुक, मुलायम बदन उसने अब तक कभी नहीं देखा था। वो नीलू को जगह जगह चूमने लगा और वो कभी उसके बूब्स को चूम लेता तो कभी उसकी निप्पल से सहला देता। कभी बीच बीच में वो पूरा उभार अपने मुहं में सामाने की कोशिश करता, लेकिन नीलू के बूब्स संतरे के समान के थे जो उसके मुहं में समा ही नहीं रहे थे और अब उसके मुहं से लार गिरने लगी और फिर वो दोनों हाथों से नीलू के बदन को मसलने लगा। अब तो नीलू पूरी तरह बेबस हो गयी थी और उसने अब विरोध करना भी छोड़ दिया था। दूसरे ही पल अंकित ने उसे अपनी बाहों में उठा लिया और पलंग पर लाकर लेटा दिया और खुद भी नंगा होकर उसके ऊपर झुक गया। नीलू बहुत दिनों से प्यासी थी जिसकी वजह से वो बिल्कुल नग्न होकर अंकित की हरकतों का मज़ा लेने लगी और अंकित अपनी जीभ से उसके सारे बदन को चाटने, चूमने लगा। अंकित उसके हृष्ट पुष्ट संतरे जैसे बूब्स को चूस चूसकर अब बहुत थक चुका था। वो धीरे धीरे नीचे की तरफ खिसकने लगा और उसकी मदहोश कर देने वाली जांघो पर आ पहुँचा। उसने उस पर दो तीन दीर्घ चुंबन रसीद कर दिए। फिर वो उन टांगों को चाटते चाटते जांघो के बीच अपना मुहं घुसाकर नीलू की चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा। उसे उसकी चूत का नमकीन सा स्वाद लगा और उसे जोश के साथ साथ अब बहुत मस्ती आने लगी वो और ज़ोर ज़ोर से अपनी जीभ को अंदर की तरफ घुमाने लगा। दोस्तों नीलू की चूत इस सुख से पहली बार परिचित हो रही थी इसलिए वो उससे कुछ कह नहीं सकी और वो अंकित की इस हरकत से इतनी उत्तेजित हो रही थी कि वो उसी उत्तेजना में अपना सारा बदन उछालने लगी और उसके मुख और साँसों से गरम गरम हवा बाहर निकालने लगी। अंकित रसिया था और वो एक रसिक की तरह नीलू के अंगों में प्यार जगा रहा था और नीलू गरम होती जा रही थी। तभी वो बोली कि प्लीज़ अब बस करो मुझसे और सहा नहीं जा रहा है, अंकित ने अब यह बात सुनकर चाटना एकदम से बंद कर दिया और अपने लंड को एक हाथ से पकड़कर नीलू की चूत के ऊपर रगड़ने लगा जिसकी वजह से नीलू तड़प रही थी और वो प्लीज़ आह्ह्ह्हह अब बस करो, आहह सीईईइईई करने लगी। अंकित ने उसके दोनों पैरों को फैलाया और थोड़ा सा झुककर एक हल्का सा धक्का सा मार दिया और फिर लंड चूत में जाते ही नीलू आईईससस्स उह्ह्ह्ह माँ मर गई कर उठी और अंकित ज़ोर ज़ोर से धक्के पे धक्के लगाने लगा और उसके हर एक धक्को पर वो आईईईहह आआआआहह करने लगी क्योंकि ज़िंदगी में उसे ऐसा सुख कभी नहीं मिला था।

फिर करीब पंद्रह मिनट तक धक्कों का प्रहार करते ही नीलू ने अपने दोनों पैरों को अंकित की कमर पर फंसाकर वो भी अब नीचे से धक्के मारने लगी और वो दोनों एक दूसरे को झूला झूलाने लगे। वो दोनों चरम पर थे कि तभी अचानक अंकित झड़ गया और गरम गरम सा एक झोंका नीलू को अपनी चूत में महसूस हुआ और अंकित ने गरमा गरम लावे से नीलू की चूत को भर दिया। नीलू अंकित को चूमने लगी और कहने लगी कि अंकित आज पहली बार में पूरी तरह से संतुष्ट हुई हूँ। वो कहने लगा कि भाभी मेरा दिल अभी भरा नहीं है। तो वो बोली कि तुम्हे रोका किसने है, लेकिन मुझे तो अभी बहुत भूख लगी है, में कुछ खा लेती हूँ और उसके बाद हम प्यार करते है और इधर अंकित ने स्कॉच की बॉटल निकाली और पीने लगा और नीलू चखना लेकर पास में बैठ गयी। थोड़ी देर बाद अंकित ने नीलू को फिर से अपनी बाहों में भरकर बिस्तर पर लेटा दिया और अबकी बार उसने सहलाना, पुचकारना छोड़ दिया, फिर भी उसने नीलू को अपनी बाहों में लेकर अपने सुर्ख होंठ उसके होंठो पर रख दिए और चुंबन का आदान प्रदान करने लगा और फिर दोनों हाथ से उसके कठोर बूब्स को दबोचने लगा, जिसके कारण नीलू के मुहं से आह उह्ह्हह्ह की आवाज निकलने लगी।

अंकित को अबकी बार तो स्कॉच का नशा पूरी तरह चढ़ गया था और इसके कारण उसका लंड पहले से फुकारे मारने लगा और दूसरे ही पल अंकित नीलू पर सवार हो गया और उसने एक ही निशाना लगाकर एक ही धक्के में अपना पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में घुसेड़ दिया फ़क्कककक और फिर ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा और अब के प्रहार में नीलू को कुछ वजन लग रहा था और फिर भी उसे उस चुदाई में पहले से अधिक आनंद मिल रहा था और साथ ही साथ उसे दर्द भी बहुत हो रहा था। बीच बीच में अंकित रुक जाता और फिर स्कॉच के दो तीन पेग मारकर वो वापस आया। वो अपनी मंज़िल की तरफ दौड़े जा रहा था और कुछ ही पलों में वो अब रुक गया और बिल्कुल निढाल हो गया। उसकी साँसें बहुत तेज़ हो गयी और करीब चार पांच बार चूत के अंदर बाहर करने से अब नीलू भी बहुत थक चुकी थी और उसके बदन का एक एक अंग थक गया था। फिर वो नीलू को ज़बरदस्ती चोदने लगा। नीलू ने उसके सामने बहुत हाथ पैर जोड़े, लेकिन उसके ऊपर उसकी बातों का कुछ भी असर नहीं हुआ जिसकी वजह से नीलू ने अब अपना शरीर बिल्कुल ढीला छोड़ दिया, लेकिन अंकित ने जैसे ही अपना मोटा और लंबा लंड बाहर निकालकर फिर से नीलू की चूत में प्रवेश कराया नीलू दर्द से एकदम करहाने लगी, शराब के नशे से अंकित का लंड बहुत कठोर हो गया था और अब वो उसकी गद्देदार चिकिनी चूत पर जोरदार धक्के लगाने लगा। नीलू से सहन नहीं हो रहा था और अंकित आज उसको एक अलग तरीके से चोदना चाहता था। उसने नीलू से कहा कि मेरे पास एक तरीका है उससे तुम्हे दर्द बिल्कुल भी नहीं होगा और में एक अलग आसन से तुम्हे चोदना चाहता हूँ और अब तुम मेरी बात मान लो तुम्हे तकलीफ़ नहीं होगी। दोस्तों नीलू सब कुछ समझती थी कि अंकित को चूत चोदने की बहुत सारी कला आती है इसलिए वो अंकित से बोली कि तुम्हे जैसा अच्छा लगे वैसा करो और यह बात सुनकर उसने नीलू को पेट के बल लेटा दिया जिसकी वजह से नीलू का मुहं नीचे और पीठ ऊपर हो गयी और अब अंकित पीछे से नीलू की चूत में अपने लंड से जोरदार प्रहार करने लगा, लेकिन अब नीलू को पहले जैसा दर्द नहीं हो रहा था और अंकित अपनी मनमानी करने में लगा हुआ था।

तभी उसे एक शरारत सूझी और पीछे से करते करते वो कभी कभी नीलू के दोनों चूतड़ के बीच के छेद पर भी अपना मोटा और लंबा लंड छुआ देता और एक दो बार ऐसा स्पर्श किया, लेकिन नीलू कुछ नहीं बोली। अंकित अब जान गया कि अब उसे क्या करना है और वो उसकी गांड के छेद में भी अपने लंड को घुसाने का प्रयास करने लगा और एक बार थोड़ा थोड़ा, करते करते उसने ज़्यादा ही लंड उसकी गांड में घुसा दिया। नीलू एक बार ज़ोर से चीखी और फिर कुछ देर के बाद मना करने लगी तो अंकित बोला कि ग़लती से गांड के छेद में घुस जाता है, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा, लेकिन अंकित यह सब ग़लती से नहीं करता था बल्कि यह उसकी एक सोची समझी साजिश थी। अब उसने मुहं से ढेर सारा थूक निकाला और अपने लंड पर लगाकर थोड़ा पीछे हटकर एक ज़ोर का धक्का मारा जिसकी वजह से नीलू एकदम से कांप उठी। उस कठोर लंड के उसकी नाज़ुक चूत के अंदर जाते ही वो बहुत ज़ोर से रोने लगी और उसने अंकित को ऐसा करने से मना किया, लेकिन वो तो वासना के नशे में चूर था। दूसरी बार उसने धक्का मारा, लेकिन नीलू से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसने एकदम से पलटकर ज़ोर का धक्का दिया तो अंकित नीचे गिर पड़ा और उठा ही नहीं। उसने नीचे उतरकर देखा तो अंकित के सर से खून निकल रहा था। अंकित ने अपना सर दोनों हाथों से पकड़ लिया। उसने फटाफट अंकित के सर पर एक पट्टी को बाँध दिया और नीलू बहुत घबराई सी अपने कमरे में जाकर सो गयी।

फिर वो सुबह उठी देखा तो अंकित अपने कमरे में नहीं था। केवल वहां पर एक चिट्ठी पड़ी हुई थी जिसमे लिखा हुआ था कि भाभी वो दो हज़ार रुपये आकाश ने नहीं भेजे थे, वो मेरे रुपये थे और तुम्हे पाने के लिए मैंने चाल चली थी। में तुम्हारी जवानी को एक बार पाना चाहता था और में अब तक नहीं जानता कि में तुम्हारे पास ना जाने कैसे आ गया, प्लीज तुम मुझे माफ़ कर देना। तभी नीलू के हाथों से वो चिट्ठी नीचे ज़मीन पर गिर पड़ी और वो एकदम भौंचक्की रह गयी और मन ही मन बड़बड़ाने लगी कि मेरी चुदाई करके तुमने मुझे बहुत खुश किया उसके सामने यह कीमत कुछ भी नहीं ।।

धन्यवाद …

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आंटी की सजा में मिला बड़ा मजा – Aunty Ki Saja Me Mila Bada Maja | otelsan.ru //otelsan.ru/xbrasilporno/aunty-ki-saja-me-mila-bada-maja/ Sun, 16 Jun 2019 01:30:20 +0000 //otelsan.ru/xbrasilporno/?p=5733 [...]]]> हेलो दोस्तों मेरा नाम मोन्टी हे । मैं आपको अपना कहानी बताने जा रहा हूँ । दोस्तों यह कहानी इस दिसम्बर महीने की ही है जब मैंने अपने सबसे करीबी दोस्त की भाभी को चोदा और उस दिन से वो चाहती है कि वो हर रोज मुझसे चुदे। मेरे दोस्त का नाम करन है और जब से वो मेरे साथ कॉलेज में पढ़ता था.. तब से हम पक्के दोस्त है। अक्सर हमारा एक दूसरे के घर आना जाना लगा रहता था और धीरे धीरे हमारे फेमिली जैसे सम्बन्ध हो गये थे।
उसके घर में वो उसके मम्मी, पापा उसका भाई, भाभी और उनकी दो छोटी लड़कियां रहती थी। करन के पापा एक सरकारी नौकर थे और उसकी माँ ग्रहणी थी.. उसका भाई किसी प्राईवेट कंपनी में काम करता था और मेरा दोस्त सरकारी नौकरी के लिए तैयारी कर रहा था और में भी उसके साथ ही तैयारी कर रहा था और साथ में नौकरी भी करता था और हम अधिकतर एक दूसरे के घर आते जाते रहते थे।

उसका भाई भी मेरा अच्छा दोस्त बन गया था.. उसका नाम समीर था और उसकी उम्र करीब 34 साल थी और भाभी का नाम नयना था और उनकी उम्र 32 साल थी.. लेकिन उन्हें एक बार देखकर कोई बोल नहीं सकता कि यह दो बच्चे की माँ होगी। उनका फिगर 36-26-38 था। भाभी दिखने में एकदम मस्त थी और वो हमेशा गुजराती साड़ी ही पहना करती थी और साड़ी के नीचे उनका वो टाईट फिटिंग वाला ब्लाउज और उसमे कसे हुए बूब्स एकदम मस्त दिखते थे और खुली कमर एकदम गोरी गोरी दिखती थी। में जब भी उनके घर जाता तो वो कुछ ना कुछ काम कर रही होती थी.. कभी कभी में देखता जब वो पोछा लगाती तो उस समय साड़ी में से उनकी बड़ी भारी गांड दिखती थी.. लेकिन मैंने कभी उनके बारे में ग़लत नहीं सोचा था और में हमेशा उनको भाभी की तरह ही देखता था क्योंकि करन की माँ मुझे बेटे की तरह रखती थी। भाभी की दोनों बेटियाँ स्कूल में पढ़ती थी और घर से स्कूल थोड़ी ही दूर पर था इसलिए मेरा दोस्त रोज उनको स्कूल छोड़ने और लेने जाता था।

थोड़े दिन बाद मेरा दोस्त नई स्कूटी लेकर मेरे घर पर आया तो मैंने पूछा कि अरे यह किसका उठाकर ले आया? तो बोला कि नया लिया है और उसका नंबर 1001 लिया था। एक दिन में जब उनके घर गया तो उसका भाई समीर भाभी को स्कूटी सिखा रहा था.. तो मैंने बोला कि वाह भाभी आप तो सीख गई? तो वो बोली कि हाँ सीखना तो पड़ेगा ही ना फिर बच्चो को स्कूल छोड़ने और लाने में कभी ज़रूरत पड़ जाए। तो मैंने बोला कि यह सही बात है। फिर थोड़े दिन बाद मेरे दोस्त ने कॉल सेंटर में नौकरी ढूँढ ली और जब में उनके घर जाता तो कभी कभी वो घर पर नहीं मिलता.. वो नौकरी पर ही होता था.. क्योंकि उनकी शिफ्ट चेंज होती रहती थी.. इसलिए मैंने देखा कि भाभी ही बच्चों को छोड़ने जाया करती थी। यह एक महीने पहले की ही बात है जब में बाज़ार में कुछ शॉपिंग करने गया था और फिर में पार्किंग में बाईक पार्क करने गया तो मैंने देखा कि 1001 नंबर वाली स्कूटी खड़ी हुई थी। तो मैंने सोचा कि शायद करन भी आया होगा और मैंने उसे कॉल किया.. लेकिन उसने नहीं उठाया। तो मैंने सोचा कि वो अंदर ही होगा तो मिल जाएगा और में मॉल के अंदर गया और बहुत ढूँढा.. लेकिन वो नहीं मिला। फिर मैंने शॉपिंग के बाद जब बिल के लिए लाईन में गया तो बहुत लंबी लाईन थी और में लाईन में खड़ा रहा। तभी थोड़ी देर बाद मेरी नज़र पास वाले बिल काउंटर पर गयी.. उस लाईन में नयना भाभी खड़ी थी.. लेकिन वो दूर थी तो मैंने उन्हे बुलाने की कोशिश नहीं की और वो बिल बनाकर बाहर निकली। तो मैंने देखा कि वो किसी लड़के के साथ में खड़ी थी और बातें कर ही थी। फिर वो लड़का पार्किंग से अपनी कार लेकर आया और भाभी उसमें बैठ गई और उसके साथ चली गई और में जब पार्किंग में गया तो स्कूटी वहीं पर खड़ी थी। तो मैंने सोचा कि वो कोई रिश्तेदार होगा और वो उनके साथ कहीं गई होगी और मैंने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया। फिर थोड़े दिनों बाद में शाम को करीब 7 बजे उनके घर गया तो सब लोग घर पर थे सिर्फ़ करन नौकरी पर गया हुआ था। फिर उनके पापा ने मुझे बैठने को बोला और में सोफे पर बैठ गया.. मेरे पास में समीर बैठा था और भाभी सब्जी काट रही थी और उनकी मम्मी किचन में थी। फिर भाभी उठकर मेरे लिए पानी लेकर आई तो मैंने उनको धन्यवाद बोला और वो किचन में चली गयी। फिर जब वो वापस आई तो मैंने उनसे कहा कि भाभी थोड़े दिन पहले मैंने आपको बिग बाज़ार में देखा था? तो वो चोंक गयी और मेरी तरफ देखती रही.. मैंने कहा कि आप बिल की लाईन में थी। तो वो मेरी तरफ देखने लगी और उतने में समीर ने पूछा कि कब? तो मैंने कहा कि थोड़े दिन पहले उतना कहते कहते मैंने भाभी की तरफ देखा तो वो मुझे इशारे से होंठ पर उंगली रखकर कह रही थी कि कुछ मत बोलो.. चुप रहो। फिर मुझे लगा कि शायद कुछ गड़बड़ है तो मैंने तुरंत ही बात पलट दी और बोला कि भाभी आपने लाल कलर की ड्रेस पहनी थी न उस दिन। तो समीर बोला कि यह तो कभी ड्रेस पहनती ही नहीं। फिर मैंने बोला कि तो शायद कोई और होगी.. लेकिन वो तुम्हारे जैसी ही दिखती थी। तो समीर बोला कि क्या यार तू भी? फिर हमने थोड़ी देर बातें की और फिर मैंने कहा कि में चलता हूँ और में घर पर आ गया। तो दूसरे दिन दोपहर को मेरे फोन पर एक अनजान मोबाईल नंबर से कॉल आया। मैंने रिसीव किया और मैंने बोला।

में : हैल्लो और सामने कोई लड़की थी।

लड़की : हैल्लो।

में : हाँ कौन?

लड़की : क्या आप में बोल रहे हो?

में : हाँ आप कौन?

लड़की : में नयना।

में : कौन नयना?

लड़की : अरे यार में करन की भाभी।

में : ओह्ह हाँ भाभी बोलिए.. सॉरी में आपकी आवाज़ पहचान नहीं पाया.. हाँ बोलिए बोलिए।

नयना : सुनो तुमने बिग बाज़ार में मुझे ही देखा था.. वो प्लीज किसी को मत बताना।

में : हाँ वो उस दिन आप मुझे इशारे से मना कर रही थी ना नहीं बताने के लिए।

नयना : हाँ वो प्लीज किसी को मत बताना।

में : ठीक है नहीं बताऊंगा किसी को भी।

नयना : और करन को प्लीज कुछ मत बोलना.. जो हमारी बात हुई उसके बारे में।

में : ठीक है भाभी ठीक है.. लेकिन मुझे तो बताओगी कि तुम घर वालों से क्या छुपा रही हो?

नयना : नहीं कुछ नहीं.. लेकिन तुम प्लीज किसी को मत बताना।

में : लेकिन मुझे तो बताओ में किसी से कुछ नहीं कहूंगा।

नयना : प्लीज समझो में तुम्हे नहीं बता सकती.. लेकिन यह बात प्लीज किसी को मत बताना।

में : ठीक है नहीं बताऊंगा.. लेकिन तुम्हे मुझे बताना होगा कि तुम क्या छुपा रही हो? और में वादा करता हूँ कि किसी को नहीं बताऊंगा।

नयना : बहुत लंबी कहानी है बाद में बताउंगी।

में : नहीं भाभी पहले मुझे बताओ।

नयना : बाद में तुम्हे सब कुछ विस्तार में बताउंगी ।

में : लेकिन.. थोड़ा तो बोलो क्या बात है?

नयना : लेकिन.. प्लीज यह किसी को मत बताना।

में : भाभी आपसे जो वादा किया है नहीं तोडूंगा।

नयना : ठीक है सुनो जब तुमने मुझे माल में देखा था.. उस वक्त तुमने क्या देखा था?

में : आप बिल बनवा रही थी और फिर आप किसी के साथ कार में बैठकर चली गयी।

नयना : हाँ वो किसी को मत बताना कि में किसी के साथ कार में गयी थी।

में : ठीक है.. लेकिन वो कौन था जो तुम्हारे साथ था?

नयना : वो मेरा कॉलेज का दोस्त था।

में : तो उसमे छुपाने वाली क्या बात है?

नयना : हाँ लेकिन प्लीज किसी को मत बताना।

में : ठीक है नहीं बताऊंगा.. लेकिन अगर तुम्हारे घर पर किसी को पता चल गया तो?

नयना : पिछले तीन साल से हम मिल रहे है.. लेकिन आज तक किसी को पता नहीं है।

में : ओह भाभी मतलब वो तुम्हारा बॉयफ्रेंड है?

नयना : तुम जो भी समझो..।

में : ठीक है भाभी.. लेकिन मुझसे वादा करो कि आप मुझे उससे मिलवावोगी?

नयना : तुम क्या करोगे उससे मिलकर?

में : कुछ नहीं में भी तो देखूं आपका बॉयफ्रेंड कैसा है?

नयना : ठीक है बाद में।

में : ठीक है।

नयना : ठीक धन्यवाद और बाय।

में : बाय।

फिर मैंने रात को सोते वक़्त सोचा कि भाभी तीन साल से इससे मिल रही है और किसी को पता नहीं है और घर पर इतनी भोली बनती है और बाहर बॉयफ्रेंड के साथ घूमती है। फिर मैंने सोचा कि चलो कोई बात नहीं.. उसकी ज़िंदगी है वो कुछ भी करे मुझे क्या और में सो गया। सुबह उठा तो मैंने देखा कि मेरे मोबाईल पर मैसेज आया और मैंने खोला तो वो मैसेज भाभी के नंबर से था और अंदर धन्यवाद लिखा था। फिर दो दिन बाद वापस भाभी का कॉल आया और उन्होंने मुझे कहा कि अगर तुम्हे मेरे बॉयफ्रेंड से मिलना हो तो बिग बाज़ार की पार्किंग में आ जाओ। तो में वहां पर गया.. लेकिन वहां पर कोई नहीं था सिर्फ़ भाभी की स्कूटी पड़ी थी और भाभी कहीं पर दिख नहीं रही थी। तभी थोड़ी देर बाद एक कार आई और भाभी उसमे से उतरी में तो देखता ही रह गया। भाभी ने छोटी स्कर्ट और टॉप पहना था और मैंने आज तक भाभी को ऐसे कपड़ो में नहीं देखा था। फिर भाभी ने मुझे हैल्लो कहा और मैंने भाभी को फिर उसने अपने बॉयफ्रेंड को बुलाया और मुझसे मिलवाया।

नयना : में, यह पीयूष, और पीयूष यह मोन्टी।

में : हाय।

पीयूष : हाय क्या तुम नयना के दोस्त हो?

में : नहीं में उनके देवर का दोस्त हूँ।

पीयूष : ठीक ठीक है।

नयना : ठीक है मोन्टी हो गयी बात।

में : हाँ भाभी।

नयना : ठीक है तो अब में चलती हूँ।

में : ठीक है।

नयना : बाय।

में : बाय।

पीयूष : बाय मोन्टी।

में : बाय

फिर और वो लोग कार में बैठकर चले गये में तो भाभी को ऐसे कपड़ो में देखता ही रह गया और सोचने लगा कि भाभी घर पर कितनी भोली भाली दिखती है और यहाँ पर अय्याशी कर रही है और वो बात घर पर किसी को पता नहीं है। तो करीब 2 घंटे के बाद भाभी के नंबर से कॉल आया और उन्होंने मुझसे कहा कि क्या तुम हमारे साथ फिल्म के लिए चलोगे? तो मैंने कहा कि कहाँ? तो उन्होंने सिनेमा का पता दिया और में वहां पर चला गया.. लेकिन भाभी तब साड़ी में थी जो वो अक्सर घर पर पहनती है और फिर में सोचने लगा कि भाभी ने कपड़े कब चेंज किए? तभी थोड़ी देर में फिल्म शुरू हो गयी और मेरे पास में पीयूष बैठा था और उसके पास भाभी थी। फिर इंटर्वल के टाईम भाभी ने बोला कि में क्या तुम्हे कुछ चाहिए तो बोलो? में बाहर जा रही हूँ.. कुछ खाने का लेकर आती हूँ। तो मैंने बोला कि चलो भाभी में भी आता हूँ।

तो मैंने कहा कि पीयूष तुम भी चलो.. लेकिन पीयूष ने बोला कि नहीं तुम हो आओ में यहीं पर बैठा हूँ और हम बाहर गये तो भाभी ने बोला कि यह लो पैसे जो लेना हो ले लो में वॉशरूम जाकर आती हूँ और हाँ यह मेरा मोबाईल रखो और वो मुझे मोबाईल देकर अंदर चली गई। तो मैंने मोबाईल मेंर देखा तो पीयूष के मैसेज थे। मैंने बहुत सारे मैसेज पढ़े.. लेकिन कुछ नहीं मिला नॉर्मल शायरीयां थी और चुटकुले थे.. लेकिन एक फोल्डर था नयना के नाम का.. मैंने वो खोला तो अंदर अलग अलग फोल्डर थे और अलग अलग लड़को के नाम लिखे थे.. मैंने थोड़े चेक किए और देखा तो मुझे पता चला कि सारे मैसेज सेक्स चेट के मैसेज थे और सारे मैसेज का टाईम रात का था। फिर मुझे समझ आया कि भाभी रात को लड़को से मैसेज पर सेक्स चेट करती है और मैंने घर जाकर रात को सोते वक़्त सोचा कि भाभी तो बड़ी चालू लगती है.. लेकिन घर पर किसी को पता नहीं। तो मैंने सोचा कि अगर घर पर पता चला तो क्या होगा? फिर मैंने सोचा कि जो भी हो मुझे क्या? फिर मेरे दिमाग़ में एक आईडिया आया कि में भी भाभी को रात को मैसेज भेजता हूँ। फिर मैंने उस रात ही मेसेज किया तो उनका भी मेसेज आया। मैंने बोला क्या कर रही हो तो वो बोली कि कुछ नहीं बस अब नींद आ रही है। मैंने बोला ठीक है और उन्होंने गुड नाइट का मेसेज भेज दिया। मैंने सोचा कि ऐसा क्यों किया।

फिर मैंने अगले दिन एक नया नंबर ले लिया और उस नंबर से मेसेज किया, पहले रिप्लाइ नहीं आया फिर मैंने दूसरा मेसेज भेजा तो उनका मेसेज आया कि तुम कौन हो? मैंने कहा कि तुम्हारा दोस्त तो उन्होंने नाम पूछा मैंने दूसरा नाम बताया और उन्होंने बाय का मेसेज भेज दिया.. फिर मैंने कहा दोस्त नहीं तो क्या हुआ? थोड़ी देर क्या हम चेट कर सकते है। तो पहले उन्होंने मना किया फिर मान गयी. और धीरे धीरे हमने सेक्स चेट शुरू किया.. तुम मनोगे नहीं इतना मस्त सेक्स चेट किया उन्होंने.. जिससे मेरा ऐसे ही निकल गया। फिर रोज रात को हम सेक्स चेट करते रहे और उन्होंने मुझे मिलने बुलाया फिर मैंने कहा ठीक है और हम मॉल मे मिले तो वो मुझे देखती ही रह गयी और बोली में तुमने ये सारे मेसेज किए थे? मैंने कहा आप तो मेरे नंबर पे रिप्लाई नहीं करती तो मे क्या करूँ.. फिर थोड़ी देर नाराज़ हो गयी और फिर मान गयी लेकिन उन्होंने शर्त रखी कि तुम किसी को कुछ भी नहीं बतावोगे। मैंने कहा ठीक है। फिर रात को हमने चेट किया और उसमे मैंने भाभी को पूछा कि क्या तुम मेरे साथ सेक्स करोगी तो उन्होंने मुझे साफ मना कर दिया और बोली के नहीं में समीर के अलावा किसी से नहीं करती, मैंने कहा ठीक है फिर भी कभी मन हो तो मुझे बोल देना.. क्योंकि आप मुझे बहुत पसंद हो तो वो बोली ठीक है. और फिर गुड नाइट करके सो गये फिर एक दिन भाभी ने मुझे कॉल किया और बोली कि क्या तुम मूवी देखने चलोगे? मैंने कहा कौन कौन है? तो वो बोली के में तुम और एक फ्रेंड है। मैंने कहा कौन पीयूष? वो बोली नहीं कोई और है और उसने मुझे नये फ्रेंड से मिलवाया और कहा कि ये मेरे कालेज का फ्रेंड है। मैंने सोचा कि क्या सारे कालेज के फ्रेंड ही है। उसके बाद मे समझ गया कि ये हर किसी के साथ भी चालू हो जाती है और नयना ने मुझे बोला के पीयूष को मत बताना.. ये सब बातें हम दोनों के बीच ही रहनी चाहिए। मैंने कहा ठीक है और फिर हम मूवी देखकर जब वापस आए तो मुझे नींद नहीं आई.. में रात भर सोचता रहा कि आख़िर भाभी क्यों सबको अपना कालेज फ्रेंड बोलती है। फिर दूसरे दिन मैंने करीब सुबह 11:30 पर भाभी को कॉल किया तो मैंने पूछा कि कहाँ पर हो? तो वो बोली कि में बच्चो को स्कूल छोड़ने आई हूँ। मैंने पूछा कहाँ पर? तो वो बोली तुमने स्कूल नहीं देखा क्या? मैंने कहा हां.. तो भाभी बोली कि अगर आ सकते हो तो आ जाओ मैंने बोला क्यों तो भाभी बोली कि में शॉपिंग जा रही हूँ.. तो मैंने बोला कि शॉपिंग तो बाद में भी जा सकते हो? तो भाभी बोली कि क्यों बाद में? तो मैंने कहा कि अभी अगर आप चाहो तो मेरे फ्लेट पर आ सकते हो और फिर हम कुछ देर के बाद में शॉपिंग जाएगे। तभी वो बोली कि ठीक है में अभी आती हूँ और जब वो आई तो मैंने देखा कि उन्होंने हल्के पीले कलर की साड़ी पहनी हुई थी और वैसा ही ब्लाउज भी।

मैंने उन्हे अंदर बुलाया और वो आकर सोफे पर बैठ गई और फिर मैंने उन्हें पीने का पानी दिया। तभी वो बोली कि क्या यह तुम्हारा घर है? मैंने कहा कि नहीं यह मेरे फ्रेंड का घर है.. तो बोली कि वो कहाँ है? तो मैंने कहा कि वो नौकरी पर गया है। फिर वो बोली कि तुम्हारा फ्रेंड कब तक आएगा? तो मैंने कहा कि रात को 8 बजे और मैंने कहा कि करन का एक दोस्त भी यहीं पर इसी फ्लेट में रहता है। तभी वो बोली कि अगर उसने मुझे देख लिया तो क्या होगा? तभी मैंने कहा कि में दरवाज़ बंद कर लेता हूँ और यह कहकर मैंने दरवाज़ बंद कर दिया और मैंने कहा कि भाभी मुझे तुमसे कुछ बातें पूछनी है.. लेकिन अगर आप बुरा ना मानो तो? वो बोली कि ठीक है पूछो। तो मैंने कहा कि क्या यह सब तुम्हारे असली कॉलेज फ्रेंड है?

तो वो बोली कि हाँ.. क्यों? मैंने कहा कि नहीं.. क्योंकि जो दोनों फ्रेंड से में मिला दोनों की उम्र करीब 38-40 के आस पास है.. वो लोग कैसे तुम्हारे कॉलेज फ्रेंड हो सकते है? वो बोली कि है तो है। फिर मैंने कहा कि भाभी आप मुझसे क्यों छुपाती हो? और में कहाँ किसी को बताने वाला हूँ? तो वो बोली कि ठीक है.. लेकिन तुम किसी को बताओगे तो नहीं? और अगर नहीं बताओगे तो में तुम्हे बता दूंगी कि यह सब झूठ मैंने तुमसे क्यों बोला? तभी मैंने कहा कि हाँ बताओ में किसी को नहीं बताऊंगा.. तो वो बोली कि ठीक है.. एक दिन जब में सुबह सुबह करन के कमरे में उसे उठाने के लिए गयी तो मैंने देखा कि वो सिर्फ़ टावल में सोया हुआ था और गहरी नींद में उसे पता नहीं था कि उसका टावल पूरा खुल गया था और मैंने उसे देखा तो उससे अंडरवियर में से साईज़ इतना बड़ा दिख रहा था कि में देखती ही रह गयी। तभी मैंने कहा कि तो उसमे क्या हुआ? तो वो बोली कि फिर मुझे मालूम पड़ा कि हर एक आदमी का साईज़ अलग अलग होता है। तो मैंने कहा कि हाँ वो तो होता ही है क्यों तुम्हे नहीं पता था?

तो वो बोली कि नहीं मुझे समीर बता रहे थे कि सबका एक ही साईज होता है.. लेकिन जब मैंने करन का देखा तो पता लगा कि यह तो समीर से भी बहुत बड़ा है और मैंने कई बार करन को लाईन देने की कोशिश की.. लेकिन उसने मुझे भाव नहीं दिया और मुझे बहुत डर लगता था कि अगर में उससे सीधा बात करूंगी तो कहीं वो समीर या पापा को ना बता दे.. इसलिए मैंने सोचा कि करन नहीं तो कोई और सही और में लगातार मॉल में जाती रही जिससे कि कहीं कोई हॅंडसम मिल जाए और एक दिन मुझे पीयूष मिल गया और मैंने उस के साथ बहुत एंजाय किया.. लेकिन जब मुझे लगा की नये टेस्ट में ज़्यादा मज़ा है तो मैंने फिर चेटिंग से बहुत फ्रेंड बनाए और बहुत से मिली भी हूँ.. लेकिन करन जैसा आज तक मुझे नहीं मिला। तभी मैंने कहा कि भाभी अगर आप बुरा ना मानो तो में एक बात कहूँ? तो वो बोली कि हाँ बोलो.. तो मैंने कहा कि क्या आप सच में करन से चुदना चाहती हो? तो वो बोली कि हाँ.. लेकिन यह मुमकिन नहीं है। फिर मैंने कहा कि में मुमकिन बना दूँगा.. तो वो बोली कि ठीक है तुम ट्राई करो.. लेकिन कहीं में ना फंस जाऊँ? तो मैंने कहा कि मेरा वादा है आपको कुछ नहीं होगा.. फिर उन्होंने बोला कि धन्यवाद। तभी मैंने कहा कि भाभी और कभी मुझे भी मौका दोगी या नहीं? तो वो बोली कि बाद में.. तो मैंने कहा कि.. लेकिन अभी यहाँ पर कोई भी नहीं है। तो वो बोली कि मुझे घर पर भी जाना है.. मैंने कहा कि प्लीज सिर्फ़ 10 मिनट.. तो वो बोली ठीक है और हम बेडरूम में चले गये और दरवाजा अंदर से बंद कर दिया.. उन्होंने अपनी साड़ी को उतारना शुरू किया। तो मैंने कहा कि रूको भाभी मुझे उतारने दो ना। तो वो बोली कि ठीक है.. लेकिन थोड़ा जल्दी करो और फिर मैंने फटाफट उनकी साड़ी को उतार दिया और उन्हें देखता ही रह गया। उनके वो बड़े बड़े बूब्स ब्लाउज में भी नहीं समा रहे थे और मैंने कहा कि भाभी क्या इसे भी खोल दूँ? तो वो बोली कि हाँ और यह कहते कहते मैंने मेरा मुहं उनके बूब्स पर दबा दिया और मैंने कहा कि भाभी तुम्हारे बूब्स बहुत मस्त है।

तभी वो बोली कि जल्दी करो मुझे घर पर जाना है.. मैंने जल्दी से उनका ब्लाउज और पेटीकोट उतार दिया अब वो सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी जो बिल्कुल सफेद थी और एकदम सिल्की मैंने उसे हाथ लगाया तो मेरा लंड एकदम टाईट हो गया। तो वो बोली कि तुम्हारे भी कपड़े उतारो.. मैंने अपनी टी-शर्ट और पेंट को उतार दिया। अब में सिर्फ़ अंडरवियर में था और उन्होंने अपना हाथ मेरे पंड पर रख दिया और बोली कि यह तो पीयूष से भी बड़ा है। तो मैंने कहा कि हाँ तुम्हे देखकर और भी बड़ा हो गया है.. वो बोली कि अब जल्दी करो और फिर मैंने उन्हे बेड पर लेटा दिया और उनकी ब्रा खोल दी और बूब्स चूसने लगा और वो सिसकियां लेने लगी आअहह उफ्फ्फ अह्ह्ह। तो मैंने कहा कि भाभी पेंटी को भी उतार दो.. तो वो बोली कि तुम्ही उतार दो। फिर मैंने जैसे ही पेंटी को उतारा तो मैंने देखा कि उनकी चूत पर छोटे छोटे बाल थे और चूत एकदम मस्त लग रही थी और मैंने जैसे ही वहां पर किस किया भाभी ने मेरा मुहं वहीं पर दबाकर रख दिया और कहा कि चाटो मेरी चूत डार्लिंग। तो मैंने कहा कि भाभी मेरा बहुत मन कर रहा है.. तो उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया और बोली वाह डार्लिंग तुम्हारा कितना मोटा लंड है।

तो में उनके मुहं से यह बात सुनकर बहुत चकित हो गया कि भाभी ने अपने मुहं से लंड बोला और में तो उनको देखता ही रह गया। तभी वो बोली कि क्या हुआ? तो मैंने कहा कि कुछ नहीं.. तो वो बोली कि बस और अब मुझे जल्दी से गीला कर दो। तो मैंने उनके दोनों पैर फैलाकर बीच में आ गया और अपने लंड पर थूक लगाकर उनको बोला कि भाभी क्या डाल दूँ? तो वो बोली प्लीज अब तो मुझे भाभी मत बोलो। तो मैंने कहा कि फिर क्या कहकर बुलाऊँ? तो वो बोली कि बस नयना.. मैंने कहा कि ठीक है नयना तुम्हारी चूत बहुत मस्त है क्या में अंदर डाल दूँ? तो वो बोली कि हाँ जल्दी से और देर ना करते हुए मैंने अपना पूरा का पूरा लंड एक ही झटके में अंदर डाल दिया.. वो चकित रह गयी और उसकी आँख से पानी निकल गया और फिर मैंने कहा कि क्या हुआ? तो वो बोली कि इतना दर्द हुआ कि में बता नहीं सकती.. लेकिन मज़ा आया। तो मैंने कहा कि बोलो और क्या करूं जिससे तुम्हे और मज़ा आए? तो वो बोली कि क्या में तुम्हारे ऊपर आ जाऊँ? मैंने कहा कि ठीक है आ जाओ और वो मेरी जांघ पर बैठ गयी और मेरे लंड पर थूक लगाया और फिर ऊपर बैठ गयी और मेरा पूरा लंड उसके अंदर चला गया। तो मैंने कहा कि नयना क्या हुआ? वो बोली बस तुम्हारे साथ तो ऐसे ही पड़े रहने का मन करता है। तो मैंने कहा कि जब मन करे आ जाना और उसने मेरी उंगलियों में अपनी उंगलियां फंसाकर मेरे ऊपर कूदने लगी और मेरा लंड तो जैसे लोहे की तरह टाईट हो गया था और वो ऊपर कूद कूदकर मजे ले रही थी और 15 मिनट के बाद उसने मुझे ज़ोर से किस किया और उसका पूरा शरीर खिंच गया। फिर मैंने कहा कि क्या हुआ? तो वो बोली कि बस में झड़ने वाली हूँ। तभी मैंने उसे कसकर पकड़ा और बोला कि में भी झड़ने वाला हूँ.. तो वो बोली कि प्लीज वीर्य अंदर मत गिरना। मैंने कहा कि फिर कहाँ गिराऊँ? तो वो बोली कि कहीं और.. लेकिन चूत के अंदर नहीं। तो मैंने कहा कि क्या मुहं में डालूं नयना? वो बोली कि हाँ.. लेकिन पहले तुम सारा वीर्य मेरे बूब्स पर गिरा दो और में बेड के पास खड़े हो गया और लंड को चूत से बाहर निकालकर सारा वीर्य उसके बूब्स पर गिरा दिया और फिर उसने जल्दी से मेरा लंड पकड़ कर अपने मुहं में ले लिया और चूसने लगी।

तभी थोड़ी देर चूसने के बाद वो बोली कि क्यों बस हो गया.. अब तो में जाऊँ? तो मैंने कहा कि फिर कब? वो बोली कि जब तुम बुलाओ तब.. मैंने कहा कि क्या सच? तो वो बोली कि हाँ समीर और पीयूष से तो ज़्यादा मज़ा आया। तो मैंने कहा कि ठीक है फिर हर रोज चाहो तो तुम आ सकती हो.. वो बोली कि क्या यह मुमकिन है? तो मैंने कहा कि हाँ जब तुम्हारा मन करे आ जाना.. तो वो बोली कि मेरा तो हर रोज मन करेगा। मैंने कहा कि ठीक है तो फिर रोज़ आ जाना। फिर हमने करीब एक महीने तक हर दिन सेक्स किया और फिर एक दिन मैंने उससे पूछा कि सच बताओ नयना आज तक तुमने कितने लोगों के साथ सेक्स किया है? तो वो बोली के करीब 24-25 से तो मैंने सेक्स किया है। मैंने कहा तो फिर क्या चाहिए? तो उसने कहा कि कुछ नहीं और फिर मैंने कहा कि अगर करन के साथ सेक्स करना है तो में तुम्हारी सेटिंग करवा सकता हूँ? तो वो बोली वो कैसे? मैंने कहा कि वो काम में कर दूँगा और तुम बहुत खुश हो जाओगी। तो वो बोली कि ठीक है और वो तब से हर रोज मुझसे चुदने आती है कि किसी बहाने में बता दूँ कि करन से कैसे चुदना है ।।

धन्यवाद …

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एक मुलायम चुत की खुजली मिटाई – Ek Mulayam Chut Ki Khujli Mitai | otelsan.ru //otelsan.ru/xbrasilporno/ek-mulayam-chut-ki-khujli-mitai/ Wed, 12 Jun 2019 06:43:00 +0000 //otelsan.ru/xbrasilporno/?p=5664 [...]]]> hindi sex story, khubsurat aurat ki gand mari, antarvasna, desi kahani, hindi sex kahani, padosan aunty ki chudai kahani
मेरे सभी प्यारे दोस्तों, सुशिल के तरफ से आप सभी को otelsan.ru पे स्वागत हे । उम्मीद हे आप सब कुसल होंगे किउंकि जो लोग यंहा पे होतें हैं तो हमेशा खुस ही होतें हे और ये गम को भूलें का बड़ा जरिया हे । तो पढ़िए आजकी ये कहानी और मजा लीजिये ।
अब में दिल्ली में एक नौकरी करने लगा था तो वहाँ पर मैंने रूम भी ले लिया था जैसा कि आपको पता है कि में शुरू से ही शर्मीले स्वभाव का हूँ और इसी वजह से में अपने रूम पर भी बस रात को आना खाना खाना और सो जाना और सुबह उठकर फिर से ऑफिस चले जाना..
बस यह ही मेरी दिनचर्या रहती थी. उस घर में तीन रूम थे.. एक रूम में मकान मालिक और उनकी पत्नी रहती थी जो बहुत अधेड़ उम्र की थी.. दूसरे रूम में एक आदमी कोई 48 साल का होगा वो रहता था और तीसरे में में मेरा रूम गली के बिल्कुल सामने था और सामने वाले घर में दो बहुत ही सुंदर सी मेरी हम उम्र लड़कियों को अक्सर में जाते देखता था.. लेकिन वो कौन है में नहीं जानता था और शायद उनकी माँ जिसकी उम्र 36 साल के आस पास थी.. लेकिन उसका शरीर इतना गठीला और भरा पूरा था और अक्सर गली के लड़को से में उसके चर्चे करते सुनता था.

फिर जब कभी भी में रात को छत पर बैठता तो वो बहुत लोगों के दिलो पर छुरियां चलाती हुई चलती थी और जब भी मटक मटक कर चलती और उसके कुल्हे तो क्या बताऊँ दोस्तों क्या कहर थे? फिर एक दिन में रात को ऑफिस से आया तो वो दोनों लड़कियां मेरे पीछे गली में आ रही थी और जब मैंने पीछे मुडकर देखा तो अंधेरी गली में वो एक दूसरे में खोई हुई थी और एक लड़की दूसरी के कभी गले में लटकती तो कभी गाल पर किस कर लेती. तभी मैंने सोचा कि बच्ची होगी कोई बात नहीं.. ल्रेकिन जब में रूम पर आकर गेट बंद करने लगा तो उसने उस लड़की के गालों पर फिर से किस किया और उसी वक्त मैंने उन्हे देखा और उस दूसरी लड़की ने मेरी और देखकर झूट मूठ गुस्सा उस लड़की पर दिखाते हुए बोली कि तू अपनी बदमाशियों से कभी भी बाज नहीं आएगी अजीब सी स्माईल दी और झट से भागकर सामने वाले घर में घुस गई. फिर में खाना खाकर अपने रूम का दरवाजा खोलकर लेपटॉप पर फिल्म देख रहा था.. तभी मुझे सामने वाले घर की छत से लड़कियों की आवाज़ आई और फोन की लाईट दिखाई दी. तो मैंने सोचा कि यह वही लड़की है और मैंने उस पर ट्राई मारने की सोची मैंने अपने फोन की लाईट को ओन ऑफ किया.

तो उधर अंधेरे में से भी ऐसा ही कुछ सिग्नल मिला और फिर मेरी हिम्मत थोड़ी बड गई. मैंने फिर से ऐसा ही किया और वहाँ से दोबारा से जवाब आया मैंने सोचा कि लगता है कि मामला सेट हो जाएगा. ऐसी हरकतों में बहुत वक्त गुजर गया और में सो गया. फिर सुबह उठते ही मुझे उनका ध्यान आया और में जल्दी से उठा और छत की और देखा तो में हैरान हो गया वहाँ पर वो लड़कियां तो नहीं थी.. लेकिन वो हसीन आंटी जरुर थी. तो मैंने सोचा कि यह ऐसे ही खड़ी होगी और फिर में अपने काम में लग गया. मैंने कपड़े उतारे और तोलिया लपेटकर आँगन में घूमने लगा.. कभी ब्रश करता तो कभी नहाने जाता.. लेकिन मैंने बिल्कुल भी गौर नहीं किया कि वो आंटी तब तक वहीं पर खड़ी होकर मुझे घूरती ही रही जब तक कि में तैयार होकर ऑफिस नहीं चला गया.. लेकिन मेरे मन में एक बार भी यह ख्याल नहीं आया कि रात को वहाँ पर वो आंटी भी हो सकती थी? खैर और अब यह रोज की आदत हो गई. में रात को सोता और वही फोन की लाईट दिखती और फिर सुबह वो आंटी खड़ी नज़र आती.

मैंने उसके बारे में और पता किया तो पता लगा कि वो पंजाब से है और उसका पति एक कम्पनी में मेनेजर है जो कि अक्सर कम्पनी के कामों के लिए बाहर जाता रहता है और मैंने यह भी सुना कि वो अंकल बहुत चुदक्कड है क्योंकि गली के लड़के कहते है कि जब रात को वो दोनों जब भी कभी सेक्स करते है तो उनकी सिसकियों की आवाज़ बाहर गली तक आती है और आंटी तो थी ही माल.. लेकिन उसका पति जब उसकी इतनी ठुकाई कर देता है तो मेरी दाल कहाँ से गलेगी? फिर में बहुत उदास हो गया.. लेकिन फिर भी दिल नहीं माना तो मैंने फिर से कुछ डोरे डालने की सोची. तो एक दिन सुबह सुबह उठा तो वो मुझे घूर रही थी.. में बाथरूम में नहाने गया और तोलिया लपेट कर बाहर आया.. तभी अचानक से जानबूझ कर मैंने अपना टावल नीचे गिरा दिया और मैंने नीचे जानबूझ कर कुछ भी नहीं पहना था और यह दिखाया कि यह काम गलती से हुआ और किसी ने नहीं देखा होगा.. लेकिन जब उसकी तरफ नज़र मिलाई तो वो हँसी और चली गई.. मेरे तो अब भी कुछ समझ में नहीं आया.

फिर एक दिन बाद ही एक जनवरी थी और में शाम को ऑफिस से जल्दी आ गया यह सोचकर कि नया साल रूम पर ही कोई ब्लूफिल्म देखकर मनाऊंगा.. लेकिन घर पर आया था और देखा कि वो आंटी हमारे ही आगंन में मेरी मकान मालकिन के साथ बैठी है मैंने उन्हे नमस्ते किया तो मकान मालकिन ने बताया कि आज उनकी शादी की सालगिरह है और उन्हे घर में कुछ सजावट करनी है और सभी सामान तो वो ले आई है.. लेकिन अकेले यह सब करना मुमकिन नहीं होगा क्योंकि अंकल रात को नहीं आने वाले थे वो कहीं बाहर थे और उन्हें कल सुबह 10 बजे तक आना था तो आंटी ने मुझे मदद के लिए पूछा और मैंने हाँ कर दी.. क्योंकि मुझे लगा कि आज कुछ उम्मीद है शायद कोई मौका मिल जाए. फिर मैंने जल्दी से कपड़े बदले और लोवर डाला. खाना खाने को आंटी ने पहले से ही मना कर दिया था और वो बोली कि मेरे यहीं पर खा लेना.

फिर हम जल्दी से उनके घर पर पहुंचे उनका बहुत ही सुंदर घर था.. वो मेरे आगे आगे गांड को मटका कर चल रही थी और में उनकी मोटी गांड को हिलते देखकर पागल होता जा रहा था. फिर अन्दर आकर पहले आंटी ने मुझे कोल्डड्रिंक पिलाई और कुछ खाने को दिया.. उसके बाद हम घर को सजाने में लग गये. में लड़ियां लगा रहा था और वो नीचे से मेरी मदद कर रही थी और में बीच बीच में उनकी बड़े बड़े बूब्स पर भी निगाह डाल लेता था. इस उम्र में भी उनका फिगर कयामत था.. 36- 26- 38.. सच में कोई नहीं मान सकता था कि उनकी शादी को इतने साल हो चुके है. फिर मैंने धीरे धीरे उनसे बातें करनी शुरू की तो पता लगा कि उनके दो लड़के है और दोनों बंगलोर में रहते है और वो ही यहाँ पर अकेली रहती है. तो में स्टूल पर खड़ा होकर एक उँची सी जगह पर एक पोस्टर लगाने की कोशिश कर रहा था. तभी अचानक से आंटी के हाथ से स्टूल लड़खड़ा गया और में उनके बिल्कुल ऊपर जा गिरा.. गिरते गिरते वो तो सोफे पर जा गिरी और में पास में रखे बेड से टकरा गया और मेरे घुटने पर बहुत ज़ोर से चोट लगी.. लेकिन खून नहीं आया.

में जल्दी से उठा और पूछा कि क्या आंटी आप ठीक तो है? तो वो बोली कि में तो बिल्कुल ठीक हूँ.. लेकिन जब में उठकर चला और एकदम से लंगड़ाया तो आंटी ने मुझसे कहा कि शायद तुम्हे बहुत चोट लगी है? तो मैंने उनकी बात को हँसी में टालना चाहा.. लेकिन वो बोली कि नहीं तुम्हे चोट लगी है मुझे दिखाओ. तो उन्होंने मुझे बेड पर लेटाया और मेरा लोवर ऊपर करके देखने लगी.. मेरे घुटने के ऊपर बहुत दर्द हो रहा था तो वो बोली कि में बाम लेकर आती हूँ.. लेकिन मैंने मना कर दिया तो वो बोली कि तुम चुपचाप लेटे रहो. तुम्हे चोट लगी है. फिर वो दूसरे कमरे में जाकर बाम ले आई और लोवर को थोड़ा ऊपर करके लगाने लगी.. लेकिन बार बार लोवर नीचे आ जाता था. तभी उन्होंने मुझे लोवर को निकालने को कहा. तो में डर गया क्योंकि मैंने नीचे कुछ भी नहीं पहना था और फिर उनके बार बार कहने पर मैंने शरमाते हुए उन्हे बताया कि मैंने नीचे अंडरवियर नहीं पहना है. तो वो बहुत ज़ोर से हंसकर बोली कि कोई बात नहीं तुम यह टावल लपेट लो..

तो मैंने टावल लपेट लिया और वो मेरे पास में बैठकर बाम लगाने लगी और फिर उनके हाथ मेरे शरीर से स्पर्श होते ही मेरे शरीर से कपकपी छूट गई और मैंने अपनी दोनों आँखे बंद कर ली. फिर वो धीरे धीरे घुटने से लेकर मेरी जांघो तक बाम मसल रही थी और मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ रहा था और अब मेरा लंड भी टाईट होने लगा था जिसकी वजह से टावल ऊपर उठ गया था और में शरम के मारे उनसे नज़र नहीं मिला पा रहा था.. लेकिन मजे में उन्हे मना भी नहीं कर पाया और मैंने जिझक में मना भी किया.. लेकिन वो नहीं मानी और वो धीरे धीरे बाम मसल रही थी. मेरे लंड में तनाव आ चुका था और जिसे वो भाँप चुकी थी.

फिर वो भी चोरी चोरी मेरी तरफ देखती.. लेकिन मैंने उन्हे दिखाने के लिए दोनों आखें बंद कर रखी थी और धीरे धीरे उनका चेहरा लाल होने लगा था और चेहरे के भाव भी बदल गये थे और धीरे धीरे बीच बीच में उनका हाथ मेरे लंड को स्पर्श कर जाता.. लेकिन मैंने कोई विरोध नहीं किया और यह दिखाया कि में सो गया हूँ. तो उनकी थोड़ी हिम्मत बड़ी और उन्होंने धीरे से मेरे लंड के ऊपर से टावल हटाया और बहुत अच्छे से उसे घूरा और चोरी से मेरी तरफ नज़रे घुमाई.. लेकिन मेरी आखें बंद थी. फिर उन्होंने मेरे लंड को पकड़ लिया और आराम आराम से उसकी चमड़ी को ऊपर नीचे करने लगी.. फिर उन्होंने धीरे से अपने चहरे को मेरे लंड के पास किया और आराम से लंड को सूँघा और एक किस करके मुहं में ले लिया. मेरे तो पूरे शरीर में जैसे आग ही लग गई. वो उसे मुहं में लेकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी और अब मुझे सब कुछ बर्दाश्त से बाहर हो रहा था. तो में अचानक से उठकर खड़ा हुआ और नाटक करते हुए बोला कि आंटी आप यह आप क्या कर रही हो? तो वो बोली कि तुम बस कुछ मत बोलो और मुझे करने दो में बहुत दिनों से प्यासी हूँ. तो मैंने पूछा कि क्यों लेकिन अंकल है ना आपकी प्यास बुझाने के लिए? तो वो बोली कि हाँ वो बहुत अच्छे से बुझाते है.. लेकिन अक्सर उनके पास अपने दूसरे कामों की वजह से मेरे लिए बहुत कम समय होता है.. लेकिन मेरी प्यास ही इतनी है कि बुझती ही नहीं और मेरी बहुत दिनों से तुम पर नज़र थी. आज मौका भी है और वक़्त भी.

फिर मैंने कहा कि क्यों आज तो आपकी सालगिरह की रात है? तो वो बोली कि कोई बात नहीं आज की रात तुम मेरे पति हो और बस उसके बाद उन्होंने बस हद ही कर दी.. अपने सारे कपड़े उतार दिए और मेरे तो आधे पहले ही उतर चुके थे और बाकी भी उतर गये. फिर वो मुझे ऊपर से नीचे तक बुरी तरह से काटने और चूमने लगी. मेरे होंठ पर, मेरी निप्पल पर, मेरे पेट पर, मेरे लंड पर, मेरी बॉल्स पर. तो मेरे मुहं से बस अह्ह्ह आअहह ही निकल रही थी और में झड़ने लगा तो उसने मेरे लंड को मुहं से बाहर नहीं निकाला और चूस चूसकर मेरे वीर्य की एक एक बूँद को पी गई और उसने मेरे लंड को पूरा निचोड़ दिया.. में चुपचाप लेटा रहा तो वो मेरे पास में आ गई और मेरे बदन को सहलाने लगी और अब मेरी बारी थी.. मैंने उन्हे गरम करना और सक करना शुरू किया तो वो मचलने लगी. में उन्हे किस करता हुआ निप्पल पर काट रहा था.. उसके मस्त मस्त बूब्स को दबा रहा था और उसके मुहं से सिसकियाँ निकल रही थी और अब में थोड़ा और नीचे उनकी चूत पर आ गया.

वाह कितनी गौरी दूध जैसी चूत थी उस पर एक भी बाल नहीं था. एकदम चिकनी जैसे कि मेरे लिए ही तैयार की हो और बिल्कुल लाल फांके. तो मैंने धीरे धीरे से उन्हे खोला और अपनी जीभ को जैसे ही उसमे डाली तो उसने अपनी कमर को उठाया और मेरे सर को पकड़ कर अपनी जांघो में दबा दिया.. में उन्हे काटने और बुरी तरह से निचोड़ने लगा वो चूतड़ उछाल रही थी और हाथ पटक रही थी. मेरे हाथ साथ में उसके निप्पल को दबा रहे थे और वो बस ज़ोर ज़ोर से सिसकियां लिए जा रही थी और वो बिल्कुल बेकाबू हो गई. उसने मुझे अपने ऊपर से हटाकर बेड पर वापस लेटाया और दोबारा मेरे लंड को मुहं में ले लिया. बस एक मिनट में ही वो दोबारा तैयार हो गया और उसने बिना कोई देरी करते हुए लंड को चूत पर सेट किया और उस पर सवार हो गई और जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत में दाखिल हुआ तो उसने ऐसी सांस ली जैसे कि उसे सूकून मिल गया हो.

फिर उसने एक के बाद एक ज़ोर ज़ोर से झटके देने शुरू किए और में उसकी कमर को अपने दोनों हाथों का सहारा दे रहा था और वो मेरे लंड पर उछले जा रही थी. फिर कभी वो ऊपर कभी में.. आधे घंटे तक हम ऐसे ही करते रहे. जैसे ही में झड़ने वाला होता में रुककर उसे सहलाने लगता और फिर से शुरू हो जाता.. लेकिन अब उसकी हाफतें हाफतें हालत खराब हो गई थी और अब में झड़ने वाला था.. तो वो बोली कि वो दो बार झड़ भी चुकी है और तीसरी बार उसका होने वाला है. तो मैंने उससे कहा कि कहाँ पर डालूं? तो वो बोली कि अंदर ही आने दो.. तभी तो मेरी चूत की गर्मी मिटेगी.. मेरे शरीर को शांति मिलेगी और बस 4-5 झटकों के बाद ही में उसकी चूत में झड़ गया. फिर हमने खाना खाया और उसके बाद फिर से शुरू हो गये.. इस उम्र में भी उसमे गजब का जोश था.. वो लगातार सुबह 4 बजे तक मेरा पूरा पूरा साथ देती रही. फिर मैंने इस बीच उसकी एक बार गांड भी मारी और हम साथ में भी नहाए फिर हम ऐसे ही पूरे नंगे सो गए. सुबह 8 बजे उठे साथ में नहाए और एक बार फिर मैंने उसकी गांड मारी और उसके पति के आने से आधा घंटा पहले में वहाँ से निकल गया. फिर उसके बाद तो जितने भी दिन में वहाँ पर रहा.. बस मेरी तो किस्मत में रस ही रस रहा ..

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हेलो दोस्तों आप सभी को otelsan.ru पे स्वागत हे । मैं हूँ अनिल, २४ साल उम्र हे मेरा । मैं एक टीचर हूँ, हर रोज मैं घर घर घूमके बंचो को पढ़ना होता हे । जिससे अछि कमाई हो जाता हे साथ ही साथ उनके ममी, आंटी और बुआ से भी अछि सम्बन्ध बन जाता हे । मैं पढ़ाने में जितना अच्छा हूँ उतना माहिर हूँ लड़की और आंटी पटाने में । ये कुछ १५ महीने पीछे की बात हे मुझे एक नयी लड़की को टूशन देने के लिए बात हुई और वो 12वीं में इंग्लीश की स्टूडेंट थी और मेरी 1200 रूपये महीने में बात हुई.. तो में उसे पढ़ाने जाने लगा। वो लड़की सोम्या 18 साल की थी और वो बहुत गोरी थी। उसकी स्माइल गजब की थी.. उसके छोटे छोटे बूब्स,
छोटी सी ही गांड.. लेकिन उसके लंबे बाल कमर तक आते थे। वो अब धीरे धीरे जवान हो रही थी और मैंने उसको सिर्फ़ 4 महीने पढ़ाया। फिर उसके बाद मेरी किसी पर्सनल प्राब्लम के कारण मैंने उसे पढ़ाना छोड़ दिया.. लेकिन फिर भी उसके पेपर में बहुत अच्छे नंबर आए।

तो इस साल भी मुझे उसको पढ़ाने के लिए बुलाया गया.. वो गर्मियो की छुट्टियों के बाद जुलाई में करीब 5 महीने पहले जब मैंने उसको देखा तो में एकदम दंग रह गया.. क्योंकि जिस लड़की को मैंने पढ़ाना छोड़ा था.. उसमें और इस वक़्त जो लड़की मैंने देखी थी.. कुछ ही महीनो में उसमे बहुत बदलाव आ गए। उसके बूब्स एकदम बहर निकल आए थे, उसकी गांड भारी हो गई, चेहरा जवानी से खिल गया था और अब वो बिल्कुल जवान हो गई थी। उसका ऐसा भरा पूरा बदन था कि वो किसी के भी सपने में आ जाए तो लंड का पानी निकल जाए। उसके एकदम टमाटर से गाल और कोई भी उसके इस रूप को देखकर मचल उठता। फिर मैंने उसको पढ़ाना शुरू कर दिया.. इस साल में उसको पढ़ाने की जगह खुद उससे पढ़ने लगा था और में हर वक़्त उसके बूब्स, बदन को घूरने में लगा रहता और में कोशिश करता कि कैसे भी उसको छू सकूँ.. लेकिन में इसी कोशिश में कई बार उसके गाल को सहलाता या पीठ पर हाथ फेर देता। तो एक दिन सोम्या लोवर पहन कर पढ़ने आई और कुछ देर बाद मेरी नज़र साईड से उसके लोवर पर गई.. लोवर थोड़ा नीचे था। लेकिन उसने पेंटी नहीं पहनी हुई थी और मैंने भी एकदम सही मौका देखकर उसके लोवर में 4 उंगलियाँ डालकर पकड़ लिया.. जिसकी वजह से में उसकी कमर या जाँघ छू सकूं और नीचे कर दिया और वो बोली कि सॉरी सर।

तो मैंने कहा कि क्या अंदर कुछ नहीं पहना.. जिसकी वजह से यह नीचे सरक गया। तो वो शरम से सर झुकाकर मुहं फेरकर शायद मुस्कुरा गई.. मैंने तभी कहा कि इसमे किसी की ग़लती नहीं है। तुम्हारी चमड़ी ही इतनी मुलायम, चिकनी है कि उस पर से कपड़े सरक जाते है.. जैसा नाम वैसा ही शरीर और वो मुझे देखने लगी। तो मैंने उसके चेहरे पर हाथ फेरकर कहा कि चलो अब अपना सवाल करो.. लेकिन दोस्तों उस दिन उसने बिना मन ढंग से पढ़ा और उसके अगले दिन से ही मुझे उसके व्यहवार में बदलाव दिखने लगा। अब वो मुझसे सटकर बैठने लगी और जब कोई आता तो वो एकदम सरककर दूर बैठ जाती और इन तीन चार दिनों में मुझे अहसास हो गया कि अगर इसको ढंग से हेंडल कर लिया जाए तो यह फंस जाएगी। फिर मैंने बहुत सोचा कि क्या करूं? फिर मेरे दिमाग़ में एक विचार आ गया और जब में अगले दिन उसे पढ़ाने गया तो मैंने उसकी संस्कृत की किताब में चुपके से लड़के, लड़की की सेक्सी सीन वाली पतली सी एक किताब रख दी.. क्योंकि में अच्छी तरह से जानता था कि इसको संस्कृत समझ में नहीं आती है.. तो वो इस किताब कम पढ़ती है। फिर अगले दिन मैंने उसको पढ़ाना शुरू किया और करीब 20 मिनट पढ़ाने के बाद मैंने उससे कहा कि सोम्या आज हम संस्कृत पढ़ेगे.. तुम अपनी किताब निकालो। तो उसने अपनी संस्कृत की किताब निकाली और फिर मैंने कहा कि 7वां पेज खोलो और उसने ज्यो ही किताब खोली तो उसमे से वो छोटी सी किताब निकल आई.. वो एकदम चकित हो गई और हड़बड़ाकर उसे मुझसे छुपाने लगी। तो मैंने कहा कि क्या छुपा रही हो.. क्या अपनी मार्कशीट छुपा रही हो? दिखाओ.. इधर लाओ वो कुछ भी नहीं बोली.. लेकिन इसके पहले वो कुछ कर पाती मैंने दोनों किताब उसके हाथ से छीन ली और एकदम उससे अंजान बनकर खोलकर देखने लगा और मैंने जैसे ही वो किताब देखी तो कहा कि ओह भगवान सोम्या तुम अभी से यह किताब देखने लगी हो? तो वो एकदम सहम सी गई और बोली कि नहीं नहीं सर वो सर मुझे पता नहीं यह कहाँ से आई? तो मैंने कहा कि सच सच बताओ यह कहाँ से लाई हो वरना अभी तो मैंने देखी है.. लेकिन अब तुम्हारे पापा, मम्मी को दिखाऊंगा.. लेकिन वो अब क्या बोलती?

फिर वो अब एकदम उदास होकर बोली कि सच में नहीं जानती कि यह कहाँ से मेरे बेग में आई? तो मैंने अपना हाथ आगे बढ़ाकर उससे कहा कि यह लो रख लो इसे और जिससे लाई हो उसी को लौटा देना और में खुद उसे थोड़ा बहुत पढ़ाकर चला आया। फिर अगले दिन वो एकदम डरी डरी मेरे पास पढ़ने आई और मैंने उसे थोड़ी देर पढ़ाने का नाटक किया और फिर उससे पूछा कि वो किताब वापस की या नहीं.. तो वो बोली कि सर में खुद नहीं जानती कि वो किताब मेरे पास कहाँ से आई? तो में बोला कि कहाँ गई वो किताब लाओ मुझे दो.. में उसे कहीं दूर फेंक दूंगा। तो वो बोली कि सर वो तो मैंने अंदर छुपा दी.. में उसे डांटने लगा और कहा कि नालयक जहाँ ना फंसना हो वहां पर फंसोगी.. जाओ लेकर आओ और वो जल्दी से गई और खाली हाथ वापस आई। तो मैंने कहा कि कहाँ गई किताब तो उसने सूट में हाथ डाला और सलवार में फसी हुई किताब बाहर निकालकर मुझे दी। तो मैंने कहा कि बहुत अच्छे.. अब तुम छुपाने के तरीके भी सीख गई.. लेकिन वो बहुत उदास सी दिख रही थी।

फिर मैंने उस किताब को अपनी जेब में रख लिया और उससे पूछा कि कल से अब तक तुमने इस किताब का क्या किया? तो वो एकदम चुप थी.. मैंने कहा कि तुमने कल यह देखी है या नहीं.. सच सच बताओ? तो वो बोली कि हाँ एक बार देखी थी। तो मैंने पूछा कि क्या देखा था? तो वो बोली कि उसमे बहुत गंदी गंदी फोटो थी। तो मैंने कहा कि क्या तुमने वो सारी फोटो देखी? तो वो बोली कि हाँ और मैंने कहा कि तुम्हे कैसे पता कि यह गंदी है और अब में उसका जवाब सुनकर बहुत खुश हो गया.. वो बोली कि वो सब पापा, मम्मी छुपकर रात में करते है। अब मेरा दांव सही बैठ गया और मैंने कहा कि ओह तो तुम अब रात में भी जागने भी लगी हो? तो वो मुझे देखने लगी और वो बोली कि नहीं सर वो एक बार ग़लती से देखा था। तो मैंने कहा कि बहुत बढ़िया.. क्या कुछ अच्छा लगा या यूँ ही टाईम पास किया? तो वो एकदम शरमा गई और मैंने आइडिया लगा लिया कि यह अब वो सब देखकर एकदम मस्त हो चुकी है और मैंने दोबारा से कहा कि क्या क्या देखा? तो वो बोली कि वो सब कुछ जो उस किताब में था। फिर मैंने ठीक है कहा और बोला कि क्या कभी किया तो नहीं यह सब? वो बोली कि नहीं सर नहीं किया। मैंने उसके कंधो पर हाथ रखकर कहा कि देखो सोम्या तुम मुझे बताओ में सब कुछ एकदम सही कर दूंगा और घर में किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा। तो वो बोली कि सर मैंने कुछ नहीं किया और फिर मैंने कहा कि ठीक है और वो दिन निकल गया। उसके अगले दो दिन तक में उसको पढ़ाने नहीं जा पाया और तीसरे दिन में वहां पर गया.. वो जब आई तो एकदम चुप थी और उसने मुझसे पूछा कि आप दो दिन क्यों नहीं आए? तो मैंने कहा कि तुम बहुत झूठ बोलती हो इसलिए में नहीं आया। तो वो बोली कि सच में सर मैंने आप से कोई झूठ नहीं बोला बस एक बात छुपाई थी। तो मैंने कहा कि वो क्या? और वो बोली कि सर इस साल गर्मियों के समय में अपनी मौसी के यहाँ पर गई थी। वहां पर दीदी ने मुझसे गंदी गंदी बातें की थी.. यह सब बताया था और कहा था कि अगर तुम रात में जागकर मम्मी, पापा को देखोगी तो ज़्यादा मज़ा आएगा.. इसलिए मैंने एक बार वो देखा था। फिर मैंने कहा कि और क्या क्या हुआ था वहां पर.. सच सच बताना। तो वो बोली कि दीदी ने एक लकड़ी का डंडा मुझसे अपनी उसमें डलवाया था.. तो मैंने कहा ओह भगवान आप मुझसे क्या करवा रही हो? और दीदी ने एक बार मेरी इसमे भी डाला था। दोस्तों ये कहानी आप कामुकता डॉट कॉम पर पड़ रहे है।

तो मैंने कहा कि कैसे क्या हुआ था? तो वो बोली कि मुझे बहुत ज़्यादा जलन हुई थी और खून भी निकला था.. लेकिन मुझे कुछ देर के बाद में बहुत अच्छा लगा था। तो मैंने कहा कि सच सच बताओ यह सब कितनी बार किया? और यह काम कब करती थी? तो वो अब एकदम खुलकर जवाब देने लगी और बोली कि रात में हम दोनों एक साथ में सोते थे। हम उस समय यह करते थे और बस 4 बार किया। तो मैंने कहा कि ठीक है चलो जो हुआ सो हुआ.. लेकिन तुम्हे मज़ा आया कि नहीं? तो वो थोड़ा सा हंसी और हाँ बोली। तो मैंने अपनी पेंट में तन चुके लंड की तरफ इशारा करके उससे कहा कि तुम अगर लकड़ी की जगह इसको वहां पर डालती तो कुछ ज़्यादा मज़ा आता और वो बहुत गौर से पेंट का उठा हुआ हिस्सा देखने लगी।

फिर मैंने कहा कि जल्दी से इसे पकड़कर देखो.. क्या वो लकड़ी इससे मोटी थी और उसने अपना एक हाथ थोड़ा आगे की तरफ किया। तो मैंने खुद ही उसका हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया और कहा कि अब बताओ? तो वो बोली कि इससे पतला था और मैंने उसके हाथ में ही लंड को पकड़े हुए दो तीन बार ऊपर नीचे किया और फिर उसका हाथ हटा दिया और मैंने कहा कि क्या देखोगी इसको? तो वो बोली कि अगर कोई आ जाएगा तो? फिर मैंने कहा कि बाहर निकाल लूँ.. अगर कोई आ गया तो ऊपर से किताब रख लूँगा.. तो तुम देख लेना। तो उसने हाँ में सर हिलाया और मैंने बिना वक़्त बर्बाद किये जिप खोल ली और ऊपर किताब रख ली और उससे कहा कि लो देखो। तो वो नीचे झुककर देखकर बोली कि यहाँ तो कुछ भी नहीं है। तो मैंने कहा कि पगली हाथ लगाकर देखो.. उसने हाथ लगाया और मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ लिया और फिर मैंने कहा कि अब जल्दी से निकाल कर देख लो। तो उसने मेरी अंडरवियर में हाथ डाला.. तो मेरी झांटो में फंसता हुआ नर्म उँगलियों वाला हाथ मेरे लंड पर पहुंच गया।

फिर उसने लंड को बाहर निकाला और देखकर शरमाते हुए कहा कि यह तो बहुत मोटा और लंबा है.. मैंने कहा कि क्यों अच्छा है? वो बोली कि हाँ और फिर मैंने कहा कि अब इसे अंदर कर दो बाकी का कल देखना। दोस्तों मुझे डर था.. क्योंकि उसकी मम्मी कभी भी चाय लेकर आ जाती थी और मेरा प्लान सही जा रहा था। फिर अगले दिन मैंने कहा कि सोम्या कल कैसा लगा था? वो मुहं मोड़कर बोली कि अच्छा लगा था और मैंने कहा कि मुझे भी अच्छा लगा था। तुम्हारे हाथ बड़े नरम है क्या और पकड़ोगी? तो उनसे अपना सर हाँ में हिलाकर जवाब दिया और मैंने उसी तरह एक किताब रखकर उससे लंड को बहर निकलवाया और सहलाने को कहा.. वो किसी अनुभवी की तरह मेरे लंड की मुठ मारने लगी.. फिर कुछ देर के बाद मैंने उससे कहा कि बस अब रहने दो और जिप लगाकर जैसे तैसे पढ़ाई ख़त्म की.. लेकिन अब तो लगभग में हर रोज उससे मुठ मरवाता, उसकी जांघे सहलाता, एकदम कड़क बूब्स को भी दबाने लगा। मुझे बहुत मज़ा आता था। फिर एक दिन बूब्स दबाते वक़्त जब वो मस्ती में अपनी दोनों आखें बंद किए हुई थी.. तो मैंने उससे पूछ लिया कि सोम्या कितना अच्छा होता अगर में यह तुम्हारी इसमे डालकर मज़ा देता। तो वो एकदम से बोली कि हाँ सर मुझे बहुत मज़ा आता और फिर मैंने कहा कि क्या करवाएगी? वो बोली कि हाँ.. लेकिन तभी किसी के आने की आहट से हम नॉर्मल हो गए और अब मैंने दिमाग़ लगाया कि यह तो लगभग फंस गई है.. लेकिन अब इसको चोदूँगा कहाँ और कैसे? और में उसी उधेड़ बुन में लगा रहता। तभी अचानक से एक दिन में जब उसको पढ़ाने के लिए गया तो करीब दस मिनट बाद उसकी मम्मी आई बोली कि सोम्या में बाजार जा रही हूँ और सर के जाने के बाद दरवाजा अंदर से ढंग से लगा लेना और में जल्दी आ जाउंगी।

फिर वो चली गई.. तो सोम्या उठकर गई और दरवाजा लगाकर आई.. तो मैंने उसका एक हाथ पकड़कर खींचा और उसे अपने ऊपर बैठा लिया और उसके दोनों बूब्स दबाने लगा, उसे चूमने लगा, तुम बहुत अच्छी हो सोम्या कहने लगा और वो भी मुझसे कहने लगी और उसकी साँसे तेज हो गई। तो मैंने जल्दी से उसको अलग किया अपना लंड बाहर निकालकर उसे पकड़ा दिया और कहा कि लो आज देख लो इसे और वो मेरे लंड को पकड़कर देखने लगी। तो मैंने उससे कहा कि किस कर लो इसको और उसने किस किया.. मैंने सोचा कि आज एक बार इसे चोद लूँ वरना ना जाने कब किसी कुवांरी लड़की को चोदने का मौका मिलेगा? तो मैंने उसको सोफे पर लेटाया उसकी लेगी और पेंटी को नीचे किया और उसकी कुवांरी चिकनी चूत देखकर में किस किए बिना नहीं रह पाया। मैंने जब किस किया तो वो सईईइ अह्ह्ह्हह करके सिसक उठी और सिसकियाँ लेने लगी। तो मैंने उसकी चूत पर थूक लगाया और अपनी एक उंगली अंदर डाल दी और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ लेने लगी.. अह्ह्ह्ह उह्ह्ह माँ सर नहीं सर अह्ह्ह। तो मैंने जल्दी जल्दी उंगली चूत में चलाई और में उसके बूब्स भी दबा रहा था। वो अहह सस्स सीसिसीसिस ससीसी सररररररर नहीं अह्ह्ह कहती रही और बहुत ज़ोर से मेरे हाथ को पकड़े हुए थी।

तो मैंने देखा कि वो अब मज़े करने लगी है.. तो मैंने लंड पर बहुत सारा थूक लगाया और लंड को चूत से सटा दिया। उसकी चूत बहुत गरम थी और में अच्छी तरह से जानता था कि यह मेरे लंड का दर्द ना सह पाएगी.. तो मैंने उसके दोनों हाथों को अपने हाथों से कसकर पकड़ लिया और उसके होंठो को मुहं में भर लिया और फिर पूरी ताक़त से एक धक्का देकर लंड को अंदर डाल दिया.. वो मेरी पकड़ से छूट ना पाई.. लेकिन मेरे मुहं से उसके होंठ बाहर निकल गए और वो ज़ोर ज़ोर से आह्ह्ह्ह अईईईईईईइ चीखी.. नहीं प्लीज इसे बाहर निकालो सर मुझे नहीं करवाना.. आह्ह्ह्हह प्लीज छोड़ दो अह्ह्ह मुझे सर प्लीज़ और रोने लगी। मैंने फिर से एक धक्का मारकर पूरा का पूरा लंड अंदर कर दिया और वो लगातार चीख रही थी। तो मैंने कहा कि बस डार्लिंग हो गया अब दर्द नहीं होगा। तो वो रोते हुए बोली कि नहीं अआह्ह्ह्हह्ह नहीं सर प्लीज अह्ह्ह्ह प्लीज बाहर निकाल दो और वो अपनी कमर उठाने लगी, हिलाने लगी। तो मैंने भी अपना दबाव लगाया और चोदना शुरू कर दिया 20-25 धक्को के बाद वो शांत होने लगी। तो मैंने ज़ोर ज़ोर से धक्के देने शुरू कर दिये.. उसके बूब्स दबाकर उसको चूमते हुए चोदने लगा वो आह्ह्ह उह्ह्हह्ह माँ सर आह्ह्ह कहते हुए अचानक और करो हाँ और ज़ोर से करो आह्ह्ह्ह सर आह्ह्ह्ह कहने लगी। तो में भी अपनी पर आ गया और लगातार धक्के देकर चोदने लगा। वो मुझसे लिपटने लगी, मुझे चूमने लगी.. वो अब पूरे जोश में थी और मुझे उस कुवांरी लड़की को चोदने में जो मज़ा आ रहा था.. पूछो मत और उसकी आह्ह्ह उह्ह्ह्ह.. सिसकियाँ सुनकर मेरा जोश बढ़ गया था। में और जल्दी जल्दी धक्के देकर चोदने लगा और मैंने चोदना जारी रखा और 15 मिनट तक लगातार चोदने के बाद मेरा वीर्य बाहर आने वाला था.. तो मैंने तेज़ी से लंड को बहर निकालकर एक बार में पूरा के पूरा अंदर किया। तो उसको एकदम हिचकी आ गई.. मैंने लंड निकाला उसके हाथ में पकड़ाकर मुठ मरवाई.. 4-6 बार हिलाते ही लंड ने पिचकारी छोड़ दी और मेरा गरम गरम लावा उसके हाथ में भी लग गया। तो मैंने रुमाल से उसका हाथ साफ किया और उसने मेरा हाथ पकड़कर चूम लिया.. फिर में उसके ऊपर लेट गया और कहा कि तुम बहुत अच्छी हो सोम्या और उसने भी जवाब में कहा कि आप भी बहुत अच्छे। फिर हम दोनों कुछ देर बाद अलग हुए और कपड़े पहने.. उसको थोड़ा थोड़ा दर्द हो रहा था। फिर मैंने उसको गोद में बैठाया उसके जिस्म को सहलाया, चूमा उसका थोड़ा दर्द कम किया। फिर में कुछ देर के बाद उसके घर से निकल आया.. अब उसके बाद हम लोगों को जब भी मौका मिलता है.. तो हम चुदाई कर लेते है ।।

धन्यवाद …

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बहन ने लंड चूसा और चुदाई की मजा ली – Bahan Ne Lund Chusa Aur Chudai ki Maja Li | otelsan.ru //otelsan.ru/xbrasilporno/bahan-ne-lund-chusa-aur-chudai-ki-maja-li/ //otelsan.ru/xbrasilporno/bahan-ne-lund-chusa-aur-chudai-ki-maja-li/#comments Sun, 09 Jun 2019 02:31:42 +0000 //otelsan.ru/xbrasilporno/?p=5636 [...]]]> hindi sex story, hindi sex kahani, bhai bahan ki sex kahani, bahan ki chut mari, bahan ki chutad fadi, bahan ki gand mari
हेलो मैं बिभोर दिल्ली से हूँ मेरा उम्र २१ साल हे । मैं अपने चची के पास गाओं में रहता हूँ । जब सहर से आयी तो मेरे दूर के रिश्तेदार ताउज हमारे घर ए थे उनकी एक बीटा और एक बेटी भी हे । बेटी का नाम दीपा हे जिससे में छोड़ने वाला था । वही बहन की चुदाई की कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूँ ।

जब में शहर में अपनी पढ़ाई पूरी करने आया तो अपने सभी रिश्तेदार से मिला और तब मैंने दीपा को वहां पर देखा तो में बिल्कुल चकित रह गया। उसके बूब्स बहुत बाहर आ चुके थे और बहुत मोटे मोटे दिखाई दे रहे थे। में तो उसे देखता ही रह गया, शायद उसने भी इस बात पर गौर कर लिया था। वो बोली कि तेरा ध्यान कहाँ है? तो मैंने कहा कि कहीं नहीं और ऐसे ही बहुत दिन गुज़र गये और फिर एक दिन में अपने पास के शहर से अपनी कार में वापस घर आ रहा था तो अचानक मुझे रोड पर दीपा और उसकी माँ और उसकी दो पड़ोसने दिखाई दी। फिर मैंने अपनी गाड़ी रोककर उनसे पूछा कि क्यों घर जाना है तो वो बोली कि हाँ भगवान का शुक्र है कि तुम मिल गये वर्ना हम पैदल ही घर जाते, क्योंकि इस जगह से हमें कोई साधन भी नहीं मिलता और फिर दीपा फटाफट से पिछली सीट पर बैठ गई। तभी उसकी माँ बोली कि दीपा तू आगे बैठ जा हम तीनों पीछे बैठते है और में पीछे की तरफ मुहं करके देखने लगा। वो अंदर से ही आगे वाली सीट पर आने लगी तो उसका एक बूब्स कपड़ो से बाहर आकर मेरे मुहं पर लगा और उसने उस समय काले कलर का सूट पहना हुआ था जो कि बहुत टाईट था और जब उसने आगे आने को अपनी एक टाँग फैलाई तो मुझे उसके पैरों के बीच में बहुत सारा पसीना आया हुआ दिखाई दिया, वो बिल्कुल गीली थी और फिर में झट से समझ गया था कि उसने उस समय पेंटी नहीं पहनी हुई थी।

फिर वो आगे आकर बैठ गई और उसकी माँ और वो दोनों औरतें बातों में एकदम मस्त थी और में उसके साथ बातें कर रहा था और बार बार उसके बूब्स को देख रहा था। तभी वो मुझसे मुस्कुराती हुई बोली कि लगता है कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है? तो मैंने कहा कि हाँ नहीं है और फिर वो बोली कि हाँ तभी तो हमेशा इतने परेशान रहते हो। दोस्तों मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया कि उसने मुझसे क्या यह सब क्यों कहा? और जब वो गाड़ी से उतरकर जाने लगी तो उसकी मटकती हुई गांड को देखकर मुझे बहुत जोश चड़ गया और मैंने घर पर पहुँचते ही बाथरूम में जाकर मुठ मारने लगा और फिर मैंने दो बार लगातार मुठ मारी और सो गया। कुछ दिन ऐसे ही बीतते चले गये। फिर कुछ दिन के बाद मेरे ताऊ जी के घर पार्टी थी और उस समय मेरे दादा दादी जी भी उस समारोह में शामिल होने के लिए घर पर आ गये और में उनके साथ घर पर चला गया। जब में अपने ताऊ जी के रूम में पहुँचा तो मैंने देखा कि वहां पर दीपा तैयार हो रही थी। तभी वो डरकर अचानक से मेरी तरफ मुड़ी और बोली कि क्या यार विभु तुम हो? तो मैंने कहा कि हाँ में हूँ अगर तुम्हे कोई काम हो तो बताओ में करवा दूँगा। तो वो बोली कि हाँ सबसे पहले तुम यह मेरे ब्लाउज का हुक लगा दो, ये थोड़ा टाईट है। फिर दोस्तों जब में हुक लगाने लगा तो मुझे पता चला कि वो थोड़ा नहीं बहुत ज़्यादा टाईट था। फिर में उससे बोला कि तुम भी मेरी हेल्प करो यह ब्लाउज सच में बहुत टाईट है और फिर उसने अपने बूब्स मेरे सामने ब्लाउज में एक हाथ डालकर सेट करते हुए ब्लाउज को थोड़ा सरकाया जिसे देखकर मेरा तो लंड पेंट को फाड़कर बाहर आने को था और यह सब उसने तैयार होते हुए देख लिया था और फिर हम पार्टी में डांस करने लगे तो उसने मेरा हाथ पकड़कर मेरे साथ डांस किया और सबके सामने यह प्रदर्शित किया कि हम भाई बहन है, लेकिन दोस्तों मुझे उसका तो पता नहीं, लेकिन मेरे दिल में बहुत कुछ था और फिर उस दिन से हम दोनों फोन पर चेटिंग करने लगे थे, लेकिन ऐसे कि जैसे हम एक दूसरे के कोई दोस्त है।

फिर आख़िरकार वो दिन आ ही गया जब मुझे उसकी चूत के दर्शन करने का मौका मिल गया, क्योंकि उस दिन उसके मम्मी पापा और मेरे घर वाले पास वाले शहर में किसी के घर पर जागरण में चले गये और दीपा को मेरे साथ मेरे घर पर छोड़ गये। मेरे दिल में तो अब लड्डू फूटने लगे, तब सर्दियों के दिन थे और में सोफे पर बैठकर टीवी पर क्रिकेट मैच देख रहा था। तभी कुछ देर के बाद अचानक लाईट चली गई और उस समय मैच बहुत मजेदार चल रहा था तो मुझसे रहा नहीं गया और मेंने अपने लॅपटॉप पर मैच लगा लिया। वो मेरे पास आकर खड़ी हो गई और फिर वो भी मैच देखने लगी और जब कुछ देर बाद मैंने उसकी तरफ देखा तो में कंट्रोल से बाहर हो गया। उसने नीले कलर की बिल्कुल टाईट टी-शर्ट और लोवर पहना हुआ था। वो उसमें क्या मस्त लग रही थी मेरा तो दिल कर रहा था कि उसके बूब्स को पकड़कर चूसकर सारा का सारा दूध पी लूँ और उन्हे नीबूं की तरह निचोड़ डालूं। तभी वो मुस्कुराते हुए मुझसे बोली कि मैच देख लो और अपना ध्यान मैच पर रखो मुझ पर नहीं। वो उस समय इतना कहते हुए थोड़ा मेरे पास बैठ गई और भी करीब आने लगी और फिर वो मुझसे बोली कि विभु मुझे यहाँ पर ठंड लग रही है, तुम अपना यह लेपटॉप बेड पर रख लो।

फिर में उसके कहने से बेड पर आ गया और में अपने दोनों पैरों को कम्बल के अंदर करके बैठ गया। वो मेरे एक साईड में बैठी हुई थी और थोड़ी दूरी पर थी जिसकी वजह से उसे लॅपटॉप सही ढंग से नहीं दिख रहा था। वो मुझसे बोली कि लेपटॉप को थोड़ा इधर कर लो और मैंने वैसा ही किया। में अब उसकी साईड में और उसके बिल्कुल पास बैठ गया और कंबल में पूरा घुसा हुआ था, लेकिन अब मेरा पूरा ध्यान मैच से बिल्कुल हट चुका था और में धीरे धीरे अपने एक पैर से उसके पैर को रगड़ने लगा और मैंने एक पैर उसके पैर पर रख दिया, लेकिन उसने कोई विरोध नहीं किया में समझ गया था कि उसे भी अब इस सर्दी में गरमाहट चाहिए और फिर मैंने अपना एक हाथ भी कंबल में घुसा दिया और एक साईड से उसकी हल्के से गांड को छूने लगा, लेकिन वो फिर भी मुझसे कुछ भी नहीं बोली और इतनी देर में मैच ख़त्म हो गया, लेकिन उसका ध्यान कहीं और था। तो कुछ देर के बाद वो बोली कि तुम्हारी गर्लफ्रेंड का क्या नाम है? में अब लगातार धीरे धीरे उसकी गांड पर हाथ फेरता रहा और उससे बोला कि कोई है ही नहीं। तो वो झट से बोली कि ऐसा हो ही नहीं सकता और ऐसे ही हम गर्लफ्रेंड के बारे में बातें करते रहे। तभी मैंने धीरे धीरे अपने हाथ की जगह चेंज कर दी और अपने हाथ को उसके लोवर के ऊपर से ही उसकी चूत के पास ले गया। वो मुझसे बोली कि विभु यह क्या कर रहे हो? क्या तुम्हे शर्म नहीं आती, में तुम्हारी बहन हूँ? तो में बोला कि मैंने ऐसा क्या किया है? तो वो बोली कि अब तुम ज़्यादा चालाक मत बनो, तुम्हारा हाथ कहाँ पर है? तो मैंने कहा कि मेरा हाथ यहीं पर है और मैंने अपना हाथ थोड़ा और टाईट कर लिया। तभी वो मेरा हाथ पकड़कर छुड़ाने लगी और बोली कि यह है तुम्हारा हाथ। तो में बोला कि तो क्या हुआ? तुम मेरी बहन हो इसलिए हम दोनों एक दूसरे की बातें तो जान सकते है। वो बोली कि यह बात बिल्कुल गलत है। भाई बहन में कभी भी ऐसा नहीं होता। में उसे अब मनाने लगा, लेकिन वो नहीं मान रही थी तो मैंने उससे कहा कि चलो अगर तुम मुझे अपना अच्छा भाई मानती तो प्लीज मुझे एक बार अपना शरीर दिखा दो। वो लगातार ना ना कर रही थी तो मैंने उसे अपनी कसम देकर एक बार दिखाने को बोला तो वो मान गई और मुझसे बोली कि में सिर्फ़ एक बार ही तुम्हे दिखाउंगी और फिर वो अपनी टी-शर्ट के ऊपर के बटन खोलने लगी। तभी मैंने उसे रोक दिया और वो अचानक से रुक गई और मेरी तरफ देखने लगी। मैंने उससे कहा कि तुम रहने दो में खुद ही खोल लूँगा और फिर मैंने धीरे धीरे बटन खोलकर उसके ऊपर का हिस्सा उतार दिया। वो गुलाबी कलर की ब्रा में थी और उस पर फूलों की डिजाईन बनी हुई थी। में उससे बोला कि मुझसे अच्छे तो यह फूल ही है, कम से कम तुम्हारी ब्रा से तो चिपके हुए है। तो वो हँसने लगी और मैंने सही मौका देखकर उसके बूब्स को ब्रा के ऊपर से ही पकड़ लिया। तो वो बोली कि मैंने सिर्फ़ देखने को कहा था छूने को नहीं। तो मैंने कहा कि प्लीज मुझे छूने दो, पक्का में सेक्स नहीं करूंगा और फिर मैंने उसे विश्वास दिलाया कि सेक्स नहीं करूंगा।

तो वो मान गई में फिर उसके लोवर की तरफ बढ़ा तो वो मुझसे बोली कि क्या इसको उतारना ज़रूरी है? तो मैंने कहा कि असली चीज़ तो यहीं पर है प्लीज उतारने दो और फिर झट से मैंने उसकी लोवर को उतार दिया उसने लाल कलर की पेंटी पहन रखी थी और अब वो ब्रा और पेंटी में क्या मस्त लग रही थी। ऐसे ही करते करते मैंने उसके एक कंधे से उसकी ब्रा को नीचे कर दिया और उसका एकदम सफेद बूब्स आधे से ज्यादा बाहर आ गया और उसने मुझे पकड़ लिया। मैंने उसके एक बूब्स को एक हाथ में लिया और दूसरा हाथ उसकी पेंटी में डाल दिया और उसकी चूत को पहली बार छूकर देखा। मेरे छूते ही वो बिल्कुल पागल हो गयी और उसने एकदम से पलटकर मुझे बिल्कुल टाईट पकड़ लिया और मुझे लिप किस करने लगी और सिसकियाँ लेने लगी। मुझे पता चल चुका था कि अब सब कुछ मेरे हाथ में या मेरे लंड में है। में उसकी चूत को पेंटी के अंदर ही बार बार छू रहा था और धीरे धीरे सहला रहा था। फिर में उसकी चूत के सामने आ गया और मैंने उसकी पेंटी को उतार दिया। दोस्तों वाह क्या जन्नत की तरह थी वो जगह उसकी चूत बिल्कुल साफ थी। मैंने उसे अपनी बाहों में लेकर लेटा दिया और उसकी चूत को छूने लगा। तो वो मुझसे कहने लगी कि प्लीज अब ऐसा मत करो मुझे बहुत अजीब सा महसूस हो रहा है।

दोस्तों अब मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं गया और मैंने उसकी चूत के ऊपर मुहं रख दिया और उसे किस करने लगा इस वजह से वो बहुत ज़ोर से मचलने लगी जैसे बिन पानी के मछली तड़पती है वैसे ही तड़पने लगी और वो मेरा सर अपनी चूत पर दबा रही थी। मैंने उसके दोनों पैरों को फैला दिया और उसकी बैचेन चूत में अपनी जीभ को डाल दिया। वाह दोस्तों क्या मस्त अहसास था, पहली बार मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे मैंने ऐसी रसीली और मजेदार चीज़ कभी खाई ही नहीं। फिर कुछ देर ऐसे ही करते करते वो झड़ गई और उसकी चूत का पानी मेरी जीभ को लग गया वो बहुत अजीब से स्वाद का था, मैंने उसे थूक दिया। तो वो मुस्कराते हुए बड़ी संतुष्ट लगी, लेकिन में अभी भी ठंडा नहीं हुआ था और में हल्का सा उसके ऊपर आकर अपना लंड उसके दोनों बूब्स के बीच में दबा लिया और रगड़ने लगा। जब में लंड को आगे की तरफ ले जाता तो वो अपना मुहं खोलकर उसे अंदर ले लेती। फिर दीपा ने बोला कि में और अब नहीं रह सकती, प्लीज़ इसे नीचे डालो, मुझे बहुत अजीब सा कुछ कुछ हो रहा है। फिर मैंने भी अपने लंड को हाथ में ले लिया और दीपा की चूत के मुहं पर रगड़ने लगा। वो अब झटपटाने लगी और मुझसे लंड को अंदर डालने की भीख माँगने लगी। मैंने फिर से हल्का सा ज़ोर देकर अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के अंदर डाला तो उसकी एक बार आखें फट गयी। में थोड़ी सी देर बिल्कुल शांत हो गया और फिर दूसरे ही झटके में लंड को अंदर की तरफ पहुंचा दिया। उसके मुहं से बहुत ज़ोर से चीख निकल पड़ी और आँखो से आँसू। में फिर से थोड़ा नीचे की तरफ होकर उसके होंठो को चूसने लगा और उसके बूब्स को दबाने लगा और फिर मैंने सही मौका देखकर एक बार फिर से धक्का मार दिया और अब लंड बहुत अंदर जा चुका था और वो बार बार मुझसे से उसे बाहर निकालने के लिए कह रही थी, लेकिन में अब वहां से वापस नहीं लौट सकता था इसलिए मैंने थोड़ा सा रुककर मैंने फिर से एक आखरी झटके में अपना लंड जड़ तक दीपा की चूत में डाल दिया और वो दर्द से झटपटाने लगी और में फिर से नीचे झुककर उसको स्मूच करने लगा और बूब्स को दबाने लगा।

फिर थोड़ी देर बाद उसको भी दर्द खत्म होने के बाद जोश आ गया और धीरे धीरे से अपने कूल्हों को हिलाने लगी और में समझ गया कि अब शायद उसे भी मज़ा आने लगा है और फिर में भी हल्के हल्के झटके लगाने लगा। फिर वो कभी मुस्कुराती तो कभी एक रांड की तरह लंड का मज़ा लेते हुए स्माईल देती और अब मेरे भी धक्कों की स्पीड और भी तेज हो चुकी थी और मेरा लंड पिस्टन की तरह अंदर बाहर हो रहा था और अब मुझे लगा कि शायद वो झड़ने वाली है इसलिए मैंने धक्के और तेज कर दिए ताकि उसे और भी चुदाई के मज़े मिले और फिर उसका शरीर अकड़ने लगा और मेरी बहन मेरे लंड से चुदाई करवाती हुई झड़ गई। अब मैंने अपनी स्पीड को और भी बढ़ा दिया और चूत में बहुत गीलापन होने की वजह से फच फच की आवाजें आने लगी और अब मुझे भी लगने लगा कि शायद अब में भी झड़ने वाला हूँ तो मैंने अपने धक्के और भी तेज कर दिए और 15-20 धक्कों के बाद में और दीपा एक साथ झड़ गये और थोड़ी देर तक हम दोनों एक साथ लेटे रहे और एक दूसरे को देखकर मुस्कुराते रहे। मैंने ध्यान से देखा कि दीपा के बूब्स एकदम लाल हो चुके थे और उस पर मेरे हाथों के निशान भी साफ साफ नज़र आ रहे थे।

फिर हम ऐसे ही नंगे फिर से एक बार जोश में आ गये और एक दूसरे से सांप की तरह लिपट गये। मेरा लंड एक बार फिर से उसके पैरों के बीच दस्तक देने लगा और मेरी बहन मुस्कुरा रही थी और मेरा लंड पकड़कर एक बार फिर से हिलाने लगी और कुछ देर के बाद मेरे लंड को मुहं में लेकर चूसने लगी और जब मैंने उसे लेटने के लिए कहा तो उसने कहा कि नीचे के लिए आज इतना ही बहुत है और बाकी बाद में। फिर उसने अपने गुलाबी होंठ मेरे लंड पर जकड़ दिए और चूसने लगी। में उसके बालों को पकड़कर पीछे करके उसको देखने लगा, वो बड़े मज़े से चूस रही थी और कभी कभी एक हाथ से अपने बूब्स को भी बॉल की तरह दबाती। दोस्तों उस रात हम दोनों बिना कपड़ो के ही रहे और सारी रात सोए नहीं और जब हमारे घरवालों का आने का टाईम हुआ तो हम एक बार और चुदाई करके सब कुछ साफ करके सो गए। दोस्तों आज भी वो एक होस्टल में रहकर नर्सिंग की ट्रेनिंग कर रही है में जब भी वहां पर जाता हूँ तो एक पूरे दिन और रात हम होटल में एक दूसरे के साथ रहते है। मुझे आज भी उसकी चूत बहुत रसीली लगती है और उसे देखते ही मेरा दिल करता है कि उसे लगातार चाटता ही रहूँ ।।

धन्यवाद …

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पड़ोसन बहन की मजेदार चुदाई की कहानी – Padosan Bahan Ki Majedar Chudai Ki Kahani | otelsan.ru //otelsan.ru/xbrasilporno/padosan-bahan-ki-majedar-chudai-ki-kahani/ //otelsan.ru/xbrasilporno/padosan-bahan-ki-majedar-chudai-ki-kahani/#comments Tue, 04 Jun 2019 16:26:05 +0000 //otelsan.ru/xbrasilporno/?p=5592 [...]]]> padosan ladki ki chudai, hindi sex story, gandi kahani, antarvasna, sex story in hindi, bahan ki chudai, cousin sister sex story in hindi
हेलो फ्रेंड्स, मैं गुरु दिली से, ये कहानी मेरे पड़ोसन लड़की के साथ हुई चुदाई की बारे में । मेरे ८ इंच का बड़ा लंड हे जो किसी भी लड़की , भाभी, आंटी को खुलकर सकता हे । मैं हमेशा नयी चुत चोदने के लिए सुजोग ढूंढता रहता हूँ । आज ये कहानी पढ़ने के बाद आप मेरे बारे में बहत कुछ जान पाएंगे ।
दोस्तों, यह कहानी मेरे और मेरी पड़ोसन के बारे में है जिसकी मैंने जमकर चुदाई की।
वैसे दोस्तों वो दिखने में बहुत ही सुंदर है और वो मुझसे एक साल छोटी है करीब 22 साल, उसका नाम प्रियंका है और में उसके बारे में क्या बताऊँ वो बहुत सेक्सी है, एकदम साफ रंग ऊपर से जब वो टी-शर्ट पहनती है तो उसके गोल गोल बूब्स देखकर तो में बिल्कुल ही पागल हो जाता हूँ और कभी कभी जब वो गहरे गले की टी-शर्ट पहनती थी और में अपनी बालकनी में खड़ा होता था तो में तो बस उसके बड़े बड़े बूब्स की लाइन ही देखता रहता था और उसकी गोल गांड के तो क्या कहने? में जब भी उसकी गांड को देखता तो मेरा मन करता था कि बस उसी समय उसके कपड़े उतारकर उसे चोदना शुरू कर दूँ, लेकिन यह सब मुमकिन नहीं हो पता था, तो मुझे उसकी चुदाई करने की सारी तड़प अपनी गर्लफ्रेंड पर उतारनी पड़ती या मजबूरी में मुठ मारनी पड़ती थी, लेकिन उससे बुरी बात तो यह थी कि वो अब मुझे भैया बोलने लगी थी, जो मुझे बिल्कुल भी पसंद नहीं था, लेकिन दोस्तों अगर कोई लड़की आपको भाई बोलती है तो उसका सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि आप उससे कभी भी जब मर्ज़ी हो मिलने जा सकते हो और उसे कहीं भी बुला सकते हो और अगर सब कुछ ठीक रहा तो आप कभी भी उसे चोद भी सकते हो और आपके ऊपर किसी को शक भी नहीं होगा।

दोस्तों जब से वो जवान हुई थी में तो उसे चोदने के सपने देखने लगा और में दिन रात उसके बारे में सोचने लगा। में उसके बारे में सोच सोचकर एकदम पागल होने लगा था, लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि अगर मैंने कुछ किया तो उसका रिज़ल्ट क्या होगा? फिर भी में तो कभी कभी थोड़ी थोड़ी कोशिश करता रहता था, जैसे कि जब में उसके घर जाता था तो उसके साथ बैठने की कोशिश करता था। उसके हाथ पर अपना हाथ रख देता था या उसे घूरता रहता था, लेकिन उसकी तरफ से कभी भी कोई ऐसा जवाब नहीं आया कि जिससे मुझे लगे कि वो भी मुझसे चुदना चाहती है, लेकिन मुझे उससे क्या लेना, मुझे तो बस उसे चोदना था? और अब एक दिन हुआ यह कि में अपने कॉलेज के पेपर की तैयारी कर रहा था और में उस समय कॉलेज के आखरी साल में था, उस वक़्त प्रियंका भी अपने दूसरे साल के पेपर की तैयारी कर रही थी। वो अक्सर मेरे पास अपनी समस्या लेकर आती रहती और में उसकी मदद किया करता था। में कई बार मज़ाक मज़ाक में उसे पढ़ाते वक़्त उसके बूब्स और गांड पर हाथ मार दिया करता था, लेकिन वो मुझे कभी कुछ नहीं बोलती थी, शायद वो मुझे अपना भैया समझती थी। फिर हुआ यह कि प्रियंका के पापा का ऑफिस दिल्ली के बाहर है और इसलिए वो हर रोज अप-डाउन करने की बजाए कभी कभी वहीं पर रुक जाते है और घर नहीं आते और फिर हमारे पेपर शुरू होने के ठीक एक हफ़्ता पहले एक दिन प्रियंका की मम्मी हमारे घर पर आई और उन्होंने बोला कि उनके भाई मतलब प्रियंका के मामा की तबीयत अचानक से बहुत खराब हो गई है और उन्हे और उनके पति को वहां पर जाना पड़ रहा है और वो प्रियंका को अपने साथ नहीं ले जा सकते, क्योंकि उसके पेपर शुरू होने वाले थे और फिर उन्होंने बोला कि आप लोग प्लीज उसका ध्यान रखना और कभी कभी गुरु को प्रियंका के पास भेज देना ताकि वो उसे पढ़ा दे और उस वजह से प्रियंका को अकेलापन भी महसूस नहीं होगा। तो में एक तरफ खड़ा खड़ा यह सारी बातें सुन रहा था और मन ही मन बहुत खुश हो रहा था, अब मुझे लग रहा था कि शायद अब में प्रियंका को चोदने का अपना ख्वाब पूरा कर सकता हूँ।

तो अगले दिन जब में कॉलेज से वापस आया तो में बहुत खुश था, क्योंकि में जानता था कि आज प्रियंका घर पर एकदम अकेली है और आज मेरे पास पूरा मौका है उसे चोदने का, लेकिन में अब भी यही सोच रहा था कि में यह सब कैसे करूँगा? और फिर सोचते सोचते शाम पड़ गई और तब तक प्रियंका भी घर पर आ चुकी थी तो मैंने मम्मी से बोला कि आप प्रियंका और मेरा खाना पेक कर दो में उसके साथ ही खा लूँगा। तो मम्मी ने बोला कि ठीक है। दोस्तों प्रियंका मुझे हमेशा भैया बोलती थी तो इसलिए हम पर कोई भी ऐसे शक नहीं कर सकता था और फिर उसके बाद रात को 9 बजे मैंने खाना पेक करके प्रियंका के घर की घंटी बजाई और जब उसने दरवाजा खोला तो में तो बस उसे देखता ही रह गया। उसने आज एक बहुत छोटी सी स्कर्ट, एकदम टाईट टी-शर्ट पहन रखी थी। में तो उसकी गोरी गोरी जांघे देखता ही रहा फिर में अंदर गया और में पीछे से उसकी उठी हुई स्कर्ट में से उसकी जांघे झाँकने लगा, लेकिन कुछ ज्यादा नज़र नहीं आ रहा था और अब में उसके बूब्स को घूरने लगा जो उस टी-शर्ट में एकदम सेक्सी लग रहे थे। फिर मैंने प्रियंका को खाना दिया और उसे प्लेट में डालकर लाने को बोला और में टीवी चलाकर बैठ गया। मैंने टीवी पर सारे चेनल चला दिए, लेकिन किसी पर भी कोई सेक्सी फिल्म नहीं आ रही थी तो मैंने टीवी को बंद कर दिया। फिर प्रियंका ने पूछा कि भैया आपने टीवी क्यों बंद कर दिया? तो मैंने बोला कि उस पर कुछ नहीं आ रहा था और मैंने उससे पूछा।

में : और बता क्या चल रहा है?

प्रियंका : सब मस्त है भैया आप बताओ आपका क्या हाल है, क्या पेपर की तैयारी हो गई?

में : नहीं यार, मेरा तो आज कल कहीं मन ही नहीं लगता।

प्रियंका : क्यों भैया ऐसा क्या हुआ?

में : पता नहीं यार, आज कल कहीं दिल नहीं लगता, पता नहीं क्या बात है?

प्रियंका : क्या में बताऊ भैया आपको क्या हुआ है?

में : हाँ जल्दी बताओ?

प्रियंका : शायद आपको कोई पसंद आ गया है और यह सब प्यार में ही होता है। (वो मंद मंद मुस्कुरा रही थी)

में : हाँ शायद तू बिल्कुल सही कह रही है, आजकल तो में बस उसके ही सपने देखता रहता हूँ और हमेशा उसी के बारे में सोचता रहता हूँ।

प्रियंका : वो कौन है भैया प्लीज मुझे भी बताओ ना?

में : कोई नहीं है तू अपना खाना खा और पढ़ाई कर।

प्रियंका : नहीं भैया मुझे नहीं पढ़ना, प्लीज पहले आप मुझे बताओ ना कौन है?

में : अच्छा तू खाना खा ले जब हम पढ़ने लगेंगे तो में तुझे पक्का बताऊंगा।

प्रियंका : क्या पक्का वादा?

में : हाँ पक्का वादा।

प्रियंका : फिर ठीक है।

फिर उसके बाद प्रियंका वहां से उठी और चली गई और फिर थोड़ी देर बाद प्रियंका ने मुझसे बोला कि वो नहाने जा रही है। तो मैंने उससे बोला कि ठीक है, लेकिन थोड़ा जल्दी आ जाना फिर हम पढ़ना शुरू कर देंगे। तब मैंने मन ही मन सोचा कि आज में इसको सब सच सच बता दूँगा और अगर सब ठीक रहा तो आज इसकी जमकर चुदाई भी कर दूँगा और फिर मैंने भी अपने घर पर जाकर बोल दिया कि आज में लेट ही आऊंगा, क्योंकि मुझे आज प्रियंका को पढ़ना है। तो मम्मी ने मुझसे बोला कि तो तू वहीं पर सो जाना और अब मेरे तो जैसे लॉटरी लग गई, मैंने मम्मी को झट से हाँ बोल दिया और जल्दी से वापस प्रियंका के घर चला गया और उसके बाद में सीधा प्रियंका के रूम में कुछ किताब लेने के लिए चला गया, उसका दरवाजा खुला हुआ था और मैंने बस अभी तक हल्का सा दरवाजा खोला था और मेरी नज़र जब रूम में पड़ी तो में तो पूरी तरह से हिल गया। मैंने अंदर की तरफ देखा कि प्रियंका सिर्फ़ एक टावल को लपेटकर खड़ी हुई थी और शायद वो कुछ ढूंड रही थी। में तो बस पीछे से उसकी गोरी गोरी जांघे देखने लगा और उसकी गांड भी बहुत बाहर की तरफ निकली हुई थी, कसम से अब तो में और भी पागल होता जा रहा था और मेरा लंड भी अब पूरा खड़ा हो चुका था और मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि में अब क्या करूं?

तभी मैंने देखा कि उसने अलमारी में से अपनी एक काली कलर की ब्रा-पेंटी निकाली जो की बहुत सेक्सी थी और देखकर लग रहा था कि शायद वो वहीं पर चेंज करेगी, लेकिन उसने ऐसा कुछ नहीं किया बल्कि वो तो बाथरूम की तरफ जाने लगी थी तो मुझसे अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैंने दरवाजा खोला और जानबूझ कर उसके रूम में ग़लती से अंदर जाने की एक्टिंग करने लगा। तो वो अचानक से डर गई और मैंने उसे देखते ही सॉरी बोला। प्रियंका बोली कि भैया अपने तो मुझे डरा ही दिया था। मैंने उससे कहा कि में कुछ किताब लेने अंदर आया था। में उसके हाथ की तरफ देख रहा था, उसके हाथ में उसकी ब्रा और पेंटी थी। जब उसने इस बात पर गौर किया तो उसने झट से अपनी ब्रा-पेंटी को अपनी गांड के पीछे छुपा लिया। मेरा तो बस मन कर रहा था कि उसको यहीं पर लेटाकर चूमना, चाटना शुरू कर दूँ और अब वो भी थोड़ा शरमाने लगी थी, क्योंकि वो मेरे सामने सिर्फ़ एक टावल में खड़ी हुई थी। तो मैंने उससे बोला कि शरमाने की कोई बात नहीं है तुम जाकर चेंज कर लो, में बाहर तुम्हारा इंतजार करता हूँ। यह बात सुनकर उसने मुझे स्माइल दी और जैसे ही वो बाथरूम की तरफ चलने लगी तो अचानक उसका टावल अलमारी के हेंडल में अटक गया और एक ही झटके में वो टावल उसके शरीर से अलग हो गया और जो मैंने उसके बाद देखा। दोस्तों वो में आपको शब्दो में भी बया नहीं कर सकता, क्योंकि वो ठीक मेरे सामने एकदम नंगी खड़ी हुई थी और उसके मोटे मोटे बूब्स मेरे सामने थे, जिन्हे में पूरा दिन रात चूसने के सपने देखता था और उसकी गुलाबी चूत देखकर तो में पागल ही हो गया और मेरा लंड भी अब मेरी पेंट फाड़कर बाहर आने लगा था। तो उसने मेरे लंड के बड़ते हुए आकार को महसूस कर लिया था और फिर करीब 30 सेकिंड तक उसे समझ में नहीं आया कि वो अब क्या करे? उसके बाद जब वो थोड़ा झुककर टावल उठाने लगी तो तब तक बहुत देर हो चुकी थी में सीधा उसके पास गया और उसे अपने गले से लगा लिया और बोला कि प्रियंका में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो में तुम्हारे बिना नहीं जी सकता। तो उसने अपने आपको मुझसे छुड़वाया और अपना टावल उठाकर लपेट लिया और बोला कि नहीं भैया ऐसा नहीं हो सकता क्या आप पागल हो गए हो और यह आप क्या बोल रहे हो?

फिर मैंने बोला कि में जो भी बोल रहा हूँ वो सब सच बोल रहा हूँ। उसने बोला कि अगर किसी को पता चल गया तो सब क्या बोलेंगे? तो मैंने कहा कि किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा और किसी को बताएगा भी कौन? यह बात हम दोनों के बीच में ही रहेगी। तो उसने बोला कि नहीं भैया प्लीज आप ऐसा मत सोचो, यह सब बिल्कुल ग़लत है। फिर मैंने बोला कि इसमे कुछ ग़लत नहीं है और फिर मैंने धीरे धीरे उसको अपनी तरफ खींचना शुरू कर दिया। पहले तो वो मेरा विरोध करती रही, लेकिन जब मैंने ज़बरदस्ती अपने होंठो को उसके होंठो पर रखे तो थोड़ी ही देर बाद वो जोश में आकर मेरा साथ देने लगी और मुझे भी अब लगा कि लोहा गरम हो गया है तो मैंने भी धीरे धीरे उसका टावल खींचना शुरू कर दिया, पहले तो वो मेरा हाथ हटाती रही लेकिन जब मैंने उसे खींचकर बेड पर लेटाया और उसके गुलाबी होंठो को चूसने लगा तो वो भी मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी और फिर मैंने उसका टावल उसके शरीर से एक बार फिर से अलग कर दिया। अब वो मेरी बाहों में बिल्कुल नंगी पड़ी थी। में उसकी चूत देखकर पागल हुआ जा रहा था। फिर में एक हाथ से उसके बूब्स दबाने लगा और में एक हाथ उसकी चूत पर रखकर उसे मसलने लगा।

फिर वो बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गई और सिसकियों की आवाजें निकालने लगी, लेकिन में उसके होंठो को लगातार चूसता रहा जिसकी वजह से उसकी आवाज़ बाहर नहीं निकली और फिर मैंने उसके बूब्स को चूसना शुरू किया और मैंने बहुत बार उसके निप्पल पर भी काटा जिससे वो एकदम मचल जाती थी और फिर में धीरे धीरे चूमते चाटते नीचे जाने लगा। उसका पेट कांप रहा था और उसे भी अब सेक्स चड़ने लगा था और उसके बाद मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया। फिर मैंने देखा कि अभी तक उसकी आँखे बंद थी और उसने मेरे लंड को नहीं देखा था। फिर मैंने उसके दोनों पैरों को फैला दिया और मैंने देखा कि वो अभी तक पूरी तरह से वर्जिन थी, शायद उसने आज तक अपनी चूत में उंगली भी नहीं की थी। फिर मैंने अपनी जीभ के साथ उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया, वो पूरे मज़े के साथ हवा में उछलने लगी और आवाज़े निकालने लगी प्लीज भैया ऐसा मत करो अहाहहह आईईई, लेकिन कुछ देर बाद ही वो मुझसे कहने लगी अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह बहुत मज़ा रहा उह्ह्ह्हह्ह्ह्ह प्लीज थोड़ा और अंदर करो प्लीज भैया और अंदर अह्ह्हह्ह्ह्ह। तो उसके मुहं से यह आवाज़े सुनकर मुझमें भी अब जोश आ गया और में अपनी पूरी जीभ उसकी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगा। तो वो बोलने लगी कि भाई अह्ह्ह्ह मुझे कुछ हो रहा है आऐईईई अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो अआह्ह्ह रहा प्लीज भैया रूको, लेकिन में नहीं रुका और उसकी चूत को लगातार चूसता, चाटता रहा और उसी वक़्त वो झड़ गई और उसने अपना सारा माल अपनी चूत से बाहर निकाल दिया। तो मैंने एक टिश्यू पेपर लेकर उसकी चूत को साफ किया और फिर मैंने अपना लंड अपने हाथ में पकड़ा और उससे बोला कि अब जानेमन तुम्हारी बारी है और मैंने उसे इशारे में अपना लंड चूसने को बोला। तो पहले उसने साफ साफ मना किया, लेकिन मैंने उसे बहुत देर तक समझाया और उससे थोड़ी सी ज़बरदस्ती की और उसके मुहं में अपना लंड डाल दिया और फिर वो भी बड़े मज़े से मेरा लंड चूसने लगी। दोस्तों में क्या बताऊँ में तो उस समय जैसे सातवें आसमान पर था, वो मेरा लंड ऐसे चूस रही थी जैसे मानो कोई छोटा बच्चा आईसक्रीम खा रहा होता है। वो अपनी पूरी जीभ को मेरे लंड के टोपे पर घुमा रही थी और थोड़ी ही देर के बाद में भी झड़ गया। वो लंड पर से अपना मुहं हटाना चाहती थी, लेकिन मैंने मजबूती से उसका सर पकड़ लिया और सारा माल उसके मुहं में ही निकाल दिया और फिर बाद में उसने उसे थूक दिया।

फिर हम एक दूसरे के साथ ऐसे ही नंगे लेटे हुए थे और वो फिर से मेरे लंड को अपने हाथों से दोबारा सहलाने, दबाने लगी। तो में भी झट से समझ गया कि अब यह मुझसे चुदना चाहती है और अब आज मेरा भी सपना पूरा होने वाला था। फिर उसने थोड़ी देर मेरा लंड सहलाया और वो तनकर खड़ा हो गया। फिर मैंने उसके दोनों पैरों को खोलकर अपने पेट पर घुमा दिया और उसकी गांड के नीचे एक तकिया रख दिया और एक तेल की बोतल अपने पास रख ली, लेकिन वो अब बहुत डर रही थी और बोल रही थी कि भैया प्लीज रहने दो हम फिर कभी कर लेंगे, आपका लंड बहुत बड़ा है यह मेरे अंदर नहीं जाएगा, लेकिन में कहाँ मानने वाला था? मैंने तेल की बोतल खोली और उसकी चूत को पूरा तेल के साथ भर दिया ताकि लंड आसानी से अंदर चला जाए और थोड़ा सा तेल अपने लंड पर भी लगा लिया और फिर उसके बाद मैंने अपने लंड का टोपा उसकी चूत के मुहं पर रखकर एक ज़ोरदार धक्का मारा और उसके मुहं से एक बहुत तेज़ चीख निकली आअहहह्ह्ह्ह उह्ह्हह्ह्ह्ह मर गई, इसे बाहर निकालो प्लीज, नहीं तो में मर जाउंगी, प्लीज भैया ऊईइइइईईईई माँ, भैया प्लीज मुझ पर थोड़ा तरस खाओ, प्लीज अह्ह्हह्ह्ह इसे बाहर निकालो, लेकिन में कहाँ रुकने वाला था और मैंने एक और धक्का लगा दिया जिसकी वजह से वो और बहुत तेज़ छटपटाने लगी, उसने छूटने की बहुत कोशिश की लेकिन मैंने उसे अपने पैरों के साथ जकड़ लिया था और उसके मुहं पर अपना मुहं रखा था ताकि उसकी आवाज़ बाहर ना निकल सके।

फिर में थोड़ी देर तक एक जगह पर रुका रहा और मैंने नीचे की तरफ देखा तो उसकी चूत में से खून निकल रहा था, शायद वो वर्जिन थी और यह उसकी पहली चुदाई थी इसलिए खून चूत से बाहर निकला होगा और थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहने के बाद मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए और जब उसकी आवाज़ कम हो गई तो मैंने उसके मुहं से अपना मुहं हटा लिया और उसकी चूत में पूरे ज़ोरदार धक्के मारने लगा और अब उसे भी मज़ा आने लगा था वो भी अब मेरा पूरा पूरा साथ दे रही थी। हमारी आवाज़े पूरे कमरे में गूँज रही थी और में उससे बोल रहा था कि प्रियंका में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और मैंने हमेशा से तुम्हे ऐसे ही चोदना चाहता था। तो प्रियंका भी बोल रही थी कि हाँ भैया में भी आपसे बहुत प्यार करती हूँ और अब उसकी सिसकियाँ भी बड़ने लगी थी और वो बोल रही थी कि भैया थोड़ा और ज़ोर से करो अह्ह्हह्ह्ह्ह हाँ आज इसमें पूरा अंदर डाल दो अपना लंड उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़ हाँ बहुत मज़ा आ गया, भैया प्लीज आज मुझे अपनी बना लो और हमेशा मुझे ऐसे ही चोदते रहना। तो में भी बोलने लगा कि मेरी रानी तू बिल्कुल भी फ़िक्र मत कर, में अब दिन रात एक करके तुझे चोदूंगा और तेरी चूत को शांत करूंगा, में तुझे अपनी रानी बनाकर रखूंगा। फिर करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद एक तेज धक्के के साथ हम दोनों एक एक करके झड़ गये। मैंने अपना सारा वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया और में बहुत थककर एकदम निढाल होकर उसके ऊपर गिर गया और अब उसके शरीर के साथ साथ उसकी चूत भी ढीली हो गई थी और वो मेरी तरफ देखकर मुझे स्माइल दे रही थी और फिर मैंने थोड़ी देर बाद उठकर उसे एक किस किया और एक कपड़ा लेकर उसकी चूत और अपने लंड से खून को साफ किया और उसके बाद मैंने उस रात उसे तीन बार और चोदा, लेकिन उसके बाद में अब तक में उसे पता नहीं कितनी बार चोद चुका हूँ और हर बार में उसे एक नई स्टाईल में चोदता हूँ, वो हर बार मेरी चुदाई से बहुत खुश हो जाती है ।।

धन्यवाद …

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