jija sali ki chudai – | otelsan.ru //otelsan.ru Odia Sex Stories Thu, 13 Jun 2019 00:50:44 +0000 en-GB hourly 1 /> भाई की शादी में मिली उसकी साली दीपा – Bhai Ki Shadi Me mila Uski Sali Deepa | otelsan.ru //otelsan.ru/xbrasilporno/bhai-ki-shadi-me-mila-uski-sali-deepa/ //otelsan.ru/xbrasilporno/bhai-ki-shadi-me-mila-uski-sali-deepa/#respond Thu, 13 Jun 2019 00:50:44 +0000 //otelsan.ru/xbrasilporno/?p=5688 [...]]]> jiju sali ki chudai, hindi sex story, jija ne sali ki chudai ki, sali ki komal chut aur bade bade boobs, hot desi sali ki chudai kahani
हैलो दोस्तों, मैं सिद्धार्थ हाज़िर हूं आप लोगों के सामने एक और नई कहानी के साथ। मैं otelsan.ru का नियमित पाठक हूं, तो सोचा क्यूं ना अपनी ज़िन्दगी के कुछ खूबसूरत पल आप लोगों के साथ शेयर करूं।
मैं भुवनेश्वर का रहने वाला हूं। मैं अभी २३ साल का हूं और जिम रेगुलर जाने के वजह से बॉडी भी अच्छी है। चलिए अब कहानी पर आते हैं। ये ५ महीने पहले की बात है। मेरे मौसेरे भाई की शादी पास ही की गांव में तय हो गई। तो मुझे शादी की तैयारी करनेके लिए गांव आना पड़ा। शादी वाले दिन हम बारात लेकर निकल पड़े, गांव में बारात लेट ही आती है,तो हमे पहुंचते पहुंचते रात १२ बज गए। शादी है भाई की तो नाचना तो बनता है, दुल्हन के घर के पास तो और जोश के साथ नाचा जाता है क्यूं की भाई की सारी कमसिन सालियां तो वहीं मिलेंगी।
यूं ही नाचते नाचते मेरी नजर एक खूबसूरत हसीना पे टिक गई। मैं उसे ही देखते देखते नाचने लगा। क्या कहूं दोस्तो क्या लग रही थी वह। लाल लहंगे में गोरा बदन की वह कमसिन लड़की, उभार उसके ३६ के लग रहे थे जो उसके कपड़ों में कसी हुई थी, सपाट गोरी पेट और उसपे गहरी नाभि जिसको छूने को होंठ तरस रहे थे, उसकी वह हसीन आंखें, गुलाब की पखुड़ियों की तरह फूल हुए उसके गुलाबी होंठ, में तो उसमे खो गया था। कुछ देर बाद उसके नज़र मुझ पे पड़ी, आंखों से आंखें मिली और मैं और जोश से नाचने लगा, वह भी मुझे देखे जा रही थी और हम दोनों एक दूसरे को देख के अब मुस्कुराने लगे।
नाचना गाना ख़तम हुआ तो हम दूल्हे को लेके अंदर गए । दुल्हन की कुछ बेहने हमारे लिए कोल्डड्रिंक्स और स्नैक्स लेके आए। उनमें वह भी थी, में फिर उसे देख के मुस्कुराया और उसने शरमके मारे दूसरी तरफ मुंह कर दिया। भाई से पूछा तो पता चला कि वह भाभी की कजिन है जो भुवनेश्वर में ही पढ़ाई कर रही है। उसका नाम था दीपा। मैं दावत खाके शादी की रस्म में पहुंच गया। वहां वह नहीं दिखी, में थोड़ी देर इधर उधर देखा तो वह मुझे अपनी बहनों के बीच में मिलगई। उसने मुझे देखा और मुस्कुराके अपनी बहनों को छत पे बुलाया, उन्होंने मना किया तो उसने मेरी तरफ देख के बोला “” मुझे अच्छा नहीं लग रहा है यहां तो में छत पे। जारही हूं।”” और वह चली गई, में कुछ देर खड़ा रहा और फिर छत पे चला गया इधर उधर देखा अंधेरे में कुछ दिखाई नहीं दे रहा था तो मैंने फोन की लाइट ऑन कर दिया, वह एक कोने माए बैठी हुई थी। मुझे वहां देख के पहले चौंकी फिर मुस्कुराई और बोली “”मेरा पीछा कर रहे हो??
मैं: नहीं तो
दीपा: झूठ मत बोलो
मैं: तुम्हारा नाम क्या है??
दीपा: में क्यूं बताऊं??
मैं: दोस्ती करनी है तुम्हारे साथ।
दीपा: में तो तुम्हे जानती तक नहीं।
मैं: मेरा नाम सिद्धार्थ है और मैं भुवनेश्वर में पढ़ाई कर रहा हूं।
दीपा: हाय, में दीपा।
मैं: काफी खूबसूरत नाम है।
दीपा: थैंक यू
मैं और दीपा यूं ही बातें करते रहे और हमारी दोस्ती पक्की हो गई ।
दीपा की उम्र २१ साल की थी और वह अपनी ग्रेजुएशन भुवनेश्वर में वूमेंस कॉलेज में कर रही थी। हमने एक दूसरे से अपने नंबर भी शेयर किए।फिर शादी ख़तम हुई और मैं भुवनेश्वर लौट आया। हम दोनों की फोन पर घंटों बात होती रहती थी। यूं ही हम ने मिलने प्लान बनाया, और शाम को साथ में एक पार्क गए। वहां मैंने उसे प्रपोज किया और उसने भी हां कह दिया। मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और मैं उसको बाहों में लेकर उसके होठों को चूसने लगा उसने भी मुझे कसकर पकड़ लिया और मेरा साथ देने लगी। चूंकि वहां बहुत अंधेरा था तो कोई हमें देख नहीं सकता था हमने तकरीबन ५ मिनट यूं ही एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे। सांस लेने के लिए हम रुके, हम दोनों एक दूसरे को देख के मुस्काए और फिर से एक दूसरे के होंठो के रस पान करने लगे। मैं उसके टीशर्ट उठाके उसके कमर को कसके पकड़ लिया और उसके गले और कान में किस करने लगा। उसने मुझे वहीं रोक दिया और बोला ये जगह ठीक नहीं है। मैं भी सहमत था । फिर थोड़ी देर बाद मैं उसे लेकर उसके हॉस्टल में छोड़ दिया। अगले दिन शनिवार था । तो इस वीकेंड को मैंने पूरी जाने का प्लान बनाया, सबको शायद मालूम होगा पूरी अपनी समुद्र तट के लिए जाना जाता है। मैंने उसे कहा तो वह बोली ठीक है मैं हॉस्टल में घर जाने का बहाना बना दूंगी।
उस दिन ३ बजे मैंने उसे उसकी हॉस्टल से पिक करके पूरी के लिए अपनी बाइक पे निकल आया। हम पूरी ५ बजे पहूंच गए। हमने एक होटल में रूम बुक किया जो सी बीच के पास ही था। मैं एक शॉर्ट पैंट और बनियान और वह एक मिनी स्कर्ट और व्हाइट टॉप पहन के बाहर आयी। फिर हम समुंदर में नहाए और ढेर सारी मस्ती की वहां मैंने उसके दोनों स्तन को मसलता रहा चूंकि हल्का अंधेरा था तो बहत से कपल भी अपने अपने काम में लगे हुए थे । फिर मैं रेत पे बैठा और वह भी मेरी गोद में बैठ गई। थोड़ी देर किस करने के बाद हमसे रहा नहीं गया और हम अपने कमरे के तरफ चल पड़े।
रूम में घुसते ही मैंने कुण्डी लगा दिया और उसे बाहों में भर लिया और उसके होंठों के रस पीने लगा। वह भी किसी भूखी शेरनी की तरह मेरे होंठो को चूम और काट रही थी मैंने उसकी टॉप को निकाल के फेंक दिया और उसकी ब्रा भी निकाल दी। उसने मेरे बनियान निकाल के फेंक दी अब हम ऊपर से बिल्कुल नंगे एक दूसरे से लिपटे एक दूसरे के होंठों का रस पान कर रहे थे । मैंने उसे बेड पे धकेल दिया और उसकी ऊपर आके उसके स्तनों को मसलने लगा और उसके गले को दांतों से काटने लगा। वह दर्द और मजे के मिले जुले एहसास के साथ सिसकियां के रही थी। मैंने उसके दोनों चूचों को दबाने के साथ उसके निपल्स को भी चूसने और काटने लगा, वह दर्द से थोड़ा कराह रही थी और धीरे धीरे काटने को बोल रही थी , में अपना कंट्रोल खो रहा था । उसके बदन से आ रही भीनी खुशबू मेरे होश उड़ रहे थे। धीरे धीरे वह भी मजे की समंदर में गोते लगाने लगी उसकी सिसकारियां तेज़ होने लगी। मै उसके स्तनों को दबाते हुए नीचे जाने लगा उसके नाभि में जीभ डाल के चूसने लगा और उसके पेट काटने लगा। उसके स्कर्ट को उतार फेंका और उसकी मखमली गोरी चूत को देख के खो गया। उसके बिना बालों वाला चूत देख के मेरे मुंह में पानी आ गया। मैं बिना देर किए उसके चूत पे अपना जीभ टीका दिया और चाटने लगा , उसकी सिसकारियां और तेज़ हो गई उसने मेरे सर को अपने चूत पे दबा दिया मैंने भी उसकी चूत के अंदर तक अपनी जीभ डाल के चाटने लगा। थोड़ी ही देर में उसने अपना पानी मेरे मुंह में छोड़ दिया और उसका सारा पानी में गटक लिया। उसने मेरी तरफ मुस्कुराके देखा और मुझे बेड पे लिटा दिया और मेरे पैंट उतार दिया और मेरे नागराज जो कब से खड़े थे उन्हें देख के एक नॉटी मुस्कान दिया और मेरे लन्ड को किस करने लगी फिर मेरे आंखो में आंखे डाल के सुपाड़े को अपने मुंह के अंदर लिया और चूसने लगे। सिसकारी लेने के बारी मेरी थी, क्यूं की जिस तरह वह मेरा लन्ड चूस रही थी कोई कह भी नहीं सकता कि ये पहली बार लंड चूस रही थी। तोह मैंने भी पूछा ऐसे मस्त लंड चूसना कहां। से सीखा तो उसने बताया कि पोर्न देख के।
मैंने भी ज़्यादा कुछ सवाल किए मज़ा लेने लगा , पर अब नागराज गुफा में घुसने। के बेताब थे, तो मैंने ज़्यादा देर करना ठीक नहीं समझा। मैंने उसे बेड पे लिटा दिया और उसके कूल्हे के नीचे तकिया रख दिया। फिर अपने सख्त लंड को उसकी चूत पे रगड़ ने लगा उसने कहा पहली बार है तो मैंने बाथ रूम से बॉडी लोशन निकाल के चूत और लंड पे लगा लिया और उसके चिकने चूत पे लंड टीका के जोर दार धक्का मरा तो सुपाड़ा अंदर चला गया और वह जोर से चिल्ला उठी , सुक्र था जो रूम साउंड प्रूफ था वरना पूरा होटल में उसकी आवाज़ सुनाई देती। मैंने उसकी होंठो को चूसने लगा और उसकी निपल्स को सहलाने लगा जब उसकी दर्द थोड़ा कम हुआ मैंने एक और धक्का लगाया तो मेरा आधा लंड अंदर चला गया और फिर उसने चिल्लाना शुरू किया, मैंने उसकी निपल्स को मुंह में लेके चूसने लगा, और उसकी दर्द काम होती गई उसने हल्के से अपना कमर हिलाई तो मैंने भी आधा लंड से उसको धीरे धीरे चोदने लगा । उसने मेरे आंखों में देख के पूरा डालने को बोल दिया और मैंने भी एक और जोरदार धक्का लगा दिया और पूरा लंड अंदर चला गया।
थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद मैंने धीरे धीरे उसको चोद ने लगा, उसको थोड़ा थोड़ा दर्द था पर थोड़ी देर में उसको भी मजा आने लगा और वह धीरे धीरे अपनी गांड़ उठा कर चुदवाने लगी, धीरे धीरे मेरी भी गति बढ़ ने लगी और मैं ज़ोर ज़ोर से धक्का लगाने लगा । ५ मिनट चोदने के बाद मैंने उसे अपनी गोद में बिठाकर लंड को चूत ने डाल कर उसकी चूचियों को मसल कर चोद ने लगा, में नीचे। से धक्का लगते रहा और उसकी चूचियों को अपने होंठो से चूसने लगे। हमारा बदन पसीने से लथपथ था , उसकी बदन पर पसीना की खुशबू मुझे पागल बना रहा था ।
मैंने उसे घोड़ी बना दिया और पीछे आ गया। उसकी पीठ पर अपनी दांत गडा के उन्हें काटने लगा और उसकी गान्ड पे थप्पड़ जड़ा, वह चिल्ला उठी । फिर मैंने पीछे से उसकी चूत पे लंड रगड़ के धक्का मारा और एक झटके में पूरा लन्ड अन्दर डाल दिया । उसकी चूचों को मसलता हुआ मैं धक्का मारने लगा। हम दोनों अब मजे के लहर में तैर रहे थे। रूम में सिर्फ हम दोनों। कि सिसकारियां सुनाई दे रही थी , अब दीपा भी मुझे जोर जोर से चोदने को कहने लगी, और मैं भी अब बिना किसी हिचक के उसकी चूत का भोसड़ा बनाने में लग गया। हमने तकरीबन २० मिनट ऐसे। हि चुदाई करते रहे और इसी बीच वह तीन बार झड़ चुकी थी। अब झड़ने की बारी मेरी थी, उसने अन्दर झड़ने को बोला। ये उसकी पहली चुदाई थी तो मैं भी उसे भरपूर आनंद देते हुए उसकी चूत को अपनी गरम वीर्य से लबालब भर दिया। इस लंबी चुदाई के बाद हम दोनों थक के बेड पे गिर गए। वह मेरे सीने मैं अपना सर रख के लेट गई। थोड़ी देर बाद मेरी आंख खुली तो देखा वह वैसे ही। सो रही थी, मुझे उसे देख कर प्यार आगया मैंने उसके माथे पे और होंठो पे किस किया तो वह कस मसा के उठी और मुझे अपने बाहों में भर लिया और बोली “”आई लव यू सो मच जान””, तुमने मुझे आज मुझे वह सुख दिया जो हर एक लड़की अपनी पति से चाहती है, मैंने तुम्हे अपना सब कुछ सौंप दिया और तुम मुझे इसी तरह प्यार करते रहना””। मैंने मुस्कुराके उसको अपनी प्यार का इजहार किया और उसको अपने गोद में उठाकर बाथरूम ले गया, वहां गर्म पानी से उसकी चूत की सिकाई की तो उसे थोड़ा आराम मिला। फिर हम दोनों ने मिल कर नहाया और वहां भी एकदुसरे से ढेर सारा प्यार किया। फिर हम दोनों फ्रेश होके डिनर किया । मैं बाहर से पेन किलर और i-pill की गोली ले आया।
उसको पेन किलर खिलके उसको बाहों में भर लिया और रात मैंने उसे और बार चोदा। अगले दिन संडे था तो हमने थोड़ी देर घुमा बाइक में और फिर रूम में आके एक दूसरे में समा गए। उस रात को भी उसके साथ रात भर सेक्स का आनंद लिया। और फिर अगले दिन सुबह को हम वापिस आ गए। आज तक हम एक दूसरे के साथ हैं और कई बार हमने सेक्स का मज़ा उठा लिया है। अब उसका बदन पूरा खिल गया है। और हम। एकदुसरे के साथ बोहत खुश हैं।

आशा करता हूं आप सब को मेरी कहानी पसंद आई होगी। आप अपना मूल्यवान राय अवश्य ही दीजियेगा। शुक्रिया।
E-MAIL-
Writer: Siddharth mohanty

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मेरे लण्ड की दीवानी सलियाँ एक साथ चुदगयी – Mere Lund Ki Diwani Saliyan Ek Saath Chudgayi | otelsan.ru //otelsan.ru/xbrasilporno/mere-lund-ki-diwani-saliyan-ek-saath-chudgayi/ //otelsan.ru/xbrasilporno/mere-lund-ki-diwani-saliyan-ek-saath-chudgayi/#comments Thu, 03 Jan 2019 11:59:48 +0000 //otelsan.ru/xbrasilporno/?p=4397 [...]]]> यह कहानी है मेरी और मेरी तीन गजबकी खूबसूरत सालीयों की है| मेरा नाम निलेश है| मैं बैंक मैं नौकरी करता हूँ| मेरी उम्र ३१ साल है| मेरी शादी हो गयी है| मेरी बिवि का नाम वंदना है| उसकी उम्र २२ साल है| मेरी शादी को ४ साल हो गये है| मुझे एक २ साल का लड़का है| उसका नाम राहुल है| मेरा लड़का बडा ही नटखट और शरारती है| मेरी बड़ी साली जो की डॉक्टर हैं| उसका नाम श्रुति है| उम्र २६ साल है| उसकी शादी हो गयी हैं| शादी को एक साल हो गया है| उसके पतिभी डॉक्टरही है| उनका नाम विकाश है| दुसरी साली जो की अभी इंजीनियरिंग के दूसरे साल मैं पढ़ रही हैं| उसका नाम प्रिया है| उम्र २० साल है| तीसरी जो की अभी बारहवी मैं पढ़ रही हैं| उसका नाम रितिका है| उम्र १८ साल है| वंदना दिखने मैं ठीक ठाक है| मेरे कहने का मतलब की उसका बॉडी कलर गेहूआ है| उसकी फिगर है ३२– २८–३२ है| वैसे तो मैं एक बहुत सीधे किस्म का लड़का हूँ| मैंने उस वक़्त तक किसी भी लड़की की तरफ उस नजरसे नहीं देखा था| लेकिन उस दिन मैं जब वंदना को देखने गया तब घरमें आतेही मेरी नज़र प्रियापे पड़ी| उसे देखतेही मैं तो पागल हो गया| बात ही कुछ ऐसी थी की मैं उसे देखता ही रह गया|
हम वंदनाको देखने उसके घर पोहचे और उनके घरमे जा ही रहे थे की मेरी नज़र उनके गार्डन इसे की और गयी| उनके यहाँ जीतनी जगहमें उनके पिताजी ने घर बनाया उतनीही जगह गार्डन के लिए छोड़ दी थी| उस वक़्त मैंने वहा प्रियाको देखा| कहानी आगे बढाने से पहले मेरी तीनो सालियोंके बारेमे कुछ जानकारी देता हूँ| जैसे मैंने बताया मेरी पहली साली श्रुति जो एक डॉक्टर हैं उस वक़्त अपने आखरी साल मैं पढ़ रही थी जो की पुणेमें थी| दिखने में गोरी चिट्ठी| कद तक़रीबन ५’२” है| उसकी फिगर वंदनासे अच्छी है| याने की ३४ – २८ – ३६ है| वैसे उसे पढाई के इलावा कुछ सुझाता भी नहीं| लेकिन उस वक़्त छुट्टी थी तो घर पे आ गयी थी|
मेरी दूसरी साली प्रिया जो की उस वक़्त बारहवी में पढ़ रही थी| बड़ी नटखट लड़की थी| दिखने में श्रुति से ख़ूबसूरत है| उसका कद ५’ है| उसका सही आकर्षित करने वाला भाग याने उसकी फिगर| दोस्तों आप यकींन नहीं करोगे| उसकी फिगर ३८ – ३० – ४० है| जिसपे मैं फ़िदा हूँ| इस वक़्त हम रितिका के बारे में नहीं देखेंगे क्यों की वो अभी स्कूल में पढ़ रही है| वक़्त आने पर हम उसके बारे में देखेंगे| मैं जब वंदना को देखने पोहचा तो मैंने गार्डन में प्रिया को देखा| शायद उसे ये अंदाजा नहीं था की हम वंदना को देखने आ रहे है| जब मैंने उसे देखा तो वो पौदों को पानी दे रही थी|उस वक़्त मुझे उसका सिर्फ पिछवाडा दिख रहा था| जिसे देख मैं तो हैरान रह गया| क्या दिख रही थी प्रिया| उसके वो बड़े बड़े कुल्हे जिसे मटकाते हुए वो पौदों को पानी दे रही थी| जिसे देखते ही मैं उसपे फ़िदा हो गया| मेरा ध्यान तब टूटा जब मेरे दोस्त ने मुझे टोका| हम घर के अन्दर दाखिल हुए लेकिन मेरा ध्यान तो उस मटकते हुए कुल्हे पर ही था| मैं उसे भुला ही नहीं सकता था| अन्दर आने के बाद जब हम बैठे तब घर मैं सिवाई वंदना की माँ के उसका भाई और ये तीन बहने ही थी| उसके भाई ने हमें बैठने के लिए कहा और कुछ ५ मिनट बाद एक बहोत ख़ूबसूरत लड़की हमें पानी देने के लिए उस कमरे में आ गयी| वो और कोई नहीं प्रिया ही थी| जब वो पानी देते हुए आ रही थी मैं सिर्फ उसका पिछवाडा ही देख रहा था| जैसे ही वो मुझे पानी देने के लिए मेरे पास आयी मेरी तो धड़कने बड़ी तेज हो रही थी| पर जैसे ही वो मुझे पानी देने के लिए झुकी मानो मुझपे तो बिजली गिर पड़ी| जैसे वो झुकी, पानी लेते वक़्त मेरी नजर सीधा उसके ड्रेस के गले से होते हुए उसके अन्दर तक चली गयी| और जो मैंने देखा वो तो मैं बयां नहीं कर सकता| उस वक़्त शायद उसने उस टॉप के अन्दर पुश अप ब्रा पहनी हुयी थी और उसकी वजह से उसके उरोज उस टॉप से बाहर आने को बेक़रार थे| ये नजारा देख मेरे हाथ से पानी का ग्लास गिर गया जो सीधा मेरी पेंट पे ही गिरा| जिससे मेरी पूरी पेंट गीली हो गयी| इस अचानक हुए हादसे से प्रिया को हसी तो बहोत आ रही थी लेकिन मेरी हालत देख उसे तरस भी आ रहा था| इस हादसे की वजह से मुझे इतनी शर्म आ रही थी की मेरी नजर ऊपर उठ नहीं रही थी| इतने में प्रिया मुझे बोली “आप अन्दर चलिए”| इस अचानक हुए हादसे से मैं पहले ही शर्म से लाल हो गया था उसके इस बात से तो मुझे क्या बोलू वो सूझ भी नहीं रहा था| मेरी इस समस्या को जान मेरा दोस्त मुझे बोला “सुमीत! अरे यार बिना कुछ सोचे जल्दी से अन्दर जा नहीं तो तेरी हालत और भी खराब हो जाएगी”| उसकी बात मान मैं प्रिया के पीछे चला गया| मैं अन्दर गया तो प्रिया ने मुझे तौलिया दिया और बोली “आप की पेंट निकल के दीजिये| मैं उसे सुखा देती हूँ”| मैं उसे बोला “इतने जल्द पेंट नहीं सूखेगी”| तो प्रिया बोली “अरे सुमीतजी आप पेंट निकली ये तो मैं सिर्फ ५ मिनट मैं कुसे सूखा देती हूँ “| मैंने बिना कुछ बोले उसे मेरी पेंट निकाल के दे दी| प्रिया मुझे बोली “आप थोड़ी देर बैठिये”| और इतना कह के वो मेरी पेंट आयरन करने लगी| इस बार भी वो मेरी तरफ पिछवाडा हिला हिला कर के आयरन कर रही थी| इस वक़्त वो मेरे इतने करीब थी मुझे लगा की मै उसे छु लूं| लेकिन हालात देख मैं सिर्फ उसे देख रहा| उसने मुझे पेंट दे दी और वो चली गयी| में भी पेंट पहन के बाहर आ गया| कुछ देर बाद लड़की देखना का प्रोग्राम ख़तम कर हम वापिस आ गए|
घर आते ही मैं मेरे घरवालों से वंदना के लिए हाँ कर दी| जल्दीही मेरी सगाई कि तैयारीयां शुरू हो गयी|
सगाई वंदना के घर में थी| तो हम उनके घर दोपहर १२ के करीब पहुँच गए| सगाई गार्डन में थी| १२:३० को मोहरत था|
में तो तैयार था और जब वंदना को गार्डन में लाया गया तो मैं उसे देखता ही रह गया| उसने गुलाबी रंग की साडी पहनी थी जो सेमी ट्रांसपेरेंट थी| उसने साडी को नाभी के थोडासा नीचे तक पहना था| जिसकी वजहसे उसकी कमर के दीदार हो रहे थे| उसपे मैचिंग कलर का “V” शेप का ब्लाउज पहना था| मगर उस ब्लाउज में से उसके उभारोंके बीचमे से उसका क्लीवेज दिख रहा था| और क्या गजबका क्लीवेज दिख रहा था मेरी नज़र तो हट ही नहीं रही थी| उसने बाल खुले छोड़े थे जिस वजहसे कुछ जुल्फे उसके चेहरेपे आ रही थी| जो उसे परेशान कर रही थी और वो बार बार उसे पीछे किये जा रही थी| उसने अपने लबों पर हलके गुलाबी कलर की लिपस्टिक लगायी थी| गालोंपे हल्का गुलाबी फाउंडेशन लगाया था| हाथोंमे गुलाबी कलर की चूड़ीयां पहनी थी| आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है |
उसके इस लिबास को मैं भूल नहीं सकता| मैं उसे तब तक देखता रहा जब तक वो मेरे पास आके नहीं बैठी| रसम शुरू हो गयी| घर की औरतोंने हमारा तिलक किया| बाद में हमने एक दुसरे को रिंग पहना दी| इस तरह से हमारी सगाई हो गई| इसके बाद वंदना घर के अन्दर चली गई| उसके हमारी आवभगत शुरू हुई| तक़रीबन १:३० बजे हम सब ख़तम करके घर लौट आये|
सगाई तो हो गई लेकिन आज जब से मैंने वंदना को देखा था मेरा तो कही दिल भी नहीं लग रहा था| हर वक़्त मेरी नज़र के सामने सिर्फ वंदना का चेहरा ही दिखाई दे रहा था| मुझे दो हफ्ते बाद अपनी बैंक ज्वाइन करनी थी| तो अगले हफ्तेमे मेरी शादी थी| घर के सभी लोग शादी की तैयारी में लग गए| मेरी सगाई तो हो गई थी| मेरी शादी को अभी दो (२) महीने बाकी थे| और मुझे बैंक ज्वाइन करने में भी अभी एक (१) महिना शेष था| मैं और वंदना एक ही शहरमे रहते थे| तो एक दिन मेरी सालियोंने मुझे उनके घर आने के लिए मुझे फ़ोन कर न्योता दे दिया|
श्रुति – नमस्ते जीजू|
मैं – नमस्ते डॉक्टर साहिबा| आज हमें कैसे याद किया|
श्रुति – (शरमाते हुए) बस याद आ गयी तो मन किया की चलो अपने प्यारे जीजू से कुछ बाते की जाये| वैसे आप तो हमें कभी याद ही नहीं करते| अरे हाँ आप का हमसे कोई काम तो नहीं है ना!
मैं – (श्रुति की ऐसी बाते सुन चौंकते हुए) क्यों जी ऐसी क्या बात हुयी जो आप ऐसे कह रही है| क्या हमने आप से कहा है या हमारे हाव भावों से ऐसा प्रतीत हुवा की हमें आप से कुछ काम होगा तो ही आप से बात करेंगे नहीं तो नहीं करेंगे|
श्रुति – अरे जीजू शायद मेरी बात से आप को बुरा लगा| मगर क्या आप को नहीं लगता की आप मुझे सच मैं भूल गए है| (और श्रुति हँसाने लगाती है|) आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है |
मैं – (कुछ परेशान होते हुए|) यार मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा की मैं क्या भूल गया हूँ| अरे कुछ समझ में आये इस तरह से बात करो ना|
श्रुति – क्या जीजू आप को वंदना ने कुछ बताया नहीं क्या?
मैं – लेकिन किस बारे मैं?
श्रुति – अरे बाबा क्या उसने नहीं बताया आज के बारे में?
मैं – नहीं मेरी उससे दो दिन से बात ही नहीं हुयी| अच्छा अब पहेलिय बुझाना बंद करो और तुम ही बतावो की आज क्या ख़ास बात है जो आप ने हमें फ़ोन करने की जेहमत उठाई| और हमें यूँ परेशान किया इतना उलझी बाते कर के|
श्रुति – पहले तो हम आप से माफी मांगते है अगर आप को बुरा लगा हो तो|
मैं – नहीं मेरे कहने का ये मतलब नहीं था| लेकिन मैं सच कह रहा हूँ की मेरी और वंदना की दो दिन से बात ही नहीं हुयी| शायद वो मुझ से कुछ नाराज है|
श्रुति – तभी मैं कहूं की वंदना इतनी उदास क्यों है कल से| क्या कुछ जागदा हुवा है क्या आप दोनों मैं कहे तो मैं आप की मदद कर सकती हूँ|
मैं – हाँ यार वो मैंने कुछ बोल दिया था गुस्से मैं तो वो नाराज हो गयी कल सुबह में| पर तुम मेरी मदद क्यों करोगी इस बात में? तुम्हे भी तो गुस्सा होना चाहिए था इस बात पर की मेरा वंदना से झगडा हुवा है| मुझपे इतनी मेहरबानी करने की वजह| क्या मुझसे से कुछ चाहिए क्या?
श्रुति – चाहिए भी और नहीं भी| हाँ अगर आप चाहे तो मैं आपकी मदद कर दूँगी|
मैं – चलो ठीक है तो कर दो मदद| पर ये कैसे संभव है?
श्रुति – वो बात आप मुझपे छोड़ दीजिये| बस आप को एक काम करना होगा|
मैं – बोलिए क्या करना होगा| आप जो कहेंगी वो करने के लिए तैयार हूँ मैं| चाहे तो मैं आप से प्रोमिस करता हूँ|
श्रुति – ठीक है तो प्रोमिस है| आप को घर आना होगा आज शाम को|
मैं – आज! आज कुछ खास है क्या?
श्रुति – अरे मैं बातो बातों में भूल गयी आपको| आज मेरा जन्मदिन है| और मैंने आप को यही बताने के लिए फ़ोन किया है|
मैं – श्रुति सबसे पहले जन्मदिन की ढेर साडी शुभकामनाये| और मैं बिना भूले आज शाम को घर आ जाऊंगा|
श्रुति – शुक्रिया जीजू| अब मैं फ़ोन बंद करती हूँ| मुझे बहोत साड़ी तैयारियां करनी है|
मैं – अगर तुम्हे कुछ मदद चाहिए तो मैं अभी आ सकता हूँ|
श्रुति – ठीक है तो आ जाईये| मैं आप का इन्तजार करती हूँ|
इतना बोल श्रुति ने फ़ोन बंद कर दिया| और मैं भी १० मिनट में तैयार हो के वंदना के घर की तरफ चल दिया|
जाते जाते मुझे एक ख्याल आया| क्यों ना कुछ मिठाई ली जाए| तो मैं एक मिठाई की शॉप में चला गया| मैंने उस शॉप से रस मलाई ली और वंदना की घर की और चल दिया|
घर जाते ही श्रुति ने दरवाज़ा खोला| जैसे ही मैंने उसे देखा मेरा मूह खुला का खुला रह गया| श्रुतिने जो कपडे पहने थे उसे देख मैं हैरान ही रह गया| उसने सिर्फ एक टॉप पहना हुवा था जो उसकी जांघों को भी छुपा नहीं पा रहा था|शायद उसने अंदरसे कुछ पहना भी नहीं था| क्यों की उसके टॉप के उपरसे ही मुझे उसके उरोजों के तने हुए काले चुचक साफ़ दिख रहे थे| और टॉप के आगे कोई बटन भी नहीं था और उसके टॉप से उसके उरोजों के बीच की दरार दिख सकती थी| और उसके उरोजों के कुछ कुछ दर्शन भी हो रहे थे|
मुझे ऐसा देखते देख श्रुति कुछ शरमा गयी और अन्दर भाग गई| वो जब भाग रही थी तो उसके कुल्हे बहोठी थिरक रहे थे|और भागते वक़्त मुझे उसका टॉप कुछ ऊपर सा हो गया तो मुझे उसके नग्न कुल्हे दिख गए और उसके निचे शायद उसने कुछ पहना नहीं था| क्या लग रही थी| मैं ये सब देख इतना उत्तेजित हो गया की मेरा पप्पू तम्बू बना के पेंट में खड़ा हो गया| ये तो अच्छा हुवा की श्रुति ने ये सब नहीं देखा|
मैं जब अन्दर गया तो श्रुति की आवाज़ आ गयी|
श्रुति – जीजू दरवाज़ा बंद कर लीजिये| घर मैं कोई नहीं है| सब लोग बाज़ार गए हुए है| और रितिका स्कूल को गयी है|
उसकी यह बात सून मेरे शरीर में रोंगटे खड़े हो गए| जैसे तैसे मैंने दरवाजा बंद कर लिया और उसे कहा——–
मैं – श्रुति तुम कहा हो| आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है |
श्रुति – अन्दर हूँ|
मैं – क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ|
श्रुति – आइये न आप को किस ने रोका है|
मैं – अगर सब लोग बहार गए थे तो मुझे इतनी जल्दी कैसे बुला लिया|
मैं ये बोलते बोलते अन्दर दाखिल हुवा| वो अभीभी उसी टॉप में बैठी कुछ काम कर रही थी| उसे देख मेरे पप्पू ने फिर से हरकत करनी शुरू कर दी| इस वक़्त श्रुति मेरे पेंट की तरफ ही देख रही थी| मेरी हालत देख वो मन में ही हस रही थी| और वो बोल पड़ी|
श्रुति – मुझे क्या पता था की आप सच में इतने जल्दी आ जायेंगे| मुझे लगा था आप शायद एक घंटे बाद आयेंगे|
मैं – किसको घायल करने का इरादा है|
श्रुति – नहीं तो| मैं तैयार हो रही थी| इतने में आप आ गए|
मैं – लेकिन दरवाज़ेपे अगर कोई और होता और तुम्हे इस हालत में देखता तो उसका क्या होता|
श्रुति – वही होता जो अभी आप का हाल है|
मैं – याने तुमने जान बुझ कर ऐसे कपडे पहने है| मुझे उत्तेजित करने के लिए|
श्रुति – जैसे आप ठीक समझे| मैं तो सच में तैयार हो रही थी| मैं अभी नहाने जा रही थी|
मैं – तो अब तुम्हे किस ने रोका है| जावो नहा के आ जावो मैं रुकता हूँ| हाँ जाते वक़्त टीवी शुरू कर देना|
श्रुति – ठीक है मैं अभी आती हूँ नहा के| आप लोग यह कहानी अन्तर्वासना-स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है |
ऐसे बोल वो उठ गयी और टीवी शुरू करने के लिए रिमोट खोजने लगी| रिमोट शायद निचे रखा हुवा था तो उसे उठाने के लिए वो जैसेही झुकी मुझे उसकी खुली गांड के फिरसे दर्शन हो गए| इस बार मैं अपने पर काबू ना प् सका और सीधे जाके उसे मैंने पीछे से पकड़ लिया| जैसे उसे इस अचानक हमले से कुछ ऐतराज़ नहीं था तो वो कुछ बोली नहीं सिर्फ बोली|
श्रुति – जीजू मैं वंदना नहीं हूँ| किसीने देख लिया तो क्या सोचेगा की कैसा दामाद है जो अपनी साली से ऐसे बेशर्मोकी तरह चिपक गया है|
मैं – अब यहाँ कोई नहीं है तो किसीके कुछ कहने का सवाल ही नहीं उठता| वैसे जिसके पास ऐसी ख़ास साली हो वो जीजा तो बेशरम ही होगा|
मैंने जब उसे पकड़ा था तो मेरा हाथ उसके पेट पे था| उसने भी अपना हाथ मेरे हाथ पे रख दिया|

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